फिर शुरू होगी आरकॉम की दिवालिया प्रक्रिया | आशिष आर्यन / नई दिल्ली April 30, 2019 | | | | |
नैशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को कर्ज से लदी रिलायंस कम्युनिकेशंस को आवेदन वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसमें उसने कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के एनसीएलटी मुंबई के फैसले को चुनौती दी थी। आरकॉम ने दिवालिया आदेश को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने के लिए आïेदन किया था जब 1 फरवरी को कंपनी के निदेशक मंडल ने फैसला लिया था कि वह दिवालिया के लिए आवेदन करेगा क्योंकि कंपनी को पटरी पर लाने की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं।
कंपनी के निदेशक मंडल ने पाया कि इतना वक्त बीतने के बावजूद लेनदारों को प्रस्तावित संपत्ति मुद्रीकरण योजना से कुछ भी नहीं मिला है और कर्ज समाधान की प्रक्रिया कुल मिलाकर किसी नतीजे की ओर नहीं बढ़ पाया है। एनसीएलएटी की तरफ से आवेदन वापस लेने की अनुमति के बाद आरकॉम के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही एनसीएलटी मुंबई में फिर से शुरू होगी। एरिक्सन इंडिया ने सितंबर 2017 में आरकॉम, रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इन्फ्राटेल के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही वाली याचिका एनसीएलटी मुंबई पीठ में दाखिल की थी जब कंपनी ने करीब 1,500 करोड़ रुपये बकाया चुकाने में नाकाम रही थी। यह याचिका 15 मई 2018 को स्वीकार की गई थी। 30 मई 2018 को एनसीएलएटी ने आरकॉम की याचिका पर कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
आरकॉम ने इसके बाद एनसीएलएटी में 120 दिन के भीतर (30 सितंबर 2018 तक) एरिक्सन इंडिया को 550 करोड़ रुपये चुकाने पर सहमति जताई थी। तब एनसीएलएटी ने अपने आदेश में कहा था कि आरकॉम और इसकी दो सहायक कंपनियां अगर यह रकम तय समय पर चुकाने में नाकाम रहती है तो एरिक्सन इंडिया दिवालिया आवेदन बहाल फिर से बहाल कर सकती है। 27 सितंबर 2018 को (समयसीमा से तीन दिन पहले) आरकॉम व इसकी सहायक कंपनियों ने सर्वोच्च न्यायालय से संपर्क कर भुगतान की समयसीमा बढ़ाने की मांग की। अदालत में अपनी याचिका में आरकॉम ने कहा था कि स्पेक्ट्रम व अन्य परिसंपत्ति बेचने में देरी के चलते उसे और समय चाहिए। अक्टूबर में मामले की सुनवाई में अदालत ने आरकॉम व इसकी सहायक को 15 दिसंबर तक का समय दिया और साफ कर दिया कि इसमें और समय नहीं मिलेगा।
फरवरी मेंं सर्वोच्च न्यायालय ने भुगतान न होने के मामले अनिल अंबानी व इसकी दो सहायक के खिलाफ एरिक्सन की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि वह अदालत के अवमानना को दोषी हैं। तब अदालत ने अंबानी, रिलायंस टेलीकॉम के चेयरमैन सतीश सेठ और रिलायंस इन्फ्राटेल की चेयरपर्सन छाया विरानी को चार हफ्ते के भीतर 453 करोड़ रुपये चुकाने को कहा या तीन महीने की जेल की सजा भुगतने को कहा। आरकॉम ने यह रकम चुका दी, लेकिन एरिक्सन इंडिया की तरफ से दी गई दिवालिया याचिका को चुनौती वाले आवेदन को एरिक्सन ने घोखा देने वाला करार दिया। याचिका में एरिक्सन इंडिया ने कहा था, उसका इरादा अदालत के आदेश को विफल करने का है। कंपनी को स्वैच्छिक परिसमापन में ले जाने का आरकॉम का आवेदन स्थगन हासिल करने के लिए है, जो लेनदारों को किसी तरह से भुगतान से कंपनी को रोक देगी।
एरिक्सन इसलिए दिवालिया वाली आरकॉम की याचिका का विरोध कर रही थी क्योंंकि उसे डर था कि दिवालिया संहिता के तहत वह एकमात्र परिचालक लेनदार है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक 550 करोड़ रुपये पाने का मौका वह गंवा देगी। कंपनी के डर की पुष्टि तब हो गई जब 9 अप्रैल को एनसीएलएटी ने पाया कि एरिक्सन इंडिया को 550 करोड़ रुपये लौटाने पड़ सकते हैं, अगर आरकॉम के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाती है।
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