वित्त कारोबार में हिस्सा बेचेगी रिलायंस कैपिटल | जश कृपलानी और अभिजित लेले / मुंबई April 29, 2019 | | | | |
कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल अपने समूह की दो कंपनियों आवास वित्त और वाणिज्यिक फाइनैंस कारोबार के लिए रणनीतिक निवेशक लाने की योजना बना रही है। इसके साथ ही कंपनी ने जरूरत पडऩे पर इन दोनों इकाइयों का प्रबंधन नियंत्रण भी छोडऩे का विकल्प खुला रखा है। सूत्रों के अनुसार रिलायंस होम फाइनैंस (आरएचएफएल) में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने के लिए ब्लैकस्टोन, कार्लाइल, ब्रुकफील्ड और पीरामल समूह से बातचीत कर रही है। वर्तमान में आरएचएफएल में रिलायंस कैपिटल के पास 51 फीसदी हिस्सेदारी है। इस बारे में जानकारी के लिए ब्रुकफील्ड को ईमेल भेजा गया लेकिन जवाब नहीं आया।
इसके साथ ही माना जा रहा है कि निजी इक्विटी फर्में और मौजूदा आवास वित्त कंपनियां आरएचएफएल में हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही है। वाणिज्यिक फाइनैंस कंपनी में बड़े निजी इक्विटी साझेदार शामिल हो सकते हैं। अगर दोनों इकाइयों का सौदा होता है तो इससे पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा जो अनिल अंबानी के नियंत्रण वाली रिलायंस कैपिटल मुहैया कराने की स्थिति में नहीं है। कंपनी ने इस बात को दोहरया कि समूह स्तर पर खाते को दुरुस्त करनेे की उसकी योजना सही दिशा में चल रही है। रिलायंस कैपिटल के मुख्य वित्त अधिकारी अमित बाफना ने कहा, 'हम एक निवेशक के साथ निश्चित करार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि दो-तीन हफ्तों में इसकी घोषणा की जा सकती है। परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी का वर्तमान में बाजार मूल्यांकन करीब 5,300 करोड़ रुपये है। हमें इस पर बेहतर प्रीमियम मिलने की उम्मीद है। परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी की हिस्सेदारी बिक्री, जनरल इंश्योरेंस और अन्य गैर-मुख्य कारोबार की बिक्री से हमें करीब 10,000 रुपये या इससे अधिक मिलने की उम्मीद है।'
बाफना ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कारोबार में हिस्सेदारी बिक्री का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए आईपीओ लाया जाएगा या 49 फीसदी हिस्सेदारी के लिए रणनीतिक साझेदार तलाश जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह प्रक्रिया 30 जून तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा, 'कंपनी रणनीतिक निवेशकों के साथ बात कर रही है। यह बातचीत अग्रिम चरण में है। अगर यह बातचीत अंजाम तक पहुंची और हमें उनकी दिलचस्पी के बारे में कुछ संकेत मिला, तो हम तब तक आईपीओ नहीं लाएंगे। अगर बातचीत आगे नहीं बढ़ी तो हम आईपीओ का विकल्प तलाशेंगे।' रिलायंस होम को नकदी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है जिससे केयर रेटिंग्स ने उसकी रेटिंग कम कर दी है। पिछले सप्ताह केयर रेटिंग्स ने आरएचएफएल के लंबी अवधि के ऋण कार्यक्रम की रेटिंग डी कर दी जबकि अन्य प्रतिभूतियों को भी सी श्रेणी में डाल दिया। पहले कंपनी की प्रतिभूतियां बीबीबी-प्लस श्रेणी में थी जबकि कुछ को बीबीबी श्रेणी में रखा गया था। रेटिंग एजेंसी का कहना था कि बैंकों की किस्त के भुगतान में देरी और संपत्तियों को बेचने से फंड जुटाने की प्रक्रिया में देरी के कारण आरएचएफएल की रेटिंग कम की गई है। इन कारणों से समूह की कंपनियों का नकदी प्रोफाइल दबाव में आ गया है।
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