गुजरात के चार आलू किसान और वैश्विक खाद्य एवं पेय कंपनी पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड (पीआईएच) के बीच चल रही कानूनी लड़ाई अदालत से बाहर सुलह की ओर बढ़ सकती है। पेप्सिको इंडिया ने बौद्घिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए साबरकांठा जिले के किसानों पर मुकदमा दायर किया था। कंपनी ने इन किसानों पर आलू की एफएल 2027 किस्म, जिसे एफसी-5 के नाम से भी जाना जाता है, के बीजों की खरीद करने और उस किस्म के आलू की बिक्री करने का आरोप लगाया है। आलू की इस किस्म को कंपनी ने पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत पंजीकृत कराया है। पेप्सिको आलू की इस किस्म का उपयोग लेज चिप्स बनाने में करती है।
हालांकि, शुक्रवार को अहमदाबाद में वाणिज्यिक न्यायालय में सुनवाई के दौरान पेप्सिको की ओर से पेश वकील ने अदालत के बाहर सुलह करने का सुझाव दिया। वकील ने न्यायमूर्ति एम सी त्यागी को बताया कि पेप्सिको यह मामला वापस ले सकती है यदि किसान इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हो जाएं कि वे केवल कंपनी के लिए ही आलू की पंजीकृत एफसी-5 किस्म के बीजों की खरीदारी करेंगे और उत्पाद को केवल इसी कंपनी को बेचेंगे। यह सुझाव दिया गया है कि किसान लिखित में यह वचन दे सकते हैं कि वे भविष्य में कभी भी आलू की इस पंजीकृत किस्म की न तो खरीदी करेंगे और न ही बुआई करेंगे। पेप्सिको ने अपने स्नैक्स खंड के लिए गुजरात में 1,200 किसानों को आलू की एफसी-5 किस्म को पैदा करने के लिए काम पर रखा है।
अदालत के बाहर सुलह की बात इस बात पर निर्भर करती है कि इस मामले में फंसे चारों किसान उपरोक्त प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं अथवा नहीं। इस बीच किसानों की पैरवी कर रहे वकील ने पेप्सिको के आरोपों पर लिखित सफाई दायर करने के लिए 12 जून तक का समय मांगा है। पेप्सिको के वकील ने भी किसानों के निवेदन का प्रत्युत्तर दायर करने के लिए 12 जून तक का समय मांगा है। इस बीच किसानों पर इस किस्म के आलू उगाने और बेचने पर रोक का अदालत का फैसला 12 जून को होने वाली अगली सुनवाई तक प्रभावी रहेगा। इससे पहले पेप्सिको ने कहा था कि जो लोग हमारी पंजीकृत किस्म के आलू का अवैध रूप व्यापार कर रहे हैं उनके खिलाफ वह कानूनी रास्ता अपनाएगी।
पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, 'यह कदम हमारे अधिकारों की रक्षा और हमारे साथ काम कर रहे किसानों के बड़े हित की रक्षा के लिए उनके खिलाफ उठाया गया है जो हमारे पंजीकृत किस्म के बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसका लाभ उठा रहे हैं। हम मामले के समाधान को लेकर प्रतिबद्घ हैं और खेती करने में उच्च पैदावार और गुणवत्ता वाली उत्तम पद्घतियों को अपनाने के कार्य को सुनिश्चित कर रहे हैं।'
हाल ही में इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब करीब 200 किसान नेताओं, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर किसानों के समर्थन में और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग उठाई थी। पत्र में कहा गया था कि किसानों ने पेप्सिको के आईपीआर का किसी तरह से उल्लंघन नहीं किया है क्योंकि पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 की धारा 39(1) में भारत में किसानों को अधिनियम के तहत पंजीकृत किसी भी किस्म के बीज की खरीद करने और बुआई करने का हकदार बनाया गया है।
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