ज्यादा नकद निकासी और जमा आयकर विभाग होगा चौकन्ना | तिनेश भसीन / April 21, 2019 | | | | |
अगर आप बार-बार भारी मात्रा में रकम अपने खाते में जमा करते हैं या निकालते हैं तो आपके रिटर्न की जांच के दौरान आयकर विभाग चौकन्ना हो सकता है और आपको नोटिस भेज सकता है। हाल ही में एक मामले में ऐसा ही हुआ, जब आयकर विभाग के एक अधिकारी ने विस्तृत जांच के लिए एक करदाता का रिटर्न चुन लिया। करदाता ने बार-बार भारी मात्रा में नकदी जमा की थी। हर बार उसने 2.11 लाख रुपये से 98 लाख रुपये तक जमा किए थे। इस तरह विभिन्न बैंक खातों में कुल मिलाकर 1.35 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। हालांकि करदाता ने इन जमाओं और लेनदेन को असली साबित करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज विभाग के सामने पेश किए, लेकिन आयकर अधिकारी उसकी बातों से संतुष्टï नहीं हुआ। अधिकारी ने जमा की गई नकदी को अज्ञात स्रोतों से आया धन मान लिया और उसे करदाता की आय बताते हुए अन्य स्रोतों से आय के मद में लिख दिया।
इस पर करदाता आयकर पंचाट के पास पहुंची, जिसने याची के पक्ष में ही फैसला दे दिया क्योंकि याची ने अपने दावे को सही साबित करने वाले सभी दस्तावेज दिखा दिए। चार्टर्ड अकाउंटेंट और अरविंद राव ऐंड एसोसिएट्स के संस्थापक अरविंद राव कहते हैं, 'करदाता ने दूरअंदेशी बरती और सभी तरह के दस्तावेज अपने पास रखे, लेकिन हममें से कई लोग ऐसा नहीं करते। याद रखने वाली बात यह है कि नकद लेनदेन करने के बजाय बैंक के जरिये लेना-देना हमेशा बेहतर रहता है क्योंकि इसमें आपके पास इस बात का पक्का सबूत होता है कि आपने रकम किसे दी।' कर विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि बार-बार नकदी में लेनदेन करने से आयकर विभाग आसानी से चौकन्ना हो सकता है और आप पर नजर गड़ा सकता है। राव समझाते हैं, 'रकम कहां से आई, यह बताने और साबित करने का जिम्मा हमेशा करदाता का ही होता है। मुश्किल यह है कि अगर अधिकारी के मन में बैठ गया कि रकम अज्ञात स्रोत से आई है तो पूरी आशंका इसी बात की है कि वह करदाता के खिलाफ आदेश जारी कर देगा।'
लेकिन किस तरह के लेनदेन को बड़ा नकद लेनदेन माना जाता है? टैक्समैन डॉट कॉम में चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन वाधवा कहते हैं, 'किसी बैंक खाते में वित्त वर्ष के दौरान 10 लाख रुपये या उससे अधिक की नकदी जमा होने पर उसकी जानकारी देना सभी बैंकों के लिए अनिवार्य है। बैंक वार्षिक सूचना रिटर्न के जरिये यह जानकारी देते हैं और इसमें भारी-भरकम नकदी वाले सभी लेनदेन शामिल होते हैं।' ऐसे मामलों में आयकर विभाग संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजकर सफाई मांगता है। सरकार ने भी काले धन पर अंकुश लगाने के लिए नकद लेनदेन की अधिक सख्त जांच शुरू कर दी है। अब किसी भी व्यक्ति को 2 लाख रुपये से अधिक का लेनदेन नकद में करने की इजाजत नहीं है। संपत्ति खरीदने और कर्ज लेने-देने के मामले में तो 20,000 रुपये से ज्यादा का नकद लेनदेन तक नहीं किया जा सकता।
नकदी लेनदेन की इन बंदिशों पर तो आयकर अधिकारियों की नजर रहती ही है, वे यह भी देखते हैं कि जमा और निकासी का तरीका क्या रहा है और यह काम योजनाबद्घ तरीके से तो नहीं किया गया है। जब कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदता है तो आम तौर पर अधिकारी करदाता से उसके बैंक खाते का स्टेटमेंट मांग ही लेते हैं। जिस साल संपत्ति खरीदी गई है, अगर उसी साल भारी मात्रा में निकासी की जाती है तो अधिकारी करदाता से नकदी प्रवाह यानी लेनदेन का विस्तृत ब्योरा तलब करेंगे। बड़ी मात्रा में नकदी निकालने का मतलब यह भी हो सकता है कि करदाता ने संपत्ति की कीमत का एक हिस्सा नकद की शक्ल में दिया है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि नकद जमा की जानकारी तो मांगी ही जाती है, नकद निकासी के बारे में भी तफसील से पूछा जा सकता है।
उपरोक्त मामले में अधिकारी ने जमा और निकासी दोनों की ही जांच की। उसे शक था कि इस रकम का स्रोत अज्ञात था। उसे यह भी लगा कि करदाता के पास अच्छी खासी नकदी थी और उसे अतिरिक्त नकदी की जरूरत नहीं थी। लेकिन कर अधिकारी यह बात साबित नहीं कर पाया कि रकम अज्ञात स्रोत से आई थी, इसीलिए करदाता को राहत मिल गई। आयकर पंचाट ने कहा कि किसी लेनदेन पर केवल शक होने के कारण ही असली लेनदेन को गलत नहीं ठहराया जा सकता। साथ ही देश में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो नागरिकों को अपना ही धन बार-बार जमा करने या निकालने से रोकता हो।
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