सरकारी बैंकों से शिक्षा ऋण पड़ेगा सस्ता | तिनेश भसीन / April 21, 2019 | | | | |
यह साल का वह समय है, जब अगस्त से शुरू होने वाले 2020 के फॉल सेमेस्टर के लिए अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रमों में दाखिला ले रहे छात्र शिक्षा ऋण लेने की भागदौड़ में व्यस्त रहते हैं। विशेष रूप से तब, जब उन्हें विश्वविद्यालयों से मंजूरी पत्र मिल चुके हैं। उन्हें जल्द पहल करने से बेहतर ब्याज दरों पर ऋण हासिल करने में मदद मिल सकती है। इससे उन्हें ऋण लेने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की व्यवस्था करने के लिए भी समय मिलेगा। शिक्षा ऋणों का एक मार्केटप्लेस ज्ञानधन के सह-संस्थापक और सीईओ अंकित मेहरा ने कहा, 'शिक्षा ऋण लेने के मुख्य समय जून में कई कारणों से देरी हो सकती है, जिसकी मुख्य वजह विशेष रूप से ऋणदाता के संपत्ति गिरवी रखने की मांग होती है। वकील भी समय ले सकते हैं, ऋणदाता संपत्ति के लिए अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग कर सकता है।' कोई भी ऋण लेने का फैसला करते समय यह देखना अत्यधिक जरूरी है कि ऋण का ढांचा कैसे तैयार किया गया है। कुछ ऋणदाताओं से ऋण लेने पर छात्र को पाठ्यक्रम पूरा होने के छह महीने बाद तक पैसा नहीं चुकाना पड़ता है। इसके अलावा कुछ ऐसे ऋणदाता हैं, जो पाठ्यक्रम की अवधि के दौरान कुछ ब्याज वसूल करते हैं। वहीं कुछ ऋणदाता तुरंत ही बाद छात्रों से ब्याज वसूलना शुरू कर देते हैं। इस ढांचे से कुल देनदारी पर असर पड़ सकता है। किसी ऋणदाता से कर्ज लेने का फैसला करने से पहले उस कुल ब्याज पर ध्यान देना चाहिए, जो आपको चुकाना पड़ेगा। आपको यह विचार करने के बाद ही फैसला करना चाहिए।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से ऋण लेने में फायदा
जब आप सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ब्याज दरों को देखेंगे तो पाएंगे कि वे निजी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की तुलना में काफी कम ब्याज दर वसूलते हैं। लेकिन हर तरह के ऋणदाता के अपने-अपने फायदे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से ऋण लेना सस्ता पड़ेगा, लेकिन वह 7.5 लाख रुपये से अधिक के ऋण के लिए संपत्ति गिरवी रखने को कहेगा। निजी ऋणदाता संपत्ति गिरवी रखे बिना 35 से 40 लाख रुपये का ऋण दे देते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के ज्यादातर बैंक पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद छह महीने या एक साल तक कोई पैसा नहीं वसूल करते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रोसेसिंग फीस काफी कम है। सलाहकारों का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋण की दरें करीब 10 से 10.5 फीसदी है, जबकि ज्यादातर निजी ऋणदाता 12.5 फीसदी से अधिक ब्याज दर पर कर्ज देते हैं। ब्याज दर में महज 250 आधार अंक के अंतर से भी आपकी कुल देनदारी पर बड़ा असर पड़ सकता है।
लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कर्ज लेने में सबसे बड़ी चुनौती प्रोसेसिंग में लगने वाला समय है। इसी वजह से कर्ज लेने के लिए जल्द पहल करना फायदेमंद रहता है। एक ऑनलाइन ऋण और छात्रवृत्ति सलाहकार वीमेकस्कोलर्स डॉट कॉम के सह-संस्थापक अर्जुन कृष्णा ने कहा, 'अगर आपके पास सभी दस्तावेज तैयार भी हैं तो ऋण की मंजूरी में तीन सप्ताह से अधिक समय लग सकता है। कर्ज मंजूरी से कई प्रोसेसर जुड़े होते हैं, विशेष रूप से संपत्ति गिरवी रखकर मिलने वाले ऋणों में। वकील, मूल्यांकनकर्ता या अन्य कोई भागीदार समय ले सकता है।'
सहूलियत में निजी ऋणदाता बेहतर
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पाठ्यक्रम, कॉलेज और विश्वविद्यालय पर ज्यादा ध्यान देते हैं। उनका मूल्यांकन का मुख्य मानदंड 7.5 लाख रुपये से अधिक के ऋणों के लिए गिरवी रखी जाने वाली संपत्ति का मूल्य है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको से अमेरिका से कोई कोर्स करने के लिए ऋण लेना जर्मनी जैसे अन्य देश से कोर्स करने के लिए कर्ज लेने की तुलना में ज्यादा आसान है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अमेरिका में भी विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित पर केंद्रित पाठ्यक्रमों को तरजीह देते हैं। ईएसएस ग्लोबल के निदेशक रोहित सेठी ने कहा, 'अब छात्र उच्चतर शिक्षा के लिए विभिन्न देशों में जा रहे हैं और विशेष पाठ्यक्रमों को चुन रहे हैं। निजी ऋणदाता ऐसे छात्रों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में ऋण देने के ज्यादा इच्छुक होते हैं।'
विदेश में शिक्षा क्षेत्र में रुझान बदल रहे हैं, इसलिए निजी ऋणदाता भी इस बदलते रुझान से तालमेल बैठा रहे हैं। एवांसे फाइनैंशियल सर्विसेज के सीईओ अमित गैंदा ने कहा, 'हम किसी आवेदन के मूल्यांकन में पाठ्यक्रम और माता-पिता की आमदनी जैसे परंपरागत मानकों के अलावा छात्र के शैक्षिक रिकॉर्ड और आमदनी की संभावनाओं को भी देखते हैं। हमारा एक मॉडल है, जिसमें हम पाठ्यक्रम के बाद छात्र की संभावित आमदनी को देखते हैं।' इसी तरह शिक्षा ऋण देने वाली सबसे बड़ी एनबीएफसी एचडीएफसी क्रेडिला भी कई मानदंडों के आधार पर ऋण देती है। एचडीएफसी क्रेडिला के सह-संस्थापक और सीईओ अजय बोहरा ने कहा, 'एचडीएफसी क्रेडिला के ऋण आकलन प्रारूप का एक अहम घटक उस देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति है। इस मानदंड का विशेष रूप से बड़े ऋणों में इस्तेमाल किया जाता है। उस देश में वृद्धि के रुझानों या रोजगार सृजक उद्योगों का आकलन करना बहुत जरूरी है।'
स्टार्टअप सलाहकारों का इस्तेमाल करें
किसी भी छात्र के लिए यह समझना मुश्किल हो सकता है कि उसके लिए कौनसा ऋणदाता सबसे बेहतर रहेगा। वीमेकस्कोलर्स और ज्ञानधन जैसी स्टार्टअप ज्यादा उपयुक्त ऋण हासिल करने में मदद करती हैं। वे कर्ज लेने की प्रक्रिया में अहम दिशानिर्देश देती हैं और जल्द ऋण हासिल करने में मदद करती हैं। अगर आवेदक वित्तीय रूप से मजबूत है तो वे ऋणदाता से बेहतर शर्तों पर ऋण हासिल कर सकते हैं। वीमेकस्कोलर्स छात्रों को बेहतर दरों पर ऋण दिलाने में मदद करती है। अगर ऋणदाताओं को पाठ्यक्रम या विश्वविद्यालय को लेकर संदेह है तो वह उन्हें आवेदन को प्रोसेस करने के लिए सहमत करती है। ज्ञानधन बहुत से ऋणदाताओं के साथ मिलकर काम करती है। यह छात्र के प्रोफाइल और अन्य मानदंडों के आधार पर ज्यादा उपयुक्त बैंक या एनबीएफसी का सुझाव देती है।
गुना-भाग करें
किसी ऋणदाता से संपर्क करने से पहले यह आकलन करें कि आपको कितनी धनराशि की जरूरत होगी, जिसमें यात्रा और रहने-सहने के खर्च को भी शामिल किया जाना चाहिए। आम तौर पर ऋणदाता ट्यूशन फीस का 15 से 20 फीसदी अन्य खर्चों के लिए देते हैं। अगर आपके पाठ्यक्रम की फीस 40 लाख रुपये है तो ऋणदाता 8 लाख रुपये अतिरिक्त दे देगा। बहुत से विश्वविद्यालय उस लागत का ब्रेकअप मुहैया कराते हैं, जो छात्र की उस देश में अध्ययन के दौरान आएगी। इस ब्योरे का इस्तेमाल उस अतिरिक्त खर्च के आकलन में करें, जो आपकी उस देश में अध्ययन के दौरान आएगी। सभी ऋणदाता छात्र की जरूरत के आधार पर टुकड़ों में ऋण मुहैया कराते हैं। ट्यूशन फीस का विश्वविद्यालय को सीधे भुगतान किया जाता है। खर्च मासिक या तिमाही जारी किए जा सकते हैं। गैंदा ने कहा, 'ज्यादातर छात्र पढ़ाई के दौरान पार्ट-टाइम नौकरी करते हैं। हमसे छात्र औसतन स्वीकृत ऋण का 65 से 70 फीसदी हिस्सा ही लेते हैं क्योंकि वे अन्य खर्च पार्ट-टाइम नौकरी से पूरे कर लेते हैं।'
|