गीतांजलि जेम्स: अर्श से फर्श पर | पवन लाल / मुंबई April 18, 2019 | | | | |
गीतांजलि जेम्स को कभी सबसे अच्छे ज्वेलर्स के रूप में जाना जाता था लेकिन महज छह साल के भीतर उसे परिसमापन का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी द्वारा करीब 31 लेनदारों के 12,550 करोड़ रुपये के बकाये के भुगतान में चूक किए जाने के बाद उसे परिसमापन की ओर जाना पड़ा। जबकि कंपनी के चेयरमैन मेहुल चोकसी अभी भी भगोड़ा हैं। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर जारी एक नोटिस के अनुसार, कंपनी की लेनदारों की समिति द्वारा कॉरपोरेट ऋण शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया के लिए विस्तार को मंजूरी न दिए जाने के बाद परिसमापन की प्रक्रिया शुरू होना तय माना जा रहा है। वरिष्ठï बैंकरों ने कहा कि फिलहाल कोई समाधान प्रस्ताव नहीं दिख रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़े बैंक के वरिष्ठï बैंकर ने कहा, 'संसाधन (रकम) हमारे लिए काफी कीमती है और कोई भी अच्छी रकम को खराब नहीं करना चाहेगा। इस प्रकार के मामले में रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल एवं अन्य बुनियादी ढांचे को बरकरार रखने का कोई मतलब नहीं है।'
बैंकर ने कहा कि वसूली के लिए कुछ लेनदार गीतांजलि जेम्स के प्रवर्तकों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में मुकदमा पहले ही कर चुके हैं। उन्होंने कहा, 'वह कानूनी लड़ाई भारत और विदेश में जारी रहेगी।' चोकसी ऐंटीगुआ में है और वह अपने भांजे नीरव मोदी के साथ पंजाब नैशनल बैंक को करीब 14,000 करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में प्रत्यर्पण का सामना कर रहे हैं। उनके पिता चिनूभाई चोकसी द्वारा 1966 में स्थापित कंपनी मुंबई के हाई प्रोफाइल ज्वेलर के तौर पर शुमार हो गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी का शेयर लगातार 600 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था और उसका बाजार पूंजीकरण 6,000 करोड़ रुपये था।
चोकसी अपने धन-दौलत (शीर्ष ऊंचाई पर शेयर के समय 3,300 करोड़ रुपये) के बावजूद काफी कंजूस थे। एक पूर्व कर्मचारी ने बताया कि यूरोप की अपनी यात्रा के दौरान वह अपने कर्मचारियों के साथ एक होटल में रुके थे। वहां उन्होंने अपने गंदे कपड़ों को धुलवाने के बजाय भारत भेजने के लिए कहा था ताकि होटल में कपड़े न धुलवाने पड़े। लेकिन एक साल के भीतर सबकुछ तहस-नहस हो गया। गीतांजलि का शेयर 90 फीसदी लुढ़क गया और उसके बाजार पूंजीकरण को करीब 5,000 करोड़ रुपये का झटका लगा।
चोकसी प्रतिभूति घोटाले में फंस गए और उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच चल रही है। उन पर मुंबई की ब्रोकरेज फर्म प्राइम सिक्योरिटीज और गीतांजलि के शेयरों की खरीद-फरोख्त करने वाली दो दर्जन कंपनियों के साथ अपने शेयरों की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है। गोल्डमैन सैक्स और मैक्वेरी जैसे विदेशी निवेशकों ने उनकी स्थिति स्पष्टï की। 18 जुलाई 2012 को एनएसई ने प्राइम सिक्योरिटीज और चोकसी द्वारा खरीद-फरोख्त किए जाने पर पाबंदी लगा दी। इसके अलावा आरोप यह भी लगाया गया कि वह दर्जनों मुखौटा कंपनियों का संचालन करते हैं जो चक्रीय ट्रेडिंग के जरिये रकम का हेराफेरी करती हैं।
गीतांजलि में विभिन्न पदों पर काम कर चुके एक पूर्व सलाहकार अतुल मर्चेंट ने कहा कि चोकसी के निर्वासन की वजह ब्रांडों में कभी न खत्म होने वाला उनका निवेश था। उन्होंने कहा, 'यदि आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि 1960 में कंपनी की शुरुआत के बाद गीतांजलि मुख्य तौर पर हीरो खरीद-फरोख्त में न कि विनिर्माण में मौजूद थी। उसी क्षेत्र में चोकसी को परेशानी हुई क्योंकि वह उसके लिए तैयार नहीं थे।' चोकसी कंपनी की समस्याओं के लिए कानून में सख्ती और सोने पर शुल्क में वृद्धि पर दोष मढ़ते रहे हैं लेकिन वास्तव में इसकी वजह उनकी खराब कारोबारी योजना थी।
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