लीथियम आयन बैटरी बनाएगी नालको | जयजित दास / भुवनेश्वर April 17, 2019 | | | | |
नैशनल एल्युमीनियम कंपनी (नालको) ने नए कारोबार में उतरने का फैसला किया है। कंपनी की योजना लीथियम आयन बैटरी उत्पादन के लिए संयंत्र लगाने की है। कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक टी के चंद ने कहा, यह संयंत्र ओडिशा में लगाया जाएगा। नालको लीथियम आयन बैटरी के उत्पादन के लिए अलग वर्टिकल बनाएगी। इस संयंत्र के लिए पूंजीगत खर्च आदि पर फैसला इस बीच ले लिया जाएगा। नालको ने लीथियम आयन टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण के लिए भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) के साथ करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इसरो का सैटलाइट व लॉन्च व्हीकल ऐप्लिकेशन लीथियम बैटरी से संचालित होते हैं क्योंकि इसमें काफी ऊर्जा होती है, यह भरोसेमंद होती है और इसका जीवन चक्र लंबा होता है। लीथियम आयन सेल के उत्पादन में नालको के उतरने से देश में इसका आयात घट सकता है। अभी भारत लीथियम आयन बैटरी के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और साल 2017 में 15 करोड़ डॉलर का आयात हुआ था। स्थानीय उत्पादन पर जोर देने के लिए सरकार ने लीथियम आयन बैटरी पर आधारभूत आयात शुल्क दोगुना कर दिया है।
नालको के प्रस्तावित संयंत्र के लिए कच्चा माल बोलिविया से मंगाया जाएगा। संयुक्त उद्यम खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल) में नालको के अलावा मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल) व हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की इक्विटी है और इसने संभावित अधिग्रहण के लिए बोलिविया में लीथियम संसाधन की खोज शुरू कर दी है। संयुक्त उद्यम में नालको की 34 फीसदी हिस्सेदारी होगी, वहीं दो अन्य साझेदारों के पास 33-33 फीसदी हिस्सेदारी होगी। बोलिविया के अलावा केएबीआईएल ने रणनीतिक खनिज संपत्ति की तलाश में अर्जेंटीना, पेरू और चिली का दौरा किया है।
पिछले साल 19 सितंबर को सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियों ने 12 रणनीतिक खनिज के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे, जो या तो देश में उपलब्ध नहीं है या फिर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। इस एमओयू पर नालको के सीएमडी टी के चंद, एचसीएल के सीएमडी संतोष शर्मा और एमईसीएल के सीएमडी गोपाल धवन ने हस्ताक्षर किए थे।
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