सोना-चांदी कीमत का बढ़ता अनुपात संकट का आगाज! | राजेश भयानी / मुंबई April 14, 2019 | | | | |
सोने-चांदी का कीमत का अनुपात 2010 के निचले स्तर पर जाने के बाद लगातार बढ़ा है। फिलहाल यह 86 से भी ज्यादा स्तर पर चल रहा है। 1971 में स्थापित चांदी उद्योग के हितधारकों के वाशिंगटन स्थित संस्थान सिल्वर इंस्टीट्यूट ने हाल में जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट - विश्व रजत रिपोर्ट 2019 में कहा है कि जब सोने-चांदी का कीमत अनुपात अधिक होता है तो यह किसी भावी संकट की ओर इशारा करता है। आमतौर पर 80 से ऊपर के अनुपात को अधिक माना जाता है और इस बार पिछले एक साल में औसत अनुपात 82 से अधिक रहा है। इसका दीर्घ कालिक औसत करीब 65 है।
यह अनुपात बताता है कि सोने के एक औंस से कितने औंस चांदी खरीदी जा सकती है। इस तरह यह अनुपात जितना अधिक होता है, चांदी की तुलना में सोना उतना ही महंगा रहता है और कम अनुपात का मतलब है कि चांदी में मजबूती आ रही है। संकट के समय में सुरक्षित निवेश के रूप में ज्यादा सोना खरीदने की प्रवृत्ति रहती है जिसके परिणामस्वरूप यह अनुपात बढ़ जाता है। रिपोर्ट बताती है सोने-चांदी का अनुपात संकट की स्थिति में बढ़ सकता है। हालांकि इस तरह के संकट की प्रकृति बताएगी कि अनुपात कैसे बढ़ेगा। अगर हालात यह इशारा करते हैं कि बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी तो निवेशक आमतौर पर चांदी की तुलना में सोना पसंद करेंगे।
1990 के दशक की शुरुआत में यह सीमा 100 तक पहुंच गई थी। उस समय दुनिया को लंबे खाड़ी युद्ध का सामना करना पड़ा था। बाद में 2002 और 2008 में भी यह अनुपात 80 से ऊपर रहा और दोनों ही अवधि में संकट अनुभव किया गया। इस बार यह अनुपात फिर से 80 से ऊपर चला गया है और पिछले कुछ समय से ऊंचा ही बना हुआ है। हालांकि किसी मंडराते संकट के लिए यही एकमात्र संकेत नहीं होता है। दुनिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा अपने विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा करने के लिए अधिक सोना खरीदने पर विश्व स्वर्ण परिषद ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि यह इस बात का संकेत है कि केंद्रीय बैंकों को कोई संकट पैदा होने की आशंका है जिसके लिए उन्हें अपने भंडार में विविधता लाने की आवश्यकता है। मौजूदा समय में अमेरिकी डॉलर के बाद सोने को ही दूसरे स्थान पर समझा जाता है। 2018 में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने अपने भंडारों में 650 टन सोना शामिल किया था जो 1971 के बाद से उनका सबसे बड़ा इजाफाथा।
हालांकि यह रिपोर्ट मूल्यवान धातुओं का कीमत परिदृश्य नहीं बताती है लेकिन जीएफएमएस थॉमसन रॉयटर्स के वरिष्ठï विश्लेषक देवजीत साहा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि 2019 में यह अनुपात करीब 78-79 के आस-पास रहेगा। यह हमारे चांदी के कीमत परिदृश्य पर आधारित है जहां हम दाम 15 से 17 डॉलर प्रति औंस के दायरे में रहने की उम्मीद कर रहे हैं। कीमत के इस स्तर पर उन्हें लगता है कि भारत में दाम औसतन 39,000-39,500 रुपये प्रति किलोग्राम रह सकते हैं और बढ़कर 41,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2018 में 6,958 टन चांदी का आयात किया गया जो वर्ष 2015 के 7,579 टन के बाद दूसरा सबसे ऊंचा स्तर है। लेकिन इस साल चांदी की कीमतों में मजबूती के रुझान के कारण यह आयात 5,700-5,800 टन के आस पास रह सकता है। भारत में मांग आमतौर पर कीमतों के अनुसार घटती-बढ़ती है। हालांकि अगर रुपया मजबूत हुआ तो यह आंकड़ा 6,000 टन के पार भी जा सकता है। पर आगे चलकर हालात राजनैतिक और आर्थिक परिस्थितियों और खनन उत्पादन पर निर्भर करेंगे।
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