माइंडट्री में उद्योग घरानों, म्युचुअल फंडों ने बढ़ाया निवेश | देवाशिष महापात्र / बेंगलूरु April 12, 2019 | | | | |
माइंडट्री भले ही एलऐंडटी द्वारा अधिग्रहण किए जाने की चुनौती से जूझ रही हो लेकिन कुछ उद्योग घरानों, घरेलू म्युचुअल फंडों और यहां तक कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी इस आईटी सेवा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। कंपनी द्वारा किए गए खुलासों के अनुसार, मार्च में समाप्त तिमाही के दौरान कंपनी में उद्योग घरानों की हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी बढ़कर 23.41 फीसदी हो गई जबकि दिसंबर तिमाही में यह आंकड़ा 19.53 फीसदी था। इन कंपनियों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि इनकी हिस्सेदारी 1 फीसदी से अधिक नहीं है जो अनिवार्य खुलासे के लिए निर्धारित सीमा है।
घरेलू म्युचुअल फंडों ने भी माइंडट्री में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। तीसरी तिमाही के दौरान कंपनी में इन फंडों की एकीकृत हिस्सेदारी 8.34 फीसदी थी जो बढ़कर चौथी तिमाही में 9.02 फीसदी हो गई। तीसरी तिमाही के दौरान माइंडट्री में 1 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले दो ही म्युचुअल फंड- 2.90 फीसदी हिस्सेदारी के साथ यूटीआई इक्विटी फंड और 1.08 फीसदी हिस्सेदारी के साथ एलऐंडटी म्युचुअल फंड ट्रस्टी थे। डीएसपी मिडकैप फंड और फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड ने चौथी तिमाही के दौरान माइंडट्री के नए निवेशक रहे।
हालांकि कंपनी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की एकीकृत हिस्सेदारी में पिछली तिमाही के दौरान मामूली गिरावट दर्ज की गई क्योंकि एक संस्थागत निवेशक पूरी तरह बाहर हो गया। तीसरी तिमाही के दौरान इस आईटी कंपनी में 1.04 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले स्टिचिंग डिपॉजिटरी एपीजी एमर्जिंग मार्केट्ïस इक्विटी पूल ने चौथी तिमाही के दौरान अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी। इससे माइंडट्री में एफपीआई की एकीकृत हिस्सेदारी मार्च के अंत में 92 आधार अंक घटकर 39.26 फीसदी रह गई जो तीसरी तिमाही में 40.18 फीसदी रही थी।
हालांकि कुछ लंबी अवधि के निवेशकों ने चौथी तिमाही के दौरान माइंडट्री में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई। उदाहरण के लिए, डब्ल्यू जीआई एमर्जिंग मार्केट्ïस स्मॉलर कंपनीज फंड ने अपनी हिस्सेदारी को 1.76 फीसदी से बढ़ाकर 1.65 फीसदी कर लिया। इसी प्रकार आरोही एमर्जिंग एशिया मास्टर फंड की हिस्सेदारी चौथी तिमाही में बढ़कर 1.52 फीसदी हो गई जो तीसरी तिमाही के अंत में 1.18 फीसदी रही थी। एक अन्य एफपीआई वेनगार्ड ने मार्च तिमाही के दौरान माइंडट्री में अपनी एकीकृत हिस्सेदारी को 2.51 फीसदी से बढ़ाकर 2.63 फीसदी कर लिया।
एलऐंडटी के साथ शेयर खरीद समझौते के तहत वीजी सिद्धार्थ और उनकी होल्डिंग कंपनियों को इस आईटी कंपनी में शेयरधारक के तौर पर नहीं दर्शाया गया था। हालांकि इस मझोले आकार की आईटी कंपनी में एक एस्क्रो खाते- एससीबी एस्क्रो खाता- प्रोजेक्ट कार्नेशन, लोटस ऐंड मैरीगोल्ड- की 19.95 फीसदी हिस्सेदारी थी। इस मामले से अवगत सूत्रों ने बताया कि सिद्धार्थ के सभी गिरवी शेयरों को इसी एस्क्रो खाते में रखा गया है। इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ और एक सक्रिय निवेशक टीवी मोहनदास पई ने कहा, 'उद्योग जगत ने कंपनी में अपना निवेश बढ़ाया है। लेकिन इस संबंध में खास खुलासे के बगैर हम यह नहीं बता सकते कि किसने कितने शेयर खरीदे हैं।'
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