एयरसेल: लेनदारों को बड़ा झटका! | सुरजीत दास गुप्ता और देव चटर्जी / मुंबई April 09, 2019 | | | | |
दिवालिया हो चुकी वायरलेस टेलीफोनी कंपनी एयरसेल के बकाये पर लेनदारों को 90 फीसदी का जबरदस्त नुकसान हो सकता है। इसके लिए एकमात्र बोली यूवी ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) से प्राप्त हुई है। एआरसी ने लेनदारों को 2,000 करोड़ रुपये की पेशकश की है जबकि इस कंपनी पर 20,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इस मामले के एक करीबी सूत्र ने बताया कि यूवी एआरसी के प्रस्ताव पर लेनदार अप्रैल के अंतिम सप्ताह में मतदान कर सकते हैं। जबकि परिणाम मई के मध्य तक आने की उम्मीद है। यदि बैंकों ने इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया तो ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों के अनुसार कंपनी को परिसमापन में भेज दिया जाएगा।
यूवी एआरसी पेशेवरों द्वारा प्रवर्तित कंपनी है जिसमें छह सरकारी बैंकों और दो बीमा कंपनियों की भागीदारी है। कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इन बैंकों और बीमा कंपनियों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्टï्र, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और नैशनल इंश्योरेंस शामिल हैं। भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नैशनल बैंक के नेतृत्व में बैंकों का एयरसेल पर 20,000 करोड़ रुपये का बकाया है जो जेट एयरवेज के बकाये के मुकाबले कहीं अधिक है। जेट एयरवेज पर लेनदारों का 8,500 करोड़ रुपये का बकाया है।
जेट एयरवेज के विपरीत एयरसेल अपनी वायरलेस सेवा का परिचालन काफी समय पहले बंद कर चुकी है। फरवरी 2018 में इस कंपनी ने नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में अपनी दिवालिया याचिका दायर की थी लेकिन बैंक अपनी रकम की वसूली इंतजार अब तक कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2012 में लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद अन्य तमाम दूरसंचार कंपनियों की तरह एयरसेल को भी अपना भारतीय कारोबार को बंद करना पड़ा था। संपर्क करने पर एयरसेल के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल और डेलॉयट के पार्टनर विजय कुमार वी अय्यर ने गोपनीयता प्रोटोकॉल के मद्देनजर टिप्पणी करने से इनकार किया। यूवी एआरसी के प्रवक्ता ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया। समाधान योजना के तहत कंपनी के फाइबर कारोबार की बिक्री रिलायंस जियो, भारती एयरटेल जैसी किसी प्रमुख भारतीय कंपनी को करने की कोशिश की गई थी। जबकि एऑन कैपिटल पार्टनर्स जैसे निजी इक्विटी फंड ने इसके लिए बोली भी लगाई थी।
इसके लिए रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने आईबीसी नियमों का सहारा लिया था जहां उसे कंपनी की सामान्य कारोबार से इतर की अप्राप्त परिसंपत्तियों को बेचने का अधिकार है। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल इस प्रकार की पहल तभी कर सकता है जब इससे बेहतर मूल्य प्राप्त होने के आसार दिखे। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के तहत बेची जाने वाली सभी परिसंपत्तियों का बुक वैल्यू अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के दावे के 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। एयरसेल के फाइबर कारोबार का दायरा अभी भी करीब 15,000 किलोमीटर है और जम्मू-कश्मीर एवं पूर्वोत्तर में उसकी उल्लेखनीय मौजूदगी है। एयरसेल के पास 2,000 से कम टावर भी हैं (जिनका वर्तमान मूल्यांकन 25 लाख रुपये प्रति टावर है) और उसके पास कुल करीब 85 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध है जो 2,100 बैंड में है।
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