देश में एक बार फिर से चुनावी हवा बह रही है और स्वदेशी के संरक्षकों की नाराजगी चीनी सामानों के विरोध के रूप में सामने आने लगी है। पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा हाल ही में भारतीय सैनिकों पर हुए हमले के लिए भी पाकिस्तान को चीन द्वारा समर्थन दिए जाने के रवैये को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसकी वजह से भी चीनी सामानों के विरोध की आग और अधिक भड़की है। देश की अग्रणी कारोबारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीनी सामानों के विरोध की आवाज बुलंद की थी और 19 मार्च को देशभर में चीनी सामारों की होली जलाई थी। कैट अध्यक्ष बी सी भरतिया और सचिव प्रवीण खांडेलवाल ने सरकार से चीनी सामानों 300 से लेकर 500 फीसदी तक सीमा शुल्क लगाने की मांग की थी।
मोबाइल हैंडसेट इस संगठन के और सोशल मीडिया योद्घाओं के रडार पर रहा है। समस्या है कि किसी भी हैंडसेट की जान कहे जाने वाले चिपसेट के निर्माण पर भी चीनी कंपनियों और चीन से करीबी संपर्क रखने वाली कंपनियों का दबदबा है। एक बार के लिए यह मुमकिन है कि लोग चीनी ब्रांड की जगह आसानी से स्थानीय ब्रांड का चुनाव कर लें लेकिन तब चिपसेट के बाजार में स्थानीय कंपनियों की कमी की वजह से स्वदेशी के चाहने वालों के लिए चीनी प्रभाव से खुद को अलग कर पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
उदाहरण के लिए यदि भारत में चिपसेट की सबसे बड़ी कंपनी क्वालकॉम की बात करें जिसकी स्मार्टफोन बाजार में 42 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी है, ने अपने लोकप्रिय स्नैपड्रैगन प्रोसेसर के निर्माण के लिए चीन की कंपनी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन (एसएमआईसी) को ठेका दिया है। स्नैपड्रैगन प्रोसेसर को प्रतिस्पर्धी बाजार में बेहतर माना जाता है और बड़े पैमाने पर इसका उपयोग 10,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच वाले मध्य श्रेणी के स्मार्टफोन में किया जाता है। और जब 25,000 से अधिक कीमत वाले स्मार्टफोन में इसके इस्तेमाल की बात की जाए तो उसमें इसका करीब करीब एकाधिकार है। देश की सबसे बड़ी स्मार्टफोन ब्रांड श्याओमी से लेकर बिक्री के मामले पर शीर्ष पर कायम रेडमी फोन हो या फिर बाजार में चुनौती पेश करने वाली सैमसंग की प्रचलित जे मोबाइल और ऑन सीरीज हैंडसेट सभी बड़े ब्रांड में चीन में बनी स्नैपड्रैगन चिपसेट प्रमुख तौर पर लगाई जाती है।
हालांकि, एसएमआईसी अपने से चिपसेटों का निर्माण नहीं रकती है। क्वालकॉम एसएमआईसी के साथ साथ ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्यूफेक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) और सैमसंग सहित विभिन्न फैब साझेदारों के साथ काम करती है। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक क्वालकॉम के हाल के अग्रणी प्रोसेसर का निर्माण पिछले दो वर्ष से क्रमश: सैमसंग और टीएसएमसी के साथ किया गया है। उन्होंने कहा, 'फैब साझेदार चुनने का निर्णय किसी प्लेटफॉर्म को शुरू करने के समय पर लिया जाता है।'
चिपसेट बाजार की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी मीडिया टेक की बात करें तो इसका मुख्यालय भले ही चीन के पड़ोसी देश ताइवान में है लेकिन चीन के निवेशकों और डिजाइनरों के साथ इसका करीबी संबंध है। इस कंपनी पर फिलहाल ताइवानी निवेशकों का नियंत्रण है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस बात को लेकर कई दौर की बातचीत चल रही है कि इसे बड़े पैमाने पर चीनी निवेशों के लिए खोल दिया जाए। ध्यान देने वाली बात है कि कुछ वर्ष पहले ही केवल ताइवान की सरकार के हस्तक्षेप के बाद ही चीनी की सरकारी नियंत्रण वाली सिंघुआ यूनीग्रुप की ओर से बंधक बनाने वाली अधिग्रहण बोली को टाला जा सका था। प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मीडिया टेक ने पिछले वर्ष 5जी से युक्त मोबाइल चिपसेट विकसित करने के लिए चाइना मोबाइल के साथ साझेदारी की थी।
स्थानीय विश्लेषक कंपनी टेकआर्क के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के स्मार्टफोन बाजार में मीडिया टेक की हिस्सेदारी 38.6 फीसदी है जो कि केवल क्वालकॉम से कम है और 5,000 रुपये से 10,000 रुपये वाली आधार स्तरीय स्मार्टफोन में दमदार उपस्थिति है। स्थानीय स्मार्टफोन बाजार में 10 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाली चिपसेट की कंपनी यूनीसोक (इसे पहले स्प्रेडट्रम के नाम से जाना जाता था) एक चीनी फैबलेस सेमीकंडक्टर कंपनी है जिसका मुख्यालय संघाई में है। टेकआर्क के अनुमान से पता चलता है कि जहां यूनीसोक के प्रोसेसर अमूमन महंगे हैंडसेट में इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं, शुरुआती स्तर के विशेष तौर पर 5,000 रुपये से कम कीमत वाले स्मार्टफोन में इसकी मौजूदगी देखी जा सकती है।
विभिन्न स्मार्टफोन कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि भारत का अपना कोई बड़ा चिपसेट निर्माता नहीं है जिसको देखते हुए यहां विदेशी चिपसेट निर्माताओं का दबदबा कोई आश्चर्य की बात नहीं है। टेक आर्क के मुख्य विश्लेषक फैजल कवूसा ने कहा, 'चीपसेट के निर्माण संयंत्र की स्थापना के लिए बड़ी मात्रा में निवेश राशि और विशेषज्ञता की जरूरत होती है जिसे ये चिपसेट विशेषज्ञ अपने साथ लाते हैं।' सरकारी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल और हैंडसेट उद्योग के वरिष्ठï कर्मचारियों ने दो वर्ष पहले ताइवान और वियतनाम का दौरा किया था। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से आयोजित इस दौरे का मुख्य उद्ïदेश्य अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) और हैंडसेट की डिजाइनिंग तथा उपकरणों में विशेषज्ञता हासिल करने की थी। ऐसा कोई संयंत्र लगाने का स्थानीय उद्योग की ओर से वादे का अभी भी इंतजार है।