बजाज फाइनैंस: कमजोर मांग से पड़ेगा दबाव! | हंसिनी कार्तिक / April 07, 2019 | | | | |
पिछले साल सितंबर में पैदा हुए नकदी संकट के बाद बजाज फाइनैंस में संक्षिप्त अवधि के लिए गिरावट दर्ज की गई थी। उसके बाद से इस शेयर में लगातार सुधार देखा गया है और यह 3,091 की अपनी मौजूदा सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंचा है। पिछले साल के निचले स्तर से इसमें 57 प्रतिशत की तेजी दर्ज की जा चुकी है। इसे मजबूत बुनियादी आधार से मदद मिली है। यह शेयर पिछले 6 महीने में बेहद पसंदीदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) शेयरों की सूची में शामिल होने में कामयाब रहा है।
कई कारकों से बजाज फाइनैंस को प्रतिस्पर्धियों से आगे रहने में मदद मिली है जिनमें बेहद महत्वपूर्ण है नकदी संकट के दौरान इसके अपेक्षाकृत मजबूत बने रहे की क्षमता, चाहे यह मुनाफे के संदर्भ में हो या उसकी ऋण बुक के संर्भ में। हालांकि ताजा आंकड़ों से संकेत मिलता है कि यदि उपभोक्ता मांग में मौजूदा कमजोरी बनी रहती है और ग्रामीण मांग सुस्त रहती है तो आगामी राह चुनौतीपूर्ण हो सकती है। एमके ग्लोबल फाइनैंशियल के विश्लेषकों का कहना है कि ताजा त्योहारी सीजन के बाद मांग में सुधार आना बाकी है।
ब्रोकरेज फर्म के अनुसार स्तर सतर पर ग्राहक उपस्थिति पूरे भारत में सालाना आधार पर 20-30 प्रतिशत तक घटी है। अखबारों की रिपोर्टों में भी ग्रामीण बाजारों से मांग में समान गिरावट का संकेत मिलता है। इन सब वजहों का बजाज फाइनैंस की वित्तीय स्थिति प्रभावित होगी। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेगमेंट के लिए ऋणों में रिटेल सेगमेंट और ड्यूरेबल्स निर्माताओं के लिए उधारी शामिल है और इनका कंपनी की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में 40 प्रतिशत का योगदान है। इसी तरह, ग्रामीण कर्जदार भी बजाज फाइनैंस के लिए एक महत्वपूर्ण ग्राहक सेगमेंट हैं और कंपनी कुल शाखाओं में ग्रामीण शाखाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत है। ग्रामीण ग्राहक खासकर आवासीय ऋणों, छोटे व्यवसायिक ऋणों और अन्य वाणिज्यिक ऋणों के लिए महत्वपूर्ण हैं। एसएमसी कैपिटल के सिद्घार्थ पुरोहित का कहना है, 'बड़ी तादाद में ग्राहकों द्वारा पूछताछ की गई है, लेकिन ये पूछताछ बिक्री में तब्दील नहीं हो रही हैं। जहां यह आम चुनाव के बाद बिक्री में तब्दील हो सकती हैं, वहीं वृद्घि की रफ्तार में कुछ नरमी देखी जा सकती है।'
इसलिए, किसी भी कमजोरी से बजाज फाइनैंस के लिए वृद्घि का रुझान प्रभावित होने और इसका मूल्यांकन प्रभावित होने की आशंका है, जो वित्त वर्ष 2020 की अनुमानित बुक वैल्यू के 6.6 गुना पर है। इससे बजाज फाइनैंस शीर्ष-15 सूचीबद्घ प्रतिस्पर्धियों में सबसे महंगा एनबीएफसी बन गया है। हालांकि बजाज फाइनैंस को अपने मौजूदा ग्राहकों पर निर्भरता बढ़ाकर किसी तरह की मंदी से मुकाबला करने में मदद मिल सकती है। हाल के वर्षों के दौरान क्रॉस-सेलिंग रणनीति के लिए चर्चित बजाज फाइनैंस ने अपने मौजूदा ग्राहकों के लिए अपनी उत्पाद पेशकशों में इजाफा किया है। इसके परिणामस्वरूप, भले ही नए ग्राहक जुडऩे की रफ्तार थोड़ी कमजोर हो, लेकिन पुराने कर्जदार नए ऋणों के लिए पहुंच बढ़ा सकता है। यही वजह है कि सेंट्रम ब्रोकिंग के मुख्य कार्याधिकारी निश्चल महेश्वरी का मानना है कि बजाज फाइनैंस ने स्वयं को खुदरा मांग के बजाय आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के तौर पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया है। मौजूदा समय में उसके ग्राहक आधार में क्रॉस-सेलिंग से हासिल किए गए 1.97 करोड़ ग्राहक शामिल हैं। जेफरीज के विश्लेषकों का कहना है कि सेगमेंट में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा से मुकाबला करना बजाज फाइनैंस का मुख्य मकसद है। इसलिए आगामी तिमाहियां यह आकलन करने के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगी कि क्या कंपनी की क्रॉस-सेलिंग रणनीति उसे अपने खास बाजारों में मंदी को मात देने में मदद मिलेगी या नहीं। 8 प्रतिशत पर फंड की लागत और 9 प्रतिशत पर शुद्घ ब्याज मार्जिन (मुनाफे का मापक) जैसे अन्य कारकों के आरामदायक दायरे में रहने से बजाज फाइनैंस की ऋण वृद्घि मार्च तिमाही में नजर रखे जाने के लिहाज से एक महत्वपूर्ण पहलू होगी।
|