नए नियमों से उद्योग जगत के बुजुर्ग निदेशकों की विदाई
सुंदर सेतुरामन / April 05, 2019
कंपनियों के संचालन के संबंध में 1 अप्रैल से भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) नए निर्देश प्रभावी होने से पहले भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल से कई बुजुर्ग निदेशक रुखसत हुए हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान कम से 228 कंपनियो में 75 वर्ष या इससे अधिक उम्र के निदेशकों ने इस्तीफ दिया है। इनमें 34 निदेशकों ने कहा कि उन्होंने सेबी के नए दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए इस्तीफा दिया है।
कुछ ने व्यक्तिगत कारणों और खराब सेहत का हवाला देकर विदाई ली, जबकि बाकी बचे लोगों ने बिना कोई कारण बताए इस्तीफा दिया है। विशेषज्ञों ने कहा कि इनमें से अधिकतर निदेशकों के रुखसत होने की वजह नई कंपनी संचालन संहिता है। नई संहिता में कार्यकारी निदेशकों की उम्र सीमा 70 वर्ष निर्धारित की गई है। विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ और निदेशक अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद इस्तीफा दे सकते हैं।
1 अप्रैल से 70 साल से अधिक उम्र के कार्यकारी निदेशक और 75 साल उम्र के गैर-कार्यकारी निदेशक विशेष प्रावधानों के तहत नियुक्त या पुनर्नियुक्त किए जा सकते हैं। इसके लिए 75 प्रतिशत समर्थन की दरकार होगी। इतना ही नही, ऐसी नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति पर कंपनी को स्पष्टीकरण भी देना होगा। सेबी का दिशानिर्देश कंपनी संचालन पर कोटक समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
जीवीके पावर, इंडियाबुल्स वेंचर्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज और जेऐंडके बैंक उन कंपनियों में शामिल हैं, जिनके गैर-कार्यकारी निदेशकों ने नियामकीय अनुपालन का हवाला देकर इस्तीफा दिया है। सेबी के नए नियमों का हवाला देकर 'सेवानिवृत्त' इस्तीफा देने वाले महत्त्वपूर्ण स्वतंत्र निदेशकों की एक लंबी फेहरिस्त है। इनमें जाने-माने अर्थशास्त्री वाई के अलघ, वाई एच मालेगाम, आर ए माशेलकर, विजय केलकर और अनिल धारकड़ शामिल हैं।
इन गतिविधियों के बाद इस बात पर विवाद छिड़ गया है कि निदेशक पद से इस्तीफा देने के लिए उम्र कोई सीमा होनी चाहिए या नहीं। कुछ लोगों का मानना है कि इस कवायद से नई पीढ़ी आगे आएगी, वहीं एक राय यह भी है कि इससे कंपनी के कौशल और कार्य शैली पर असर पड़ सकता है। इन्गवर्न के प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन कहते हैं, 'जब कई कंपनियों में कर्मचारी की औसत आयु करीब 28 से 34 साल है तो मुझे नहीं लगता कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के निदेशकों के बने रहने की कोई वजह है।'
स्टेकहोल्डर एम्पॉवरमेंट सर्विसेस के प्रबंध निदेशक जे एन गुप्प्ता ने कहा कि उम्र ऐसा विषय है जिस पर बहस की जा सकती है। उन्होंने कहा, 'उम्र संबंधी कोई नियम लाने से पहले एक मानक होना चाहिए और इसे पार किए जाने पर निदेशकों के पद पर बने रहने की समीक्षा की जानी चाहिए।'
केपीएमजी में पार्टनर साई वेंकटेश्वरन का कहना है कि कंपनियां अपने निदेशकमंडल को मजबूत करने और इसमें सही कौशल और विविध योग्यता वाले लोगों को लाने के लिए ऐसी चीजें करती रहती हैं। कोटक समिति ने कहा था कि 'उम्र किसी व्यक्ति के कार्य कौशल या उसकी क्षमता या बतौर निदेशक उसके अयोग्य होने के लिए उम्र कोई आधार नहीं होना चाहिए लेकिन खास उम्र के बाद पद पर बने रहने के लिए अंशधारकों की अनुमति लेनी पड़ सकती है।'
समिति ने कहा कि निदेशक मंडल में गैर-कार्यकारी भूमिका निभाने के लिए खासा समय चाहिए इसलिए कार्यकारी निदेशकों के लिए कंपनी अधिनियम की तरह ही गैर-कार्यकारी निदेशकों के उम्र को लेकर भी संतुलन बनाए रखने पर विचार होना चाहिए। पिछले साल एचडीएफसी के गैर-कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर दीपक पारेख की पुनर्नियुक्ति ने निदेशक पद के लिए उम्र और इसकी संख्या पर ध्यान खींचा था।
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