'आरबीआई के अधिकारों पर कोई संदेह नहीं' | बीएस बातचीत | | बीएस संवाददाता / April 04, 2019 | | | | |
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली द्विमासिक बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 25 आधार अंक की दर कटौती, नकदी प्रबंधन और 12 फरवरी के सर्कुलर के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश समेत विभिन्न मुद्दों पर मीडिया के साथ विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को आप किस तरह से देख रहे हैं?
सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई को विशेष कर्जदारों द्वारा चूक के संदर्भ में धारा 35एए के तहत अपने अधिकारों के इस्तेमाल में सक्षम बनाया है। इस धारा और बैंकिंग रेग्युलेशंस ऐक्ट की अन्य धाराओं के तहत आरबीआई के अधिकार किसी तरह से संदेह के दायरे में नहीं हैं। अदालती आदेश के संदर्भ में, आरबीआई को कई जरूरी कदम उठाने होंगे जिनमें संशोधित सर्कुलर जारी करना फंसे कर्ज के प्रभावी समाधान के लिए अनिवार्य हो सकता है। आरबीआई फंसे कर्ज के समाधान में तेजी लाने और ऋण संबंधी अनुपालन के लिए प्रतिबद्घ है।
क्या संशोधित सर्कुलर के लिए कोई समय-सीमा तय की गई है?
मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा, लेकिन संशोधित सर्कुलर जल्द आएगा और इसमें कोई अनावश्यक विलंब नहीं होगा।
ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें आरबीआई को अदालत में चुनौती दी गई है। आपका क्या कहना है?
हरेक व्यक्ति (व्यक्तिगत या कानूनी कॉरपोरेट संस्था) को किसी भी प्राधिकरण के निर्णय को अदालत में चुनौती देने का अधिकार है। रिजर्व बैंक भी इससे अछूता नहीं हो सकता। आपने हाल के वर्षों में देखा होगा कि मसौदा चर्चा पत्र या मसौदा सर्कुलर को चर्चा से पहले हमेशा आरबीआई की वेबसाइट पर रखा गया है। हालांकि इसकी सराहना करने की जरूरत होगी कि कई खास नियामकीय पहलू हैं और इनकी गंभीरता को देखते हुए इन्हें सार्वजनिक डोमेन पर उपलब्ध कराना और प्रतिक्रियाएं हासिल करना संभव नहीं है। ये ऐसे मामले हैं जिनमें रिजर्व बैंक को अपने स्वयं के निर्णय और हितधारकों तथा विश्लेषकों के साथ आंतरिक चर्चाओं के आधार पर काम करने की जरूरत होगी।
क्या घरेलू वृद्घि की रफ्तार मजबूत बनाने के संदर्भ में 25 आधार अंक की कटौती करना उचित है?
हम इसे लेकर सजग हैं कि दरों का उचित और प्रभावी क्रियान्वयन हो। बैंकों ने एमसीएलआर में 10 आधार अंक तक की मामूली कटौती की है। लेकिन और ज्यादा दर कटौती की जरूरत होगी। दर के संबंध में निर्णय लेने के लिए कई मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत होती और इसके आधार पर ही यह निर्णय लिया गया। मौजूदा समय में 25 आधार अंक की कटौती जरूरी थी।
पूंजी भंडार पर बिमल जालान की रिपोर्ट 31 मार्च तक आने वाली थी ...
समिति के चेयरमैन बिमल जालान ने मुझसे बातचीत की थी और हमने इसे लेकर व्यापक चर्चा की थी और मेरा मानना है कि उन्हें रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कुछ और दिनों की जरूरत है। इस संबंध में बातचीत शुरुआती चरण में है और मुझे समिति की चर्चाओं के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं है, क्योंकि यह समिति का विशेषाधिकार है।
हम नकदी की किल्लत की स्थिति में हैं, जिसे देखते हुए क्या तरलता को लेकर रुख में कोई बदलाव किया जाएगा? और क्या पसंदीदा विकल्प ओएमओ होगा या डॉलर से बदला-बदली?
आरबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना होगा कि व्यवस्था में पर्याप्त नकदी हो। जहां तक ओएमओ, मुद्रा विनिमय का सवाल है, मैं कह सकता हूं कि मुद्रा की अदला-बदली एक ऐसा अतिरिक्त इंस्ट्रूमेंट है जिसे हमने नकदी डालने के लिए अपने टूलकिट में शामिल किया है। हम व्यवस्था में नकदी डालने के लिए जरूरतों और अन्य जरूरी कारकों के आधार पर ओएमओ, मुद्रा विनिमय समेत सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे। उदाहरण के लिए, तरलता कवरेज अनुपात दो प्रतिशत तक बढ़ाकर और ब्याज दर डेरिवेटिव बाजार में कुछ उपायों के जरिये हम बाजार में पर्याप्त नकदी पहले ही उपलब्ध करा चुके हैं।
आपने ओएमओ और मुद्रा की अदला-बदली में से कौन से फॉर्मूले पर ज्यादा गंभीरता से विचार किया है?
अभी कोई फॉर्मूला तय नहीं किया गया है, बदलती वृहद आर्थिक स्थिति के आधार पर हम उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए कोई रेशियो तय नहीं किया जा सकता।
क्या आईएलऐंडएफएस को दिए गए ऋणों पर बैंक प्रावधान करेंगे?
हमने आदेश में बदलाव के लिए एनसीएलएटी के समक्ष अनुरोध दायर किया है। एनसीएलएटी को हमारा अनुरोध सुनना होगा और उसके अनुसार निर्णय लेना होगा।
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