अगली 2 तिमाही में बेहतर वृद्धि की उम्मीद | हंसिनी कार्तिक और अभिजित लेले / April 02, 2019 | | | | |
सावर्जनिक क्षेत्र की इकाई के रूप में साझा पहचान, विजया बैंक और देना बैंक के सीईओ के जमीनी काम, सुधार और बदलाव ने एकीकरण की राह आसान की है। बैंक आफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ पीएस जयकुमार ने हंसिनी कार्तिक और अभिजित लेले से कहा कि नई इकाई टिकाऊ विकास की राह बरकरार रखेगी। संपादित अंश :
करीब एक साल पहले आप बैंक आफ बड़ौदा (बीओबी) के साथ किसी बैंक के विलय के पक्ष में नहीं थे, लेकिन आप इस राह पर बढ़े?
हां। यह 18 महीने पहले की बात है। ऐसा इसलिए था क्योंकि हमने बैंक के रूप में खुद में बदलाव नहीं किया था। लेकिन 12 महीने से ज्यादा समय में भारत के बैंकिंग क्षेत्र में भारी बदलाव हुए हैं। सुधार के कदम, लेखांकन के सामंजस्य और प्रावधान मानक की दिशा में पहल हुई है। अब हम विलय के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
देना और विजया को साथ लाने में कितनी सहूलियत रही?
यह सहूलियत भरा रहा और मैं इसके लिए 3 या 4 वजहें मानता हूं। सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान के रूप में हमारी साझा पहचान है। दूसरे दोनों बैंकों के मुख्य कार्यकारियों (विजया बैंक के शंकर नारायण और देना बैंक के कर्णम शेखर)ने विलय के लिए कड़ी मेहनत की। तीसरे, वित्त मंत्रालय और वित्तीय सेवा विभाग की बड़ी भूमिका हमें सलाह देने और काउंसिलिंग में रही। आखिर में नियामकों और हमारे निदेशक मंडलों ने भी अपनी राय दी, जिससे यह प्रक्रिया सुविधाजनक हो सके।
मार्च में सरकार ने बीओबी में करीब 5,000 करोड़ रुपये पूंजी लगाई। यह आपके लिए कैसा रहा? संयुक्त इकाई की पूंजी पर्याप्तता के बारे में क्या आकलन है?
बीओबी के विलय के पहले के आंकजडों और विलय के बाद के अनुपात में कोई अंतर नहीं है। कुल मिलाकर पूंजी पर्याप्तता की स्थिति देखें तो हम 11.67 प्रतिशत पर हैं। विलय के बाद बनी इकाई का टियर 1 पूंजी अनुपात 9.86 प्रतिशत है, इस तरह से हम नियामकीय जरूरतों से एक प्रतिशत ऊपर रहेंगे। सरकार ने इक्विटी पूंजी के रूप में हमें 5,000 करोड़ रुपये दिे हैं, जिससे सीएआर में एक प्रतिशत से ज्यादा का सुधार होगा।
बेसल-3 मानकों के तहत बैंकोंं को 11.5 प्रतिशत पूंजी पर्याप्तता बरकार रखनी होगी। साथ ही बैं को अतिरिक्त पूंजी भी रखनी पड़ सकती है क्योंकि विलय के बाद यह महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंक हो सकता है। ऐसे में आप अतिरिक्त पूंजी कहां से जुटाएंगे?
इसके लिे 3-4 रास्ते हैं, जिनके माध्यम से बैंक पूंजी जुटाने में सफल रहेगा। पहले- कर्मचारी स्टॉक (शेयर) खरीद योजना है। हमने विलय प्रकिया पूरी होने तक के लिए यह योजना रोक दी है। इससे हमें 1,200 करोड़ रुपये मिलेंगे। दूसरे, हम बॉन्ड जारी कर अतिरिक्त टियर-3 पूंजी जुटा सकते हैं। हम करीब 1,500 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं। हमारे लिए अगर कोई वित्तीय संपत्ति मुख्य नहीं है तो उसे बेचने की योजना है।
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