एक रॉकेट, 3 कक्षा और 29 उपग्रह | टी ई नरसिम्हन / April 01, 2019 | | | | |
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को भारत के निगरानी उपग्रह एमिसैट और 28 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इन्हें एक ही रॉकेट की मदद से 3 कक्षाओं में स्थापित किया गया। इससे अंतरिक्ष में प्रयोग करने में सहायता मिलेगी। इस प्रक्षेपण में उद्योग की भागीदारी देखी गई। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से सोमवार सुबह 09:27 पर पीएसएलवी-सी45 का प्रक्षेपण किया गया। प्रक्षेपण के बाद इसरो प्रमुख के शिवन ने बताया कि 28 विदेशी उपग्रहों के साथ एमिसैट उपग्रह को संबंधित कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मिशन में कई प्रक्रियाएं पहली बार की गईं। जैसे, इससे नई पीएसएलवी टीम जुड़ी थी, पीएसएलवी-क्यूएल के नए कॉन्फिगरेशन और 4 स्ट्रेप-ऑन मोटर वाला पीएसएलवी का नया वर्जन। इसके अलावा इस बार के मिशन में 3 अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रह स्थापित किए गए।
436 किलोग्राम वजनी एमिसैट डीआरडीओ के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस उपग्रह है। इसे प्रक्षेपण शुरू होने के 17 मिनट के भीतर 748 किलोमीटर ऊपर सन-सिन्क्रोनस पोलर ऑर्बिट में स्थापित किया गया। यह उपग्रह केए बैंड का उपयोग करेगा और बादल, बारिश, जंगल तथा तटीय क्षेत्रों में भी काम करेगा। इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस में विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम मापने के लिए एक सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) लगा हुआ है जिसकी सहायता से रडार संकेतों की पहचान, उसकी जगह को खोजना और आरएफ सिग्नेचर की मदद से रडार संचालित करने वाले के बारे में जानकारी लि सकेगी। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के सलाहकार (अंतरिक्ष विभाग) रतन श्रीवास्तव कहते हैं कि जब एमिसैट को 'एयरबोर्न वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टमÓ के साथ उपयोग में लाया जाएगा तो यह भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपकरण होगा और इसकी मदद से दुश्मनों के रडार की पहचान करना काफी आसाना हो जाएगा और हम अपने आसमान को सुरक्षित रख पाएंगे।
एक सप्ताह के भीतर यह इसरो और डीआरडीओ की सम्मिलित दूसरी सफल उड़ान है। इससे पहले दोनों ने 27 मार्च को मिशन शक्ति सफलतापूर्वक पूरा किया था जिसके तहत भारत ने एंटी-उपग्रह मिसाइल की सहायता से लो-अर्थ ऑर्बिट में 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक भारतीय उपग्रह को नष्ट कर दिया था। यह भारत की स्वदेशी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन था। पीएसएलवी-सी45 प्रक्षेपण की एक खासियत यह थी कि इस व्हीकल में 4 स्टेज इंजन लगे थे और 28 विदेशी उपग्रहों को स्थापित करने के लिए इन्हें दोबारा शुरू किया गया। इन उपग्रहों में अमेरिका से 24, लिथुआनिया से 2 और स्पेन तथा स्विटजरलैंड के 1-1 उपग्रह शामिल थे। इस मिशन में उद्योग ने भी अहम भूमिका निभाई। करीब 95 प्रतिशत हार्डवेयर और उपग्रहों के 60-70 प्रतिशत सामान इसरो के बाहर बनाए गए थे।
2019 में 30 प्रक्षेपण
आगामी अभियानों की बात करते हुए इसरो प्रमुख के शिवन ने कहा कि इसरो ने इस वर्ष के लिए 30 अभियानों का चयन किया है। अब अगला प्रक्षेपण मई में होगा जिसमें पीएसएलवी की सहायता से रीसैट-2बीआर को कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद कार्टोसैट-3 उपग्रह का प्रक्षेपण होगा। इनके बाद चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। आज के प्रक्षेपण को शामिल करके अभी तक पीएसएलवी की सहायता से 46 देशी उपग्रहों के साथ ही भारतीय विश्वविद्यालयों के छात्रों द्वारा बनाए गए 10 उपग्रह और 297 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जा चुका है।
|