कृषि जिंस वायदा में प्रतिस्पर्धा कड़ी होने के आसार | राजेश भयानी / मुंबई March 31, 2019 | | | | |
कृषि जिंस डेरिवेटिव में जल्द ही कड़ी प्रतिस्पर्धा शुरू होने जा रही है। देश के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज या तो अपने पोर्टफोलियो का विस्तार कर रहे हैं या वे ऐसे अनुबंध शुरू करने जा रहे हैं जिनका अभी वायदा बाजार में कारोबार नहीं होता है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज ने नियामक के सामने हल्दी और अरंडी में कारोबारी की मंजूरी देने का प्रस्ताव रखा है। एक्सचेंज के प्रवक्ता ने कहा कि बीएसई और एनएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज पिछले साल अक्टूबर में जिंस डेरिवेटिव कारोबार में उतरे थे। शुरुआत में यह संभावना जताई गई थी कि एनएसई गैर-कृषि जिंसों का कारोबार स्थिर होने के बाद कृषि जिंसों के कारोबार में उतरेगा। हालांकि महज छह महीनों में ही एनएसई ने कुछ जिंस अनुबंध शुरू करने की तैयारी कर ली है। यह एक्सचेंज अनुबंध भी उन जिंसों में शुरू करने जा रहा है, जिनका फिलहाल देश के किसी भी वायदा एक्सचेंज पर कारोबार नहीं होता है।
एनएसई के प्रवक्ता ने इन जिंसों का नाम बताने से इनकार कर दिया। हालांकि सूत्रों ने कहा कि इनमें वे जिंस शामिल हो सकती हैं, जिनका पहले डेरिवेटिव कारोबार होता था। लेकिन बाद में उन्हें गैर-सूचीबद्ध कर दिया गया और फिर दोबारा उनका कारोबार शुरू नहीं हुआ। ऐसी जिंसों में अरहर, उड़द और आलू शामिल हैं। हालांकि अभी एनएसई विशेष ब्योरे लेकर नियामक के पास नहीं पहुंचा है। इस समय एनएसई जिंस डेरिवेटिव प्लेटफॉर्म पर सोने, चांदी, और कच्चे तेल का कारोबार होता है। अब तक नैशनल कमोडिटीज ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) कृषि जिंस डेरिवेटिव कारोबार में अगुआ रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज और आईसीईएक्स (इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज) जैसे अन्य एक्सचेंजों की सीमित जिंसों में सीमित मौजूदगी है।
बीएसई कपास, ग्वार और ग्वारगम में वायदा कारोबार शुरू कर चुका है। इन अनुबंधों में मिली प्रतिक्रिया के आधार पर बीएसई हल्दी और अरंडी में भी वायदा शुरू करने की योजना बना रहा है। इस समय एनसीडीईएक्स के कारोबार में 15 से 20 फीसदी हिस्सा अरंडी के अनुबंधों का है। हल्दी के डेरिवेटिव का कारोबार बहुत अधिक नहीं है। पिछले दो महीनों के दौरान बीएसई का कृषि जिंसों में कारोबार उसके गैर-कृषि कारोबार की तुलना में अधिक रहा है। इससे इस क्षेत्र में पहले से मौजूद एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के लिए चुनौती पैदा हो रही है। बीएसई को ओपन इंटरेस्ट बढऩे के साथ तरलता बढ़ाने पर भी काम करना होगा।
जिंस कारोबार में एनएसई का प्रवेश इस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है कि उसका कृषि केंद्रित डेरिवेटिव एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में निवेश है। एनएसई की एनसीडीईएक्स में 15 फीसदी हिस्सेदारी है। शुरुआत में एनएसई वे अनुबंध शुरू करने की योजना बना रहा है जिनका फिलहाल एनसीडीईएक्स पर कारोबार नहीं होता है। अग्रणी कृषि एक्सचेंज के रूप में एनसीडीईएक्स के पास डिलिवरी और रिपॉजिटरी की अच्छी व्यवस्था है। एक्सचेंज का डिलिवरी योग्य जिंसों के कारोबारी अनुबंधों के लिए एक रिपॉजिटरी के साथ अनुबंध है क्योंकि वेयरहाउस रिसिप्ट डिलिवरी के रूप में जारी की जा सकती हैं और रिपॉजिटरी ऐसे प्रत्येक निर्गम और उसके बाद के हस्तांतरण का रिकॉर्ड रखती है। एनएसई के पास रिपॉजिटरी नहीं है। एनसीडीईएक्स की एक रिपॉजिटरी है। वहीं बीएसई की सहायक कंपनी एक रिपॉजिटरी है, जिसमें एमसीएक्स की भी हिस्सेदारी है।
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