दवा कंपनियों का अनुपालन बेहतर | |
सोहिनी दास / मुंबई 03 26, 2019 | | | | |
► सन फार्मा, ल्यूपिन, कैडिला हेल्थकेयर, सिप्ला आदि बड़ी औषधि कंपनियां स्वचालन एवं इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रबंधन पर काफी निवेश कर रही हैं जिससे अनुपालन में सुधार हुआ
► पहले उत्पादन आंकड़े आमतौर पर मैनुअली दर्ज किए जाते थे लेकिन इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रबंधन से यूएसएफडीए के साथ डेटा एकीकरण की समस्या काफी हद तक दूर हुई
पिछले कुछ वर्षों के संघर्ष के बाद भारतीय औषधि उद्योग ने अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए के नियमों के अनुपालन के लिहाज से अपना प्रदर्शन बेहतर किया है। पिछले साल यानी वर्ष 2018 के दौरान न केवल अनुपालन परिणाम बेहतर हुए बल्कि वे काफी हद तक वैश्विक नतीजों के अनुरूप रहे। इस दौरान यूएसएफडीए द्वारा दर्ज 'ऑफिशियल ऐक्शन इंडीकेटेड' यानी ओएआई मामलों में भी तेजी से कमी आई। वर्ष 2014 में ओएआई के 27 मामले दर्ज किए गए जबकि 2017 में इन मामलों की संख 22 रही थी। लेकिन 2018 में यूएसएफडी ने महज 7 संयंत्रों को ओएआई श्रेणी में रखा।
निरीक्षण के बाद यूएसएफडीए संयंत्र को ओएआई अथवा वीएआई (वॉलंटरी ऐक्शन नीडेड) अथवा एनएआई (नो ऐक्शन नीडेड) श्रेणी में वर्गीकृत करता है। गौरतलब है कि अनुपालन में सुधार ऐसे समय में दिखा है जब 2011 से 2018 के बीच भारत में यूएसएफडीए द्वारा पंजीकृत दवा संयंत्रों की संख्या में 63 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके मुकाबले, चीन में 51 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि यूरोपीय संघ में 25 फीसदी की वृद्धि और खुद अमेरिका में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
देश में अनुसंधान आधारित औषधि कंपनियों के प्रतिनिधि संगठन इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) ने करीब 3 साल पहले भारतीय औषधि कंपनियों के बीच गुणवत्ता मानकों में सुधार के लिए पहल शुरू की थी। वर्ष 2016 में आईपीए के छह सदस्यों- कैडिला हेल्थकेयर, सिप्ला, डॉ रेड्डïीज लैबोरेटरीज, ल्यूपिन, सन फार्मास्युटिकल और टॉरंट फार्मास्युटिकल्स- ने डेटा एकीकरण और गुणवत्ता संबंधी समस्या से निपटने के लिए एक फोरम स्थापित किया था। वह कोशिश अब रंग लाई है।
आईपीए और परामर्श फर्म मैकिंजी के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, 2014 में भारत में 6 फीसदी वैश्विक निरीक्षण किया गया जो लगातार बढ़ते हुए 2018 में 14 फीसदी वैश्विक निरीक्षण तक पहुंच गया। भारत में 2018 के दौरान कुल 174 निरीक्षण किए गए जिसमें से केवल 7 को ओएआई श्रेणी में रखा गया जबकि 91 को वीएआई और 76 को एनएआई श्रेणी में वर्गीकृत किया गया। यह पिछले वर्ष के मुकाबले अनुपालन में उल्लेखनी सुधार को दर्शाता है। वर्ष 2017 में 22 निरीक्षण को ओएआई, 80 को वीएआई और 43 को एनएआई श्रेणी में रखा गया था।
अध्ययन में कहा गया है, 'डेटा विश्वसनीयता और निरीक्षण एवं मूल कारण के आकलन संबंधी खामियों में कमी आई है।' इसमें कहा गया है कि विनिर्माण प्रणाली और प्रयोगशाला नियंत्रण में अंतर अब अनुपालन की राह में प्रमुख बाधा है। कंपनियां अनुपालन में काफी निवेश कर रही हैं। ल्यूपिन के कार्यकारी उपाध्यक्ष (वैश्विक गुणवत्ता) राजीव देसाई ने कहा कि उद्योग अब अनुपालन संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए अधिक से अधिक स्वचालन को अपनाते हुए अपने श्रमबल के प्रशिक्षण एवं दक्षता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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