जेट पर उलटा पड़ा एतिहाद का दांव | सुरजीत दास गुप्ता / नई दिल्ली March 25, 2019 | | | | |
2013
► एतिहाद ने जेट में 24 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी
► सरकार ने भारत और अबु धाबी के बीच सीटों की संख्या चार गुना बढ़ाई
► केंद्र ने शर्तों के साथ हिस्सेदारी बिक्री को मंजूरी दी
2014
► एतिहाद सीईओ क्रेमर बॉल की अगुआई में शीर्ष अधिकारियों की एक टीम जेट एयरवेज से जुड़ी
2015
► दिसंबर तिमाही में जेट ने शानदार मुनाफा कमाया
2016
► एतिहाद की शीर्ष टीम का जेट से किनारा
2017
► जेम्स होगन ने एतिहाद के सीर्ईओ का पद छोड़ा, वैश्विक महत्त्वाकांक्षाओं में कटौती की और लागत घटाई
2018
► एतिहाद अब जेट में अपनी हिस्सेदारी बेचने के फिराक में
वर्ष 2016 में एतिहाद एयरवेेज ने दुनिया भर के 17 शहरों में फैशन वीक को समर्थन करने की मार्केटिंग योजना बनाई थी और अपनी साझेदार विमानन कंपनियों को सह-प्रायोजक बनने के लिए आमंत्रित किया था। एयर बर्लिन ने मर्सिडीज बेंज फैशन वीक की मेजबानी करने के लिए एतिहाद से हाथ मिलाया, वहीं मिलान फैशन वीक के लिए अलिटालिया आगे आई। जेट एयरवेज को लैक्मे फैशन वीक की सह-प्रायोजक के तौर पर आमंत्रित किया गया लेकिन जेट के मुख्य कार्याधिकारी नरेश गोयल ने इससे मना कर दिया।
यह जानकारी जेट के एक पूर्व अधिकारी ने दी। उन्होंने बताया कि दोनों कंपनियों के बीच 2013 से ही रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है जब एतिहाद ने जेट में हिस्सेदारी खरीदी थी। वर्तमान हालात में एतिहाद ने संकट में फंसी विमानन कंपनी को मदद करने के बजाय अपनी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया है। एतिहाद ने 2013 में जेट में 39.7 करोड़ डॉलर में 24 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके अलावा उसने गोयल की मदद के लिए उसके हीथ्रो हवाई अड्डïे के स्लॉट खरीदने के लिए 7 करोड़ डॉलर खर्च किए। जेट प्रिवीलेज में 50.1 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में भी एतिहाद ने 15 करोड़ डॉलर का निवेश किया है।
लेकिन जेट फिर से कर्ज में फंस गई और उसका कर्ज बढ़कर 8,000 करोड़ रुपये हो गया तथा कंपनी भुगतान में चूक करने लगी। हालांकि इस बार एतिहाद ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। एतिहाद ने जेट के कर्जदाताओं को पिछले हफ्ते बताया कि वह जेट में अपनी हिस्सेदारी औने-पौने दाम (17 फीसदी) पर बेच रही है। भारतीय विमानन क्षेत्र में 2013-14 में एतिहाद की हिस्सेदारी महज 2.2 फीसदी थी जबकि एमिरेट्स की हिस्सेदारी 11 फीसदी थी।
एतिहाद की योजना भारत-पश्चिम एशियाई बाजार में आकर्षक विकल्प देकर एमिरेट्स की बाजार हिस्सेदारी में सेंध लगाने की थी। इस योजना के तहत भारत से अमेरिका, यूरोप या अफ्रीका के लिए उड़ान भरने वाले यात्रियों को एतिहाद के साझेदारों एयर बर्लिन और डार्विन एयरलाइन एस आदि के साथ दुबई की जगह अबूधाबी से होकर यात्रा कराने की थी।गोयल ने तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के साथ अपनी राजनीतिक पहुंच का लाभ उठाते हुए दोनों कंपनियों के लाभ के लिए नियमों में बदलाव कराया।
उन्होंने विमानन मंत्रालय को भारत और अबुधाबी के बीच द्विपक्षीय उड़ानों को 13,300 सीट प्रति सप्ताह से बढ़ाकर 53,000 सीट यानी करीब चार गुना बढ़ाने के लिए मना लिया।2015 तक जेट मुनाफे में आ गई पैसे के लिए एतिहाद पर उसकी निर्भरता खत्म हो गई। दिसंबर 2015 तिमाही में जेट ने 467 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था। दूसरी ओर जून 2017 तिमाही में एतिहाद की भारतीय अंतरराष्टï्रीय उड़ान बाजार में हिस्सेदारी बढ़कर 5.2 फीसदी हो गई जबकि एमिरेट्स की हिस्सेदारी 10 फीसदी थी। लेकिन दिसंबर 2018 तिमाही में एतिहाद की हिस्सेदारी घटकर 3.3 फीसदी रह गई।दोनों विमानन कंपनियों के बीच क्या खटपट हुई यह पहले हुई खींचतान से स्पष्ट हो जाती है।
पहले हुए मनमुटाव किसी अन्य मुद्द से अधिक वजनदार रहे। मिसाल के तौर पर गोयल अधिक से अधिक स्वतंत्र रहना चाहते थे, जबकि एतिहाद जेट का परिचालन संभालना चाहती थी और गोयल से उम्मीद कर रही थी कि वह अपनी रणनीति उसके (एतिहाद) के हिसाब से तय करें। 19 विदेशी सदस्यों के साथ एक सहयोग मंडल का भी गठन हुआ था। तंत्र और राजस्व प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में एतिहाद की अहम भूमिका थी। शीर्ष टीम का नेतृत्व एतिहाद के कर्मचारी कर रहे थे और आंतरिक सूत्रों का कहना है कि जेटएयरवेज के परिचालन पर गोयल और एतिहाद की टीम में अक्सर नोक-झोंक होती रहती थी। 2016 में गोयल ने एतिहाद की टीम में अपने लोग भर दिए।
अबु धाबी के जेटएयरवेज के प्रमुख केंद्र होने पर भी दोनों पक्षों में मतभेद था। जेट एयरवेज का परिचालन अबु धामी के साथ पूरी तरह एकीकृत करने की गोयल की कोई इच्छा नहीं थी। एतिहाद की विस्तार योजना सफल नहीं रही है और इसका नुकसान बढ़ता जा रहा है और इसे अधिक मुनाफा देने वाले मार्गों पर उड़ानें रोकनी पड़ी हैं। वास्तव में एतिहाद और एमिरात के बीच विलय की चर्चा चल रही है।
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