बजाज अव्वल, अनिल पिछड़े | |
नरेंद्र मोदी के पांच साल के कार्यकाल में भारतीय उद्योग जगत का लेखाजोखा | कृष्ण कांत / मुंबई 03 25, 2019 | | | | |
.jpg)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में उन कारोबारी समूहों को सबसे अधिक फायदा हुआ जिनकी खुदरा वित्त और उपभोक्ता कारोबार में व्यापक मौजूदगी थी। दूसरी ओर बिजली, धातु, दूरसंचार और पूंजीगत सामान जैसे विनिर्माण क्षेत्र में निवेश वाले कई बड़े समूहों को पिछले पांच साल में नुकसान उठाना पड़ा। मोदी के कार्यकाल में सबसे अधिक फायदे में रहे कारोबारी समूहों की सूची में राहुल बजाज की अगुआई वाला बजाज समूह पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर हिंदुजा समूह रहा जबकि मुकेश अंबानी का रिलांयस समूह, मुरुगप्पा और अदाणी समूह शीर्ष पांच में रहे।
दूसरी ओर अनिल अंबानी और नवीन जिंदल की अगुआई वाले समूह तथा सन फार्मा के बाजार पूंजीकरण में सबसे ज्यादा गिरावट आई जबकि इस दौरान सुनील मित्तल के भारती समूह और पवन मुंजाल के हीरो समूह का सालाना रिटर्न बेहद मामूली रहा। टाटा, आदित्य बिड़ला, वेंदात और महिंद्रा समूह का बाजार पूंजीकरण भी एक अंक की सालाना चक्रवृद्धि विकास दर से बढ़ा।
विश्लेषकों का कहना है कि सबसे ज्यादा फायदे में रहे समूहों को उपभोक्ता मांग में तेज बढ़ोतरी और सुस्त कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय का लाभ मिला। एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, 'पिछले पांच साल में आर्थिक विकास में उपभोग मांग का बोलबाला रहा क्योंकि खुदरा उधारी तथा सरकारी खर्च में तेजी रही। कंपनियों के प्रदर्शन में इसकी झलक मिलती है।'
बजाज फाइनैंस और बजाज फिनसर्व के शानदार प्रदर्शन से बजाज समूह का राजस्व, मुनाफा और बाजार पूंजीकरण तेजी से बढ़ा। समूह का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 22 मार्च 2019 को 4.08 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो 26 मई, 2014 को एक लाख करोड़ रुपये था। इस दौरान मोदी सरकार के कार्यकाल में समूह का बाजार पूंजीकरण 32.4 फीसदी की वार्षिक दर से चार गुना बढ़ गया। बजाज फाइनैंस का बाजार पूंजीकरण पिछले पांच साल में करीब 16 गुना बढ़ा है जबकि इस दौरान बजाज फिनसर्व के बाजार पूंजीकरण में लगभग आठ गुना वृद्धि हुई। इसकी तुलना में समूह की प्रमुख कंपनी बजाज ऑटो का बाजार पूंजीकरण 8.8 फीसदी की सालाना दर से 50 फीसदी बढ़ा।
कुल मिलाकर देखें तो भारतीय उद्योग जगत का समेकित शुद्ध मुनाफा पिछले पांच साल में लगभग स्थिर रहा और वित्त वर्ष 2014 से 2019 के दौरान यह 2.6 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। इसी अवधि में कंपनियों की आय सालाना आधार पर 4.6 फीसदी बढ़ी है। वित्त वर्ष 2019 के आंकड़े वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में कंपनियों के प्रदर्शन पर आधारित हैं।
वित्तीय और शेयर बाजार के पिछले पांच साल के प्रदर्शन का विश्लेषण 679 कंपनियों के नमूनों पर आधारित है, जिनमें निजी क्षेत्र के देश के शीर्ष गैर-वित्तीय कारोबारी समूह शामिल हैं। हमारे विश्लेषण में वित्त वर्ष 2019 में 25,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक की एकीकृत राजस्व वाले समूहों को रखा गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज पिछले पांच साल में निजी क्षेत्र में सबसे बड़ा एकल निवेशक रही।
जेएसडब्ल्यू स्टील ने भारत की सबसे मूल्यवान स्टील कंपनी के मामले में टाटा स्टील को पीछे छोड़ दिया जबकि अदाणी समूह सबसे बड़े बंदरगाह परिचालक एवं बिजली वितरक समूह के तौर पर उभरा। नमूने में शामिल सभी कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में वृद्धि की तुलना में उनका मुनाफा और आय अपेक्षाकृत कम रही। हमारे नमूने में शामिल कारोबारी समूहों में पिछले पांच साल में एक-तिहाई ने ही आय में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की है जबकि तीन समूहों की आय घटी है। हालांकि करीब आधे कारोबारी समूहों ने इस दौरान मुनाफे में दो अंक की वृद्धि दर्ज की है।
दूसरी ओर अनिल अंबानी समूह की फर्मों का एकीकृत बाजार पूंजीकरण करीब 85 फीसदी घटा है जबकि नवीन जिंदल की फर्मों के बाजार पूंजीकरण में करीब 40 फीसदी की कमी आई है। जयप्रकाश एसोसिएट्स, वीडियोकॉन, लैंको इन्फ्राटेक, एमटेक ऑटो, भूषण स्टील एवं भूषण पावर के सिंघल ब्रदर्स, आलोक इंडस्ट्रीज एवं एस्सार समूह की कंपनियों को दिवालिया अदालत में जाना पड़ा।
|