टर्म प्लान पर घटाएं अपना खर्च | तिनेश भसीन / March 24, 2019 | | | | |
हाल में दो जीवन बीमा कंपनियों- मैक्स लाइफ इंश्योरेंस और आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस (एबीएसआईएल) ने भारतीय लोगों की वित्तीय तैयारी का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किए। दोनों कंपनियों के आंकड़े अलग रहे, लेकिन नतीजे एकसमान आए। ज्यादातर लोग टर्म प्लान लेना पसंद नहीं करते, भले ही वे वित्तीय सुरक्षा के लिए उपलब्ध सबसे सस्ती बीमा योजनाएं हैं। मैक्स लाइफ के सर्वेक्षण में कहा गया है कि जवाब देने वाले लोगों में से एक तिहाई (33.3 फीसदी) के पास जीवन बीमा पॉलिसी थीं, लेकिन केवल 20 फीसदी ने ही टर्म प्लान खरीदे थे। एबीएसआईएल के सर्वेक्षण के मुताबिक सर्वेक्षण में सवालों का जवाब देने वाले 83 फीसदी लोगों को यह पता था कि उन्हें अपने परिवार की वित्तीय सुरक्षा के लिए कितनी राशि की जरूरत है, लेकिन उनका कवर औसतन उनकी सालाना आय का महज 1.67 फीसदी था। यह कम से कम 10 गुना होना चाहिए। इसका मतलब है कि लोगों ने या तो बीमा ही नहीं खरीदा या शुद्ध सुरक्षा योजनाएं नहीं खरीदीं।
प्रीमियम एक दशक में सबसे कम
पिछले एक दशक के दौरान टर्म प्लान के प्रीमियम में भारी कमी आई है, लेकिन फिर लोग उनसे दूर बने हुए हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के उप प्रबंध निदेशक पुनीत नंदा ने कहा, 'जीवन बीमा कंपनियों ने पिछले 18 वर्षों के दौरान काफी अनुभव हासिल किया। उन्होंने अपनी अंडरराइटिंग में सुधार किया है। बिग डेटा, डेटा एनालिटिक्स आदि से उन्हें ग्राहकों का बारीक विश्लेषण करने में मदद मिली है, जिससे वे अनुमानित मॉडल और कीमत योजनाएं बना पा रही हैं।' नंदा का कहना है कि एक दशक पहले 30 वर्ष के व्यक्ति के लिए एक करोड़ रुपये के कवर का सालाना प्रीमियम 20,000 रुपये से 30,000 रुपये था। आज यह लागत 8,000 रुपये से 10,000 रुपये है। वितरक भी इन योजनाओं को बेचने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के जीवन बीमा प्रमुख संतोष अग्रवाल ने कहा, 'बहुत से वितरक टर्म प्लान बेचने को तरजीह नहीं देते हैं क्योंकि इनकी कीमत कम होती है और इस वजह से उन्हें कमीशन भी कम मिलता है।'
बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य संस्थागत व्यवसाय अधिकारी धीरज सहगल ने कहा कि बहुत से लोग अपने जीवन के लक्ष्यों की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि निवेश एवं कर बचत के लक्ष्य हासिल करने के लिए बीमा खरीदते हैं। अब तक भारतीय निवेश आधारित बीमा योजनाएं खरीदते आए हैं और इसलिए वे पॉलिसी की अवधि खत्म होने पर कुछ 'प्रतिफल' की भी उम्मीद करते हैं। मगर टर्म पॉलिसी में ऐसा संभव नहीं है। हालांकि इस योजना में आपको पैसा वापस नहीं मिलेगा। लेकिन आप कुछ ऐसी रणनीतियां अपना सकते हैं, जिनसे आप पर्याप्त कवर सुनिश्चित करते हुए अपने प्रीमियम को घटा सकते हैं।
कवर अलग-अलग अवधि का लें
आम तौर पर समय गुजरने के साथ बीमा की जरूरत घटती जाती है क्योंकि उस अवधि में व्यक्ति की बचत और संपत्ति बढ़ जाती हैं। माना कि एक व्यक्ति 35 साल का है और वह 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होगा। उसे अपने कार्यशील जीवन के लिए 25 साल की पॉलिसी की जरूरत होगी। इस नौकरी करने की उम्र में वह पैसा कमाता है और जीवन के लक्ष्यों में योगदान देता है। माना कि उसे सेवानिवृत्ति, बच्चों की शिक्षा एवं विवाह समेत अपने लक्ष्यों के लिए 2 करोड़ रुपये का कोष बनाने की जरूरत होगी। अगर वह 2 करोड़ रुपये का सबसे सस्ता ऑनलाइन टर्म प्लान लेने का विकल्प चुनता है तो सालाना प्रीमियम 17,396 रुपये होगा। लेकिन उसे इस पूरी अवधि में 2 करोड़ रुपये के कवर की जरूरत नहीं पडऩे की संभावना है। अगर व्यक्ति 2 करोड़ रुपये का एक प्लान लेने के बजाय कवर को चार बराबर हिस्सों यानी 50-50 लाख रुपये में बांट देता है और अलग-अलग अवधि यानी 10, 15, 20 और 25 वर्ष की पॉलिसी लेता है तो प्रीमियम में बचत होगी और उसे अपनी बीमा की जरूरत से भी कोई समझौता नहीं करना पड़ेगा। व्यक्ति का 2 करोड़ रुपये के 25 साल के कवर पर कुल खर्च 4.48 लाख रुपये आएगा। लेकिन अगर वह अपने बीमा कवर को अलग-अलग अवधि में बांट देता है तो उसे इस अवधि के दौरान 2.79 लाख रुपये चुकाने होंगे। इस तरह 1.7 लाख रुपये की बचत होगी। उसकी पॉलिसी 10वें साल से हर पांच साल के अंतराल पर परिपक्व होने लगेंगी। पहले 10 वर्षों के दौरान चार पॉलिसियों की कुल बीमित राशि 2 करोड़ रुपये होगी। इसके बाद जब वह व्यक्ति 45 साल का हो जाएगा तो यह बीमित राशि घटकर 1.5 करोड़ रुपये हो जाएगी। वहीं 50 साल का होने पर एक करोड़ रुपये हो जाएगी। एगोन लाइफ के प्रमुख (उत्पाद विकास एवं प्रबंधन) हरिश कुरुदी ने कहा, 'बीमा अवधि को बांटने से आपके प्रीमियम खर्च में 25 से 30 फीसदी की बचत हो सकती है।'
जिम्मेदारियों के लिए घटाएं कवर
होम लोन लेते समय ऋण राशि और अवधि के बराबर टर्म प्लान लेना चाहिए। अगर ऋणी की मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिस कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं तो कर्जदाता घर पर कब्जा कर लेता है। लेकिन टर्म कवर लिया हुआ होने पर ऋणी के कुछ होने पर कवर से शेष कर्ज का भुगतान होगा। आप पूरी अवधि के दौरान एकसमान कवर के लिए टर्म प्लान लेने के बजाय घटती टर्म एश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं, जिसे क्रेडिट लिंक्ड इंश्योरेंस भी कहा जाता है। इसमें बीमित राशि हर साल कम होती जाती है। इसका फायदा यह है कि प्रीमियम नियमित टर्म प्लान की तुलना में कम है। उदाहरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी 35 साल की उम्र वाले व्यक्ति से 24 लाख रुपये के कवर के लिए 30 साल तक हर साल 67,449 रुपये प्रीमियम वसूल करेगी। ऋणी को पूरा प्रीमियम एक बार अग्रिम देना पड़ेगा। यह बीमा कंपनी नियमित प्लान 1.01 लाख रुपये के प्रीमियम पर बेचती है। बहुत कम कंपनियां यह योजना लोगों को मुहैया कराती हैं। ज्यादा इसे ग्रुप प्लान के रूप में बेचती हैं। अगर आपका ऋणदाता घटती बीमित राशि के रूप में योजना मुहैया कराता है तो इसकी अन्य क्रेडिट-लिंक्ड प्लान और उसी स्तर के टर्म प्लान से तुलना करें। कुरुदी ने कहा, 'प्रीमियम में कमीशन और लागत शामिल होती हैं, लेकिन फिर भी यह 8 से 10 फीसदी सस्ता होता है।'
एक बार प्रीमियम चुकाकर हासिल करें छूट
अगर कोई व्यक्ति सालाना या मासिक प्रीमियम चुकाने के बजाय पूरी राशि एक बार में ही चुकाने को तैयार होता है तो बीमा कंपनियां छूट मुहैया कराती हैं। अगर कोई 35 साल का व्यक्ति 20 साल की अवधि के लिए 50 लाख रुपये की बीमा लेता है तो सालाना प्रीमियम कम से कम 4,012 रुपये आएगा। इसका मतलब है कि बीमित व्यक्ति को पॉलिसी अवधि के दौरान 80,240 रुपये चुकाने होंगे। अगर पूरा प्रीमियम एक साथ चुकाया जाता है तो पॉलिसी 59,531 रुपये में खरीदी जा सकती है। असल में यह बचत नहीं है। अगर आप पूरे पैसे का अग्रिम भुगतान करने के बजाय इसे निवेश करते हैं तो आपके फंड में बढ़ोतरी होगी। इसे धन का समय मूल्य कहा जाता है। बीमा कंपनियां इसे ध्यान में रखती हैं और इसलिए छूट की पेशकश करती हैं। अगर आप 5 से 10 साल जैसी कम अवधि के लिए पॉलिसी खरीद रहे हैं तो एकबारगी भुगतान करना सही साबित हो सकता है। आप और बचत के लिए इसे अलग-अलग अवधि में बांट सकते हैं। यह उन कारोबारियों के लिए भी उपयोगी है, जिनकी नकदी आवक अप्रत्याशित है।
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