उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में सत्तारुढ़ बहुजन समाज पार्टी के लिए निगम और बहुत सारे राज्य कर्मचारी होली का रंग बिगाड़ सकते हैं। चुनाव के मौसम में खफा निगम कर्मचारी पहले ही राज्य सरकार के विरोध का ऐलान कर चुके हैं। निगम कर्मचारी खुद को छठे वेतन आयोग का लाभ न दिए जाने से खफा हैं और उनका कहना है कि राज्य सरकार को उन्हें भी छठे वेतन आयोग का लाभ देना चाहिए। सरकार के छठे वेतन आयोग का लाभ निगम कर्मचारियों को न देने से करीब 54,000 कर्मचारी नाराज हैं। हालांकि राज्य सरकार ने छठे वेतन आयोग का लाभ सभी को देने का मन बना लिया था और वेतन निर्धारण के लिए बनी एस ए टी रिजवी कमेटी ने इसके लिए रिपोर्ट भी तैयार कर ली थी। पर लाभ वाले निगमों को ही छठे वेतनमान की सुविधा दी जाए इस मुद्दे पर मतभेद होने के चलते अंतिम फैसला नहीं हो पाया था। साथ ही राज्य रोडवेज के 11,000 कर्मचारी भी सरकार से नाराज हैं जिनका कहना है कि जानबूझकर उन्हें बोनस नही दिया गया और तब तक चुनाव की घोषणा कर दी गयी। गौरतलब है कि रोडवेज के कर्मचारियों को बोनस देने का फैसला राज्य सरकार ने ले लिया था पर चुनाव की घोषणा हो जाने के चलते इसे टालना पड़ा। अब रोडवेज के कर्मचारी इसे मुद्दा बनाकर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की सोच रहे हैं। साथ ही कई निगमों के कर्मचारी तो खुद को पुराना वेतनमान दिलाने के लिए संघर्ष करने की योजना बना रहे हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश के अधिकतर निगमों में काम करने वाले कर्मचारी अभी भी पांचवा वेतनमान पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। राज्य में केवल जल निगम, आवास विकास, परिवहन निगम, वन निगम, राजकीय निर्माण निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सेतु निगम के कर्मचारियों को ही पांचवा वेतनमान मिला है। बाकी निगम के कर्मी अभी पांचवे वेतनमान के लिए ही लड़ाई लड़ रहे हैं। चलचित्र निगम, आचार्य नरेंद्र देव शोध संस्थान, सिंधी अकादमी, अयोधया शोध संस्थान, पोल्ट्री कॉरपोरेशन सहित कई संस्थानों में अभी भी तीसरा वेतनमान ही मिल रहा है।
