डेढ़ महीने में सिर्फ हजार क्विंटल इमली पहुंची मंडी | बीएस संवाददाता / जगदलपुर March 19, 2019 | | | | |
बस्तर के हाट-बाजारों में इमली की खरीद जोरशोर से चल रही है, लेकिन संभाग की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी में इमली की आवक नहीं के बराबर हो रही है। पिछले दिनों लगभग 300 बोरा इमली मंडी लाई गई, लेकिन ई-टेंडर के चलते बोली नहीं लग पाई। मंडी के सूत्र बता रहे हैं कि इस साल मंडी में ई-टेंडर के जरिये इमली की खरीदी-बिक्री न के बराबर हुई है। व्यवसायी ई-टेंडर की जगह सामान्य बोली लगाए जाने की मांग पर अड़े हैं। हालांकि मंडी के बाहर संग्राहक और छोटे व्यवसायियों को अच्छे दाम मिल रहे हैं।
कृषि उपज मंडी में ई-टेंडर के चलते कारोबार पूरी तरह से ठप है। मंडी में इमली पहुंच रही है, लेकिन व्यवसायी बोली नहीं लगा रहे हैं। मंडी से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष इमली सीजन का डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद अब तक केवल 1,682 क्विंटल इमली की खरीद-बिक्री ई-टेंडर के जरिये की गई है। वहीं वर्ष 2017-18 में इस समय तक 2,840 क्विंटल इमली खरीदी जा चुकी थी। ई-टेंडर की प्रक्रिया लागू होने से पहले 2016 में कृषि उपज मंडी में एक से डेढ़ हजार क्विंटल इमली हर दिन मंडी पहुंचती थी।
600 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार
कृषि उपज मंडी इमली कारोबार की एशिया की सबसे बड़ी मंडी है। हर साल बस्तर संभाग में इमली का सालाना कारोबार करीब 600 करोड़ रुपये का होता है। यही वजह है कि दक्षिण राज्यों तथा खाड़ी देशों में इमली यहां से भेजी जाती है। इस सीजन की पहली खरीद अंचल के हाट-बाजारों में डेढ़ महीने पहले ही होने लगी थी। तीन हजार से लेकर साढ़े तीन हजार रुपये क्विंटल तक की कीमत संग्राहकों को व्यवसायी चुकता कर रहे हैं। मंडी सचिव सुरेश चौरे ने बताया कि इमली की आवक हो रही है, लेकिन व्यवसायियों ने बोली नहीं लगाई।
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