रुपया 9 माह के उच्च स्तर पर | अनूप रॉय / मुंबई March 18, 2019 | | | | |
सोमवार को भारतीय मुद्रा रुपया एशिया की सभी प्रमुख मुद्राओं की तुलना में मजबूत रहा। पोर्टफोलियो प्रवाह बढऩे की वजह से यह प्रति डॉलर 68.53 रुपये पर पहुंच गया, जो साढ़े आठ महीने का उच्चतम स्तर है। सोमवार के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 0.823 प्रतिशत मजबूत हुआ, जो इस क्षेत्र में सबसे तेज बढ़ोतरी है। कोरियाई वॉन 0.442 प्रतिशत मजबूत हुआ है। इस साल अब तक इसमें 1.8 प्रतिशत मजबूती आई है, वहीं थाई बहत 2 प्रतिशत से कुछ ज्यादा मजबूत हुआ है। मेकलई फाइनैंशियल के उपाध्यक्ष ऋतेश भंसाली ने कहा, 'मार्च में मजबूत पोर्टफोलियो प्रवाह के कारण रुपया मजबूत हो रहा है। वैश्विक स्टॉक बाजारों में भी तेजी है। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि पुलवामा की घटना के बाद मोदी सरकार फिर से सत्ता में आने वाली है। इससे राजनीतिक स्थिरता के संकेत मिलते हैं।'
मार्च में इक्विटी में पोर्टफोलियो प्रवïाह 3 अरब डॉलर से ज्यादा रहा है, जबकि डेट में प्रवाह 80 करोड़ डॉलर से ज्यादा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकों के साथ 5 अरब डॉलर स्वैप के प्रस्ताव को भी बाजार ने सकारात्मक लिया है। नोमुरा ने कहा है, 'रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत समर्थन देने से भारत के इक्विटी बाजारों में विदेशी निवेश का प्रवाह मजबूत व टिकाऊ बना हुआ है।' साथ ही यह भी कहा, 'नीतिगत प्रोत्साहन के साथ कम महंगाई का भी असर है और इसके 2019 की दूसरी छमाही के पहले कोई मसला नहीं रहने की संभावना नहीं है।'
भंसाली ने कहा कि बहरहाल रिजर्व बैंक की स्वैप सुविधा से संभवत: विनियम दरों पर बहुत ज्यादा असर पडऩे की संभावना नहीं है और यह 26 मार्च को होने वाली नीलामी में या उसके एक दिन पहले नजर आ सकता है। करेंसी डीलरों का कहना है कि रुपये की मजबूती की एक वजह यह है कि केंद्रीय बैंक ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कम कर दिया है। रुपये के कमजोर होने की आशंका से निर्यातकों ने डॉलर रोककर सावधानी वाला रुख अपनाया था, उन्होंने अब अपना घाटा कम करने के लिए डॉलर बेचना शुरू कर दिया है।
एक विदेशी बैंक के करेंसी डीलर ने कहा, 'घाटे को कम करने के रुख में तेजी आ रही है। तेज बदलाव से निर्यातक निराश हैं और उन्होंने डॉलर बेचना शुरू कर दिया है। इससे रुपये को और मजबूती मिल रही है।' रुपये की मजबूती पर निर्यातकों ने निराशा जताई है। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा, 'इस तरह की तेज बढ़ोतरी निर्यातकों के साथ आयातक ों के लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि उतार चढ़ाव से विनिमय दर में अनिश्चितता है।'
गुप्ता के मुताबिक जिन निर्यातकों ने उच्च विनिमय दर पर सौदे किए हैं, उदाहरण के लिए 74 रुपये प्रति डॉलर पर, लेकिन बैंकों द्वारा सीमा की अनुपलब्धता की वजह से हेज नहीं कर सके , उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसी तरह से जिन लोगों ने निर्यात के लिए कुछ महीने पहले 74 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से आयात किया है, उन्हें निर्यात पर अब 68-69 रुपये मिलेंगे, जो उनके लिए भारी झटका होगा। गुप्ता ने कहा, 'यह निर्यातकों के लिए नई और अतिरिक्त चुनौती है, जो पहले से ही वैश्विक मांग कम होने, नकदी की कमी की चुनौती से जूझ रहे हैं और उन्हें अन्य देशों की मुद्राओं से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।'
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