एचडीएफसी की आस्ति गुणवत्ता पर पड़ेगा असर! | हंसिनी कार्तिक / March 17, 2019 | | | | |
हाउसिंग फाइनैंस क्षेत्र की बड़ी कंपनी एचडीएफसी का हाल में दिग्गज शेयरों में बेहद कमजोर प्रदर्शन रहा है। इस साल की शुरुआत से एचडीएफसी का शेयर करीब 6 फीसदी गिर चुका है, जबकि इस अवधि में बीएसई का सेंसेक्स 4 फीसदी चढ़ा है। लेकिन अगर सकारात्मक कारकों को देखें तो हाल में नियामक की तरफ से नियम कड़े किए जाने के बावजूद एचडीएफसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कंपनी की पूंजी पर्याप्तता 17 फीसदी से अधिक है और उसके अपने शुद्ध फंड के मुकाबले ऋण अनुपात 6.2 फीसदी है, इसलिए निवेशकों को कोई नियामकीय दबाव नहीं झेलना पड़ेगा। हालांकि इस हाउसिंग फाइनैंस कंपनी द्वारा दिए गए ऋणों में 27 फीसदी हिस्सा थोक और डेवलपर ऋणों का है, जो उसकी चिंता बढ़ा सकता है। इसके मुख्य आवास ऋण खंड में मंदी भी चिंता का विषय है। इन दोनों के संकेत दिसंबर तिमाही (तीसरी तिमाही) में भी दिखा दिए हैं।
हाल की तिमाहियों में पहली बार एचडीएफसी के फंसे ऋणों (एनपीए) के अनुपात में तीसरी तिमाही के दौरान उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एचडीएफसी पर ज्यादातर दबाव थोक ऋणों की वजह से है, जो उसने रियल एस्टेट डेवलपरों को दिया हुआ है। कंपनी का सकल और शुद्ध एनपीए अनुपात दूसरी तिमाही में क्रमश: 1.13 फीसदी और 0.35 फीसदी था। यह आंकड़ा बढ़कर तीसरी तिमाही में क्रमश: 1.22 फीसदी और 0.43 फीसदी हो गया। थोक ऋणों का सकल एनपीए बढ़कर 2.5 फीसदी हो गया, जो पिछली पांच तिमाहियों के औसत से 30 आधार अंक अधिक है। दूसरी तिमाही में प्रावधान कवरेज अनुपात 69 फीसदी था, जो तीसरी तिमाही में 65 फीसदी पर आ गया। इन सभी का इस कर्ज प्रदाता की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ा है।
एचडीएफसी के शुद्ध लाभ में निवेश की बिक्री से लाभ को समायोजित करने के बाद केवल 10 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इसके लाभ पर अभी असर नहीं पड़ा है। शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) तीसरी तिमाही में क्रमिक आधार पर 13 आधार अंक बढ़कर 2.8 फीसदी रहा। यह कंपनी के लिए परिचालन के मुश्किल हालातों के बावजूद उसकी क्षमता को दर्शाता है। हालांकि यह रुझान लंबे समय तक बने रहने का पता आगे ही पता चल पाएगा। एचडीएफसी का स्प्रेड या ऋणों पर प्रतिफल और ऋणों की लागत में तिमाही दर तिमाही आधार पर 17 आधार अंक और साल दर साल आधार पर 35 आधार अंक घटकर 1.29 फीसदी रहा है।
एक अन्य कमजोरी ऋण की वृद्धि में दर्ज की गई है, जो अपनी रिकॉर्ड दर से नीचे बना हुई है। बाजार का अगुआ होने और मजबूत नेटवर्क की बदौलत एचडीएफसी की तरफ से दिए हुए कुल ऋणों में सालाना आधार पर 12.7 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। वहीं कंपनी की प्रबंधनाधीन संपत्तियों (एयूएम) में सालाना आधार पर 15 फीसदी वृद्धि हुई है। एचडीएफसी उन कुछेक हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों में से एक है, जिन्होंने इन मानदंडों में वृद्धि दर्ज की है। इसके बावजूद जब पहले की वृद्धि दरों से तुलना करते हैं तो तीसरी तिमाही 17 तिमाहियों में सबसे कमजोर रही। इसका मुख्य कारण थोक ऋणों का कम वितरण रहा।
इसी वजह से एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के विश्लेषकों का मानना है कि एचडीएफसी के अच्छी आवास ऋण प्रदाता होने के बावजूद यह अनुमान लगाना ठीक नहीं होगा कि एचडीएफसी अपनी बाजार हिस्सेदारी और बढ़ा लेगी क्योंकि आवास ऋण बाजार में बड़े बैंकों की लगातार मौजूदगी बनी हुई है। उन्होंने कहा, 'निर्माण और लीज रेंटल डिस्काउंटिंग के क्षेत्र में कॉरपोरेट ऋणों पर ध्यान हटाना अच्छी रणनीति है, लेकिन इससे मार्जिन में कुछ कमी आ सकती है। आस्ति गुणवत्ता में भी कुछ उतार-चढ़ाव से इनकार नहीं किया जा सकता।' सिटी रिसर्च ने वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए एचडीएफसी के आमदनी के अनुमानों को 2 से 7 फीसदी घटा दिया है। हालांकि जो निवेशक एडीएफसी के हाल के कमजोर प्रदर्शन का फायदा उठाना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा मौका है। कंपनी का मूल्यांकन घटकर उसके वित्त वर्ष 2020 के बुक वैल्यू प्रति शेयर के 4 गुने पर आ गया है, जो पहले 5 गुना था।
|