सरकार विभिन्न नियामकों और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के बीच खींचतान को दूर करने करने के लिए नियामकों का एक अलग फोरम स्थापित करने की तैयारी कर रही है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई), केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी), भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) इस फोरम में शामिल होंगे। इस फोरम का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों के इन नियामकों और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के बीच गतिरोध को दूर करना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'ये नियामक इस फोरम में बैठकर बातचीत और चर्चा के जरिये प्रतिस्पर्धा संबंधी तमाम मुद्दों को निपटा सकते हैं।' विभिन्न क्षेत्र के नियामकों और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के बीच क्षेत्राधिकार का मुद्दा काफी लंबे समय से उठाया जा रहा है। ऐसे तमाम मामले हैं जहां पीएनजीआरबी और विद्युत आयोग का सीसीआई के साथ गतिरोध बना है। हाल में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अधिकार क्षेत्र पर तीन प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने सवाल उठाए थे। इन दूरसंचार कंपनियों में भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर शामिल हैं। भारतीय दूरसंचार आयोग ने आरोप लगाया था कि इन तीनों कंपनियों ने बाजार में गुटबंदी कर रही हैं। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में गया और सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को फिलहाल इंतजार करना चाहिए ताकि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण इस मामले की जांच पूरी कर ले। एक अन्य मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने आरोप लगाया था कि उसकी प्रतिस्पर्धी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) ने एयर इंडिया के लिए विमान र्ईंधन की आपूर्ति के लिए साठगांठ कर लिया है। हालांकि सीसीआई द्वारा इस मामले की जांच के दौरान इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएलने दिल्ली उच्च न्यायालय में सीसीआई के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी थी। याचिका में कहा गया था कि यह मामला उस क्षेत्र के नियामक पीएनजीआरबी के अधिकार क्षेत्र में आता है।
