नितिन परांजपे: सुर्खियों में दिग्गज | विवेट सुजन पिंटो / मुंबई March 15, 2019 | | | | |
नितिन परांजपे को यूनिलीवर के अध्यक्ष (फूड ऐंड रीफ्रेशमेंट) पद से पदोन्नति देकर मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) बनाए जाने से लोगों को अचरज नहीं हुआ। उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र की विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी कैलेंडर वर्ष 2018 (कंपनी जनवरी से दिसंबर की अवधि को लेखा वर्ष मानती है) की चौथी तिमाही में बाजार के बिक्री अनुमान तक पहुंचने में विफलता के बाद लगभग हर मार्चे पर संघर्ष कर रही है।
विशेषज्ञों ने कहा कि अर्जेंटीना मुद्रास्फीतिक दबाव झेल रहा है और जनवरी में जारी वित्तीय नतीजों के अनुसार, विकसित बाजारों (जैसे यूरोप) में चौथी तिमाही की बिक्री उम्मीद से कमजोर रही। इसी दौरान यूनिलीवर के मुख्य कार्याधिकारी का पदभार संभालने वाले एलन जॉप के कार्यकाल की शुरुआत चुनौतीपूर्ण थी। सूत्रों ने बताया कि ऐसे समय में उन्हें परांजपे की जरूरत थी जिन्हें कंपनी में सम्मानपूर्वक मिस्टर डिपेंडेबल यानी मिस्टर भरोसेमंद कहा जाता है।
मुंबई के जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के पूर्व छात्र परांजपे ने हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) में अपने करियर की शुरुआत नहीं की थी। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) की थी। वह 1984 में पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही एलऐंडटी से जुड़ गए थे। उसके बाद 1987 में वह एचयूएल में नियुक्त हुए।
साल 2000 में वह यूनिलीवर लंदन चले गए और कंपनी के संगठनात्मक ढांचे की समीक्षा से कार्य की जिम्मेदारी संभाली। साल 2001 के दौरान उन्होंने चेयरमैन एवं यूनिलीवर के कार्यकारी समिति के वरिष्ठ सहायक पद पर काम किया।
साल 2002 में भारत लौटने पर परांजपे को लॉन्ड्री एवं हाउसहोल्ड केयर इकाई में वरिष्ठï पदों पर जिम्मेदारी दी गई। उन्हें 2004 में एचयूएल के उपाध्यक्ष (होमकेयर) और 2006 में कार्यकारी निदेशक (होम ऐंड पर्सनल केयर) पद पर नियुक्त किया गया। अप्रैल 2008 में उन्हें एचयूएल का मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) एवं यूनिलीवर के कार्यकारी उपाध्यक्ष (दक्षिण एशिया) की जिम्मेदारी दी गई। इस पद पर वह 2013 तक बरकरार रहे। इसी दौरान बाजार को वैश्विक मंदी का सामना करना पड़ा था। हालांकि भारत उससे काफी हद तक अछूता रहा लेकिन एचयूएल को तमाम चुनौतियों से निपटना पड़ा जैसे उसके पोर्टफोलियो में शामिल उत्पादों के बाजार में तमाम छोटे एवं क्षेत्रीय कंपनियों का उभार आदि।
परांजपे एचयूएल के सबसे युवा सीईओ रहे हैं और इस पद का कार्यभार संभालते समय उनकी उम्र 44 वर्ष थी। उन्हें बाजार में तगड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझते हुए कंपनी की पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों तक बढ़ाने का श्रेय है। विज्ञापन एवं विपणन के मोर्चे पर उन्होंने काफी आक्रामक रुख अपनाया और बाजार में अपने उत्पादों की धाक जमाई। अक्टूबर 2013 में उन्हें यूनिलीवर के होमकेयर इकाई का अध्यक्ष बनाया गया और इसके साथ ही वह
कंपनी के शीर्ष प्रबंधकीय निकाय यूनिलीवर लीडरशिप एग्जिक्यूटिव में शामिल हो गए। जनवरी 2018 में परांजपे को फूड ऐंड रीफ्रेशमेंट कारोबार का अध्यक्ष बनाया गया। यूनिलीवर के सीओओ के तौर पर उनका कार्यकाल मई से प्रभावी होगा और उम्मीद की जा रही है कि वह जॉप के कामकाज के बोझ को काफी हल्का कर देंगे। साथ ही वह विभिन्न बाजारों में कंपनी की वृद्धि को रफ्तार देते हुए गो-टु-मार्केट गतिविधियों को रफ्तार देंगे।
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