अरुप रायचौधरी और शाइन जैकब / नई दिल्ली March 15, 2019
इस साल अंतरिम बजट में 2018-19 के लिए घोषित पीएम-किसान योजना का तेल विपणन कंपनियों की बकाया सब्सिडी से सीधा नाता है। मामला कुछ यूं है कि इस नई योजना के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की है और इस रकम की भरपाई तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोलियम पर मिलने वाली सब्सिडी रोक कर की गई है। विभिन्न मंत्रालयों के सूत्रों से बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है।
चालू वित्त वर्ष के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी के मद में 24,933 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार सरकार नियंत्रित तेल विपणन कंपनियों की बकाया सब्सिडी निपटाने के लिए अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये देने पर गंभीरता से विचार कर रही थी। सरकार पेट्रोलियम सब्सिडी के मद में बिना किसी बकाया रकम के वित्त वर्ष 2019-20 की शुरुआत साफ-सुथरे तरीके से करना चाहती थी।
इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, '2018-19 के अनुदान के लिए तीसरे अनुपूरक मांग में तेल सब्सिडी के मद में अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये आवंटित करना चाह रही थी। हमारे पास ऐसा करने की गुंजाइश भी बन रही थी। हालांकि जब पीएम-किसान योजना का ढांचा तैयार हुआ तो सब्सिडी के मद में आवंटित रकम इस नई योजना के नाम कर दी गई।'
अगर इस रकम का आवंटन तेल विपणन कंपनियों की बकाया रकम के लिए होता तो संशोधित पेट्रोलियम सब्सिडी बढ़कर 45,000 करोड़ रुपये हो गई होती। ऐसे ही, वित्त वर्ष 2019 के लिए संशोधित तेल सब्सिडी अनुमान 24,833 करोड़ रुपये है, जो लगभग बजटीय अनुमान के बराबर ही है। अधिरकारियों का कहना है कि इस साल सब्सिडी के मद में वास्तविक भुगतान इस रकम के मुकाबले भी करीब 5,000 करोड़ रुपये कम रह सकता है।
सब्सिडी भुगतान नहीं होने से इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है। अधिकारी यह मानते हैं कि इस वित्त वर्ष के शुरुआती समय में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढऩे से चालू वित्त वर्ष में केंद्र पर पेट्रोलियम सब्सिडी का बोझ खासा बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि बकाया सब्सिडी अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दी जाएगी और वास्तव में अगले साल के सब्सिडी के अनुमानों में इन्हें जोड़ा भी जा चुका है। फरवरी के लिए आधिकारिक अनुमानों के अनुसार 2018-19 में पेट्रोलियम सब्सिडी 37,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था, जिनमें रसोई गैस के लिए 31,169 और केरोसिन के लिए 5,853 करोड़ रुपये शमिल थे।
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