उत्पादन घटाकर बढ़ेगा हीरे का मोल | राजेश भयानी / मुंबई March 14, 2019 | | | | |
वैश्विक स्तर पर हीरा खनन क्षेत्र में जरूरत से ज्यादा उत्पादन हो रहा है जिससे इस बहुमूल्य रत्न को पहले जैसा लाभ नहीं मिल पा रहा है। पिछले दो वर्षों से विश्व की खदानों में कच्चे हीरे का 15 करोड़ कैरट उत्पादन हुआ है जो 2008 के बाद का रिकॉर्ड स्तर है। अलबत्ता हीरा खनन करने वाली दुनिया की आठ प्रमुख कंपनियों ने अब हीरे के मूल्यवान गुण को लेकर जागरूकता निर्मित करने की कोशिश की है। साथ ही वे एक दशक की अवधि के दौरान मौजूदा उत्पादन में एक-तिहाई कमी लाने की योजना बना रही हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि हीरे को उसकी वास्तविक कीमत मिल सके।
दुनिया के 75 प्रतिशत हीरों का उत्पादन करने वाली अल रोजा, आर्गाइल और डी-बीयर्स समेत आठ बड़ी खनिकों की संस्था - हीरा उत्पादक संघ (डीपीए) के मुख्य कार्याधिकारी ज्यां-मार्क लिबेरर ने कहा कि फिलहाल कच्चे हीरे के दाम नरम चल रहे हैं और सूक्ष्म-परिदृश्य उतना उत्साहजनक नहीं है। हालांकि यह बुरा भी नहीं है। सौभाग्य से अमेरिकी बाजार में अब भी उम्मीद है। हालांकि यह 2017 जितना मजबूत नहीं है क्योंकि वर्तमान में डॉलर और शेयर हीरे जैसी लक्जरी परिसंपत्तियों की चमक चुरा रहे हैं। डीपीए वर्तमान और भविष्य के उपभोक्ताओं को अपनी जरूरतों और आकांक्षाओं से अवगत कराने में जुटा हुआ है। उपभोक्ताओं के साथ गहरा और दीर्घकालिक भावनात्मक संबंध गढऩे के लिए शोध पर आधारित हीरा विपणन कार्यक्रम तैयार किया गया है।
अधिक हीरा खनन का असर भारत में भी अनुभव होने के आसार हैं। हीरा तराशने के मामले में भारत विश्व का सबसे बड़ा केंद्र है। विश्व के लगभग 85 प्रतिशत हीरे यहां तराशे जा रहे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में ज्यां -मार्क ने कहा कि भारत में तराशे गए हीरों के दाम भी नरम रहे हैं तथा हीरा तराशने वाली इकाइयां और कंपनियां तत्काल मांग को पूरा करने के लिए जरूरत के आधार पर ही स्टॉक कर रही हैं। स्टॉक के संबंध में वे बहुत सतर्क हैं। चुनावों से पहले अनिश्चितता की स्थिति है। इस समय हीरे जड़े आभूषण जैसी लक्जरी परिसंपत्तियों की उपभोक्ता मांग कम रहती है। अलबत्ता यह संकटपूर्ण स्थिति नहीं है क्योंकि भारत में स्थानीय बिक्री के विस्तार की बहुत संभावना है। उन्होंने कहा कि यह बिक्री मौजूदा 6-7 फीसदी से काफी ज्यादा हो सकती है। इस साल कच्चे हीरे के दामों में भी नरमी दिखी है।
हीरा उत्पादक संघ ने एसऐंडपी ग्लोबल को हीरा खनन पर एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। रिपोर्ट के जरिये इस क्षेत्र के हालात, आर्थिक और सामाजिक जीवन तथा कर्मचारियों और सरकार को कर आदि के रूप में हीरा खनन के लाभ बताए जाएंगे। हीरे की प्रतिष्ठा बहाल करने और कृत्रिम हीरे की पहचान करने में भारतीय इकाइयों की मदद करने के लिए भी एक अभियान शुरू किया जा रहा है। डीपीए रत्न और आभूषण निर्यात संवद्र्धन परिषद सहित उद्योग के भारतीय भागीदारों के साथ काम कर रहा है। भारतीय रत्न और आभूषण क्षेत्र को धीमी बिक्री, पिछले साल धोखाधड़ी के कुछ बड़े मामलों के बाद कार्यशील पूंजी की कमी और हीरे के गहनों जैसी लक्जरी परिसंपत्तियों की मांग में वैश्विक मंदी के प्रभाव जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
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