►बीऐंडआर : दिल्ली कैंट, फरीदाबाद, कल्याण, आबूरोड, कानपुर सेंट्रल, आसनसोल, कोलकाता टर्मिनल, अंबाला कैंट
सरकार 1 लाख करोड़ रुपये के स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के पहले चरण के 42 स्टेशनों के विकास के काम में तेजी लाने के लिए सरकार ने अब क्लस्टर अप्रोच अपनाया है। सराकर ने हर क्लस्टर का प्रभार 5 सरकारी कंपनियों को दिया है। इन कंपनियों में रेलवे की सहायक इकाई राइट्स, स्टील मंत्रालय की मेकॉन लिमिटेड, नैशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) और कोलकाता की ब्रिज ऐंड रूफ कंपनी (इंडिया) शामिल हैं। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, 'कंपनियां सलाहकारों को पर फैसला करने की प्रक्रिया में हैं। स्टेशनोंं को इस तरह से बांटा गया है कि उसमें भूमि क्षेत्र व आने वाले लोगों की संख्या के बीच संतुलन रहे।' पहले के टेंडर में रियल एस्टेट कंपनियों की ओर से सुस्त प्रतिक्रिया मिलने के बाद स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम का काम पूरा करने के हिसाब से यह तरीका अहम है।
इन पूल वाले 42 स्टेशनों के अलावा रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए बनी नोडल एजेंसी इंडियन रेलवे स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) ने पहले ही 13 स्टेशनोंं के पुनर्विकास की योजना ली है। एक सूत्र ने कहा कि दो स्टेशन- हबीबगंज और गांधीनगर का काम इस साल जुलाई तक पूरा किया जा सकता है। गांधीनगर में 80 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है, जबकि हबीबगंज में 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ 5 पीएसयू कम से कम 25 स्टेशनों के लिए सलाहकारों के नाम पर इस महीने के अंत तक मुहर लगा सकती हैं। कंपनियों में मेकॉन, एनपीसीसी और ईपीआईएल 9-9 स्टेशनों की इंचार्ज हैं। बहरहाल बीऐंडआर और राइट्स क्रमश: 8 और 7 स्टेशनों का काम देखेंगी। पुनर्विकास के मौजूदा चरण के प्रमुख स्टेशनों में पुणे, औरंगाबाद, इंदौर, मुंबई सेंट्रल, रांची, गांधीनगर (जयपुर), इलाहाबाद और बेंगलूरु कैंट शामिल हैं।
अक्टूबर महीने में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई स्टेशन पुनर्विकास नीति को मंजूरी दी थी, जिसके तहत आईआरएसडीसी को नोडल एजेंसी बनाया गया है और पट्टे की अवधि बढ़ाकर 90 साल कर दी गई है, जो पहले की नीति में 45 साल थी।डेवलपरों, निवेशकों व अन्य हिस्सेदारों की इच्छा थी कि कुछ प्रमुख क्षेत्रों को पुनर्गठित किया जाए, जिसे देखते हुए रेल मंत्रालय ने पुनरीक्षित नीति पेश की है। इसमें मल्टिपल सब लीजिंग शामिल है। रेलवे ने पहले ही 600 रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकास के लिए चुन लिया है, जिसके लिए कुल 1 लाख करोड़ रुपये निवेश का अनुमान लगाया गया है। वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी के तहत लिए गए स्टेशनों जैसे सूरत, ग्वालियर, नागपुर, बैयप्पनहल्ली अभी रिक्वेस्ट फॉर कोटेशन के स्तर पर हैं।
पिछले साल के अंत में आईआरएसडीसी को ज्यादा शक्तियां देने के लिए इसे इरकॉन इंटरनैशनल और रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण के बराबर के संयुक्त उद्यम में बदल दिया गया था। नीति में एक और अहम बदलाव यह हुआ है कि डेवलपर रेलवे की जमीन के 20 प्रतिशत का इस्तेमाल आवासीय परियोजनाओं के विकास के लिए कर सकते हैं।
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