नीलाम होगा नीरव का कला-संग्रह | |
पवन लाल / मुंबई 03 11, 2019 | | | | |
पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) में अरबों रुपये के घोटाले के आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी के देश छोड़कर भागने के करीब एक साल बाद उसके कला संग्रह की नीलामी की जा रही है। इसका इस्तेमाल उसने विश्वसनीयता हासिल करने और संभ्रांत तबके में अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए किया था। देश में कलात्मक वस्तुओं की नीलामी करने वाली अग्रणी संस्था सैफ्रनआर्ट 26 मार्च को नीरव की 68 कलाकृतियों की स्प्रिंग लाइव ऑक्शन में नीलामी करेगी। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक यह नीलामी आय कर विभाग के लिए कर वसूली अधिकारी, सेंट्रल-3, मुंबई की तरफ से की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीलामी से 30 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में आरक्षित मूल्य ही बिक्री के कुल संग्रह का निर्धारण करता है। आरक्षित मूल्य का निर्धारण विक्रेता और नीलामी करने वाली संस्था करती है।
मुंबई के आय कर विभाग की वेबसाइट में दिए गए बिक्री नोटिस के मुताबिक कैमलॉट एंटरप्राइजेज से करीब 96 करोड़ रुपये की वसूली के लिए यह नीलामी की जा रही है। यह कंपनी उन दर्जनों कंपनियों और मुखौटा कंपनियों में शामिल हैं जिनका संचालन नीरव कर रहा था। नीरव की नीलाम होने वाली कलाकृतियों में एफ एन सूजा, वी एस गायतोंडे, जोगेन चौधरी, राजा रवि वर्मा जैसे स्थापित चित्रकारों और रीना कलात, जितिश कलात और सुबोध गुप्ता जैसे उभरते आधुनिक चित्रकारों की कलाकृतियां शामिल हैं। सैफ्र न आर्ट के दिनेश वजिरानी से इस बारे में टिप्पणी नहीं मिल पाई। सूत्रों का कहना है कि यह दूसरा मौका है जब सैफ्र न आर्ट कब्जा की गई परिसंपत्तियों की नीलामी कर रही है। इससे पहले उसने सात साल पहले येस बैंक को एक चूककर्ता से मिली परिसंपत्तियों की नीलामी की थी।
नीरव की परिसंपत्तियों की नीलामी के लिए आय कर विभाग ने छह संस्थाओं से निविदा मांगी थी जिनमें से चार ने इसमें हिस्सा लिया। इनमें पुंडोल्स, क्रिस्टी इंडिया, आस्थागुरु और सैफ्र न आर्ट शामिल थीं। अंत में सैफ्र न आर्ट को यह जिम्मेदारी दी गई। पहले आई खबरों में कहा गया था कि नीरव की कई पेटिंग्स और कलाकृतियां फर्जी हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सच्चाई नहीं है। यह नीरव के काम करने का तरीका था। वह मूल कलाकृतियों को खरीदकर समाज के संभ्रांत तबके में अपना कद और रसूख बढ़ाता था।
पीरामल आर्ट फाउंडेशन के निदेशक अश्विन राजगोपालन कहते हैं, 'किसी भी समय कोई व्यक्ति किसी मशहूर चित्रकार की महंगी कलाकृति खरीद सकता है। इन पर दुनियाभर में हर किसी की नजर रहती है। नीरव के संग्रह में आधुनिक और समकालीन भारतीय और चीनी कलाकारों की अलग-अलग तरह की कलाकृतियां शामिल थीं।' चीन के कलाकारों में शू लेई, मियाओ शियाओचुन, चेन की और गी गुआनझोंग शामिल हैं। पेशेवरों का कहना है कि जिन कलाकृतियों की नीलामी हो रही हैं वे सर्वश्रेष्ठ स्तर की हैं। लेकिन वे इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं कि अधिकांश संग्रहकर्ता इन्हें खरीदने में दिलचस्पी दिखाएंगे या नहीं क्योंकि इनका संबंध धोखाधड़ी से है।
राजगोपालन कहते हैं, 'यह विवादित हीरों को खरीदने जैसा है। इन कलाकृतियों को कलाकारों ने अच्छे उद्देश्य के लिए बनाया है लेकिन इनको खरीदने की मंशा पर संदेह के बादल हैं। यही वजह है कि जो कोई भी इन्हें खरीदेगा उसके लिए अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो सकती है। लेकिन यह भी सही है कि कुछ कट्टर संग्रहकर्ता इन्हें खरीदने का मोह नहीं छोड़ सकते हैं।' आर्ट गैलरी पुंडोल्स का परिचालन करने वाले दादिबा पुंडोल कहते हैं कि धोखाधड़ी से कमाई गई दौलत से खरीदी गई कलाकृति को खरीदने या न खरीदने का फैसला खरीदार को करना है लेकिन सच्चाई यह है कि इनकी नीलामी से मिली राशि से सरकार को फायदा होगा।
सैफ्रनआर्ट एक और ऑनलाइन नीलामी कर रही है जिसमें एफ एन सूजा, जोगेन चौधरी और जगदीश स्वामीनाथन की कलाकृतियां शामिल होंगी। यह नीलामी नीरव की कलाकृतियों की नीलामी के एक दिन बाद 27 मार्च को शुरू होगी। इसका मतलब यह है कि नीरव की कलाकृतियों की नीलामी में देखो और इंतजार का रुख देखने को मिल सकता है। हाल में एजेंसियों ने अलीबाग में नीरव के फार्म हाउस को डायनामाइट से उड़ाया था। इसमें कई महंगी कलाकृतियां थीं और साथ ही इसकी छत पर विशाल धर की कलाकृति भी थी। सूत्रों का कहना है कि फार्म हाउस के साथ ये कलाकृतियां भी नष्ट हो गई होंगी। सैफ्रनआर्ट की नीलामी चाहे सफल रहे या नाकाम, लेकिन इसमें दो चीजें होंगी। पहली यह कि सैफ्रनआर्ट नीरव के कला संग्रह को बेचेगी जो उसने करीब एक दशक के दौरान जमा की थी। साथ ही इससे कर विभाग को कुछ राजस्व जरूर मिल जाएगा चाहे यह अनुमान से ज्यादा हो या कम।
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