प्रचार के लिए लक्जरी वाहन तैयार | टीई नरसिम्हन / March 11, 2019 | | | | |
वे दिन लद गए कि जब चुनाव के दौरान घर-घर जाकर प्रचार करना प्रमुख माध्यम हुआ करता था। उन दिनों राजनीतिक नेता एक स्थान से दूसरे स्थान तक किसी खुली जीप या पैदल यात्रा करके पसीना बहाया करते थे। आजकल सब कुछ उन लक्जरी बसों, वैनों और एसयूवी से होता है जिन्हें नेताओं के लिए विशेष तौर पर तैयार किया जाता है। यह 300 करोड़ रुपये का कारोबार है जो मुख्य रूप से असंगठित है और इसमें छह भागीदारों का वर्चस्व है जो पांच लाख रुपये से लेकर पांच करोड़ रुपये तक की राशि में किसी वाहन को रीफर्बिश (नवीनीकरण) कर सकते हैं।
चेन्नई स्थित एसआरएम ऑटो टेक प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई स्थित डीसी डिजाइन, आंध्र प्रदेश स्थित जयलक्ष्मी डिजाइनर्स और कोयंबत्तूर स्थित कोयस ऐंड संस के कारखानों में लोग वाहनों की डिलिवरी के लिए दिन-रात वाहनों के रीफर्बिश कार्य में व्यस्त हैं।
हाल ही में एसआरएम ऑटो टेक प्राइवेट लिमिटेड ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के लिए एक रीफर्बिश किया हुआ वाहन सौंपा है। भावनात्मक कारणों से उन्होंने वही वाहन चुना था जिसका इस्तेमाल उन्होंने पिछले प्रचार के दौरान किया था। चेन्नई के बाहरी इलाके में यह कारखाना सुरक्षित है और कर्मचारी राज्य में और आसपास के राज्यों के अन्य दलों के वाहन तैयार करने में व्यस्त हैं।
एसआरएम ऑटो टेक के महाप्रबंधक आर हरिकृष्ण का कहना है कि जब से मशहूर हस्तियों सहित नेता और प्रचारक बढ़े हैं, तब से मांग दोगुनी हो गई है। पहले हर दल के पास अपने शीर्ष नेता के लिए कम से कम एक या ज्यादा से ज्यादा दो ऐसे वाहन होते थे लेकिन आज प्रत्येक दल कम में कम से कम छह ऐसे वाहन चाहते हैं। इसके अलावा हरेक विधायक और सांसद भी अपने लिए ऐसे वाहनों का ऑर्डर दे रहे हैं। उनका अनुमान है कि इस चुनाव में अकेले तमिलनाडु में ही लगभग 200 रीफर्बिश किए गए वाहनों की आवश्यकता होगी।
डीसी डिजाइन विभिन्न मुख्यमंत्रियों और प्रमुख राजनेताओं सहित भारतीय राजनीति के प्रसिद्ध व्यक्तियों के लिए प्रमुख वाहनों का डिजाइन और निर्माण करती है। डीसी डिजाइन केसंस्थापक दिलीप छाबडिय़ा भी मांग बढऩे की बात पर सहमत हैं। वे कहते हैं कि हर साल देश भर में मांग बढ़ रही है। राहुल गांधी के साथ काम कर चुके छाबडिय़ा कहते हैं कि आराम, संपर्क, सुविधा और सुरक्षा प्रमुख बातें हैं। हेलीकॉप्टर की तुलना में जमीन पर चलने वाले वाहन अधिक लोगों से संपर्क करने में नेताओं की मदद करते हैं। डिजाइन के बाद ग्राहक जिस खास चीज पर ध्यान देते हैं, वह है विश्वसनीयता।
वे चुनिंदा ऑर्डर लेते हैं और ज्यादातर भारतीय राजनीति के शीर्ष नेताओं के लिए वाहनों का डिजाइन करते हैं। अकेले इनोवा को रीफर्बिश करने में 30 लाख रुपये और वोल्वो बस के लिए पांच करोड़ रुपये तक की लागत आ सकती है। वे कहते हैं कि इन वाहनों को लेने वाले कई लोग हैं लेकिन नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है। इनके पुर्जे भारत में निर्मित होते हैं जबकि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आयात किया जाता है। रुचि के अनुसार तैयार किए गए पिछली पीढ़ी के कई वाहन पुराने होने की वजह से इनका एक प्रतिस्थापन बाजार भी है जो आकर्षक है।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों को रीफर्बिश करने में लगभग दो सप्ताह से लेकर तीन महीने तक का समय लगेगा। लगभग पांच दशकों से इस व्यवसाय में जुटी कोयस ऐंड संस के मैनेजिंग पार्टनर पीवी मोहम्मद रियाज कहते हैं कि वाहनों की डिलिवरी के लिए 50 से अधिक कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं।
ये कर्मचारी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इडाप्पडी के पलनिस्वामी और उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के लिए टेंपो ट्रैवलरों पर काम कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि पलनिस्वामी वही वाहन इस्तेमाल कर सकते हैं जिसका इस्तेमाल स्वर्गीय जयललिता ने किया था। उल्लेखनीय है कि उनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव के दौरान एआईएडीएमके ने 2014 में 39 सीटों में से 37 सीटें जीती थीं। पार्टी ने 2016 के विधानसभा चुनावों में भी शानदार जीत दर्ज की थी।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के राजनेताओं को कोयस का कारखाना भी पसंद है। अपने वाहनों को रीफर्बिश करवाने के लिए यहां इस साल मांग लगभग 100 इकाई रहने की उम्मीद है। इस क्षेत्र के भागीदारों का कहना है कि वाहनों को रीफर्बिश करने के दौरान लग्जरी, उपयोगिता और सुरक्षा का सबसे ज्यादा महत्व रहता है।
लकड़ी का महंगा फर्नीचर, आरादायक सोफा-सह-बिस्तर, शौचालय (विमान में इस्तेमाल किया जाने वाला), होम थिएटर, घूमने वाली सीटों से युक्त लिफ्ट, डीवीआर, मालिश करने वाली कुर्सी इन वाहनों को लक्जरी बनाते हैं। हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म, एलईडी लाइट, स्पीकर (जिससे नेताओं की आवाज 1.6 किलोमीटर तक सुनी जा सकती है), संचार और मनोरंजन प्रणाली इन्हें पूर्ण रूप से उपयोगी बनाते हैं।
अगर सुरक्षा की बात करें तो ये वाहन बख्तरबंद और बुलेट प्रुफ होते हैं। छाबडिय़ा का कहना है कि वे मूल वाहन की विशेषताओं में बदलाव नहीं करते हैं। नियमों के अनुसार कोई भी वाहन में संरचनात्मक रूप से फेरबदल नहीं कर सकता है। इसलिए रीफर्बिश करने में वाहन की लंबाई, चौड़ाई या ऊंचाई में परिवर्तन शामिल नहीं होता है।
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