लोकसभा चुनाव 2019 की तिथियों की घोषणा के कुछ घंटे पहले भारत और सऊदी अरब के बीच 44 अरब डॉलर की पश्चिम तटीय परियोजना को बहाल करने और इसमें 'तेजी लाने' को लेकर सहमत हुए हैं। यह परियोजना महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसमें सऊदी अरामको की उल्लेखनीय हिस्सेदारी होगी। इस फैसले का राज्य पर राजनीतिक असर हो सकता है क्योंकि शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ समझौता करने के लिए इस परियोजना को बंद करने की शर्त रखी थी।
सऊदी अरामको और अबू धाबी नैशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों ने भारत की सरकारी तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) के साथ मिलकर 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ रत्नगिरि रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स (आरआरपीसीएल) का गठन किया था। बहरहाल रत्नागिरि जिले में भूमि सर्वे और अधिग्रहण के 42,000 नोटिसों के बाद यह परियोजना अधर में लटक गई। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच चुनावी समझौते के तहत राज्य सरकार ने इस पर काम रोक दिया था। स्थानीय लोगों पर परियोजना के असर और पर्यावरण के हिसाब से संवेदनशील क्षेत्र होने की वजह से विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए यह कदम उठाया गया था। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक यह परियोजना 2025 में शुरू होने की संभावना थी।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सऊदी अरामको के चेयरमैन और सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद अल-फलीह के बीच नई दिल्ली में शनिवार को हुई बातचीत में यह प्रमुख मसला था। पेट्रोलियम मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा, 'दोनों मंत्रियों ने भारतीय तेल एवं गैस क्षेत्र में सउदी अरब के निवेश के प्रस्तावों की समीक्षा की। इनमें करीब 44 अरब डॉलर की लागत से महाराष्ट्र में तैयार होने वाली संयुक्त पश्चिम तटीय परिशोधन एवं पेट्रोरसायन परियोजना भी शामिल रही, जो दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी होगी।'
बहरहाल सरकार ने यह साफ नहीं किया है कि वह रत्नागिरि जिले के बाहर किसी वैकल्पिक स्थल पर विचार कर सकती है। भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (एसपीआर) योजना में सऊदी अरब की हिस्सेदारी पर भी चर्चा हुई। पिछले महीने सऊदी शहजादे मोहम्मद बिन सलमान ने भारत का दौरा किया था और उस दौरान दोनों देशों ने पेट्रोलियम क्षेत्र में सहभागिता बढ़ाने का फैसला किया था। सऊदी अरब भारत को कच्चा तेल और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की आपूर्ति करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.