महारत्न कंपनी ओएनजीसी की इकाई एचपीसीएल भी जल्द बन सकती है महारत्न | शाइन जैकब / नई दिल्ली March 10, 2019 | | | | |
सार्वजनिक उपक्रम विभाग मुंबई की हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) को महारत्न का दर्जा देने की कवायद कर रहा है। इससे कंपनी के बोर्ड को निवेश के बारे में फैसला करने को लेकर ज्यादा स्वतंत्रता मिल जाएगी। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की यह इकाई पहली सहायक कंपनी होगी, जो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विशेषाधिकार प्राप्त महारत्न की श्रेणी में आएगी।
यह दर्जा हासिल करने वाली कंपनी को एक बड़ा फायदा यह होता है कि उसे वित्तीय संयुक्त उद्यम, पूर्ण मालिकाना वाली सहायक इकाई में इक्विटी निवेश व भारत या भारत के बाहर विलय एवं अधिग्रहण का अधिकार मिल जाता है, जो एक परियोजना में निवेश के मामले में संबंधित केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसई) के नेटवर्थ का 15 प्रतिशत या 5,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस समय 8 सरकारी कंपनियों ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), गेल इंडिया, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, कोल इंडिया, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स, एनटीपीसी और स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया को नवरत्न का दर्जा मिला हुआ है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय (एचआई ऐंड पीई) को पत्र लिखकर एचपीसीएल को महारत्न का दर्जा देने की सिफारिश की है। उसके बाद डीपीई ने ओएनजीसी और पेट्रोलियम मंत्रालय से राय मांगी है कि एक तेल कंपनी की सहायक कंपी को महारत्न का दर्जा देने में कोई तकनीकी या कानूनी मसला तो नहीं है। एचपीसीएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एमके सुराना ने इस सिलसिले में मांगी गई जानकारी का कोई जवाब नहीं दिया।
इसके बाद कंपनी बोर्ड को घरेलू पूंजी बाजार और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से कर्ज जुटाने की ज्यादा शक्तियां मिल जाएंगी, जो रिजर्व बैंक/आर्थिक मामलों के विभाग की मंजूरी के अधीन हो सकता है।
खबरों के मुताबिक सरकार ने एचपीसीएल को निर्देश दिया है कि वह नियामकीय फाइलिंग में अपने को ओएनजीसी प्रवर्तित दिखाए। अगर यह कदम उठाया जाता है तो कंपनी को इससे मुक्ति मिल जाएगी। एचपीसीएल ने भारत के राष्ट्रपति के समक्ष अपनी फाइलिंग में दिखाया है कि प्रवर्तक के रूप में कोई हिस्सेदारी नहीं है और ओएनजीसी की सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसे लेकर दोनों कंपनियों के बीच कई साल से जंग चल रही है। जनवरी 2018 में ओएनजीसी ने 36,915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल में नियंत्रण करने वाली हिस्सेदारी खरीद ली थी।
उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ ने कहा, 'संभवत: ओएनजीसी के लिए यह स्वागतयोग्य कदम नहीं होगा कि उसकी सहायक कंपनी का बोर्ड शक्तियों के मामले में उसके बराबर हो जाएगा। बहरहाल अगर इस तथ्य को देखें कि बीपीसीएल जैसी कंपनियां पहले ही महारत्न दिग्गजों की श्रेणी में हैं, एचपीसीएल को भी ज्यादा वित्तीय स्वतंत्रता दिए जाने की जरूरत है। कुल मिलाकर वह महारत्न दिग्गज बनने के सभी मानदंड पूरे कर रही है।'
महारत्न बनने के लिए कंपनी का सालाना कारोबार 20,000 करोड़ रुपये औसत नेटवर्क 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होने और औसत सालाना मुनाफा लगातार 3 वित्त वर्षों में 2,500 करोड़ रुपये से ज्यादा होना चाहिए।
एचपीसीएल का पिछले 3 साल से शुद्ध मुनाफा 2016-17 में 6,357 करोड़ ररुपये, 2016-17 में 6,209 करोड़ रुपये और 2015-16 में 3,726 करोड़ रुपये रहा है। इसी तरह से कंपनी का नेटवर्थ 2017-18 में 23,948 करोड़ रुपये, 2016-17 में 20,347 करोड़ रुपये, 2015-16 में 17,970 करोड़ रुपये था।
सरकार ने मई 2010 से महारत्न योजना पेश की थी, जिससे बड़ी सीपीएसई को अपने परिचालन के विस्तार के अधिकार मिल सकें और वे वैश्विक दिग्गज बनकर उभर सकें।
कंपनी को महारत्न का दर्जा देने की पहली बार चर्चा सार्वजनिक उपक्रम विभाग, व्यय विभाग, संबंधित मंत्रालयों के सचिवों के अलावा नीति आयोग के प्रतिनिधि की मौजूदगी में अंतर मंत्रालयी (आईएमसी) की बैठक में उठी थी। इसके बाद कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले शीर्ष पैनल ने इस पर विचार किया और अंतिम फैसला एचआई ऐंड पीई को लेना है।
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