फिर घटे बीटी कपास के दाम | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली March 10, 2019 | | | | |
केंद्र सरकार ने बीटी कपास के बीजों (बीजी-द्वितीय) के अधिकतम बिक्री मूल्य में गिरावट की है। 450 ग्राम वाले पैकेट के दाम मामूली रूप से घटाकर 730 रुपये कर दिए गए हैं और 2019-20 सीजन के लिए कंपनियों द्वारा वसूली जाने वाली लाइसेंस या ट्रेट शुल्क को लगभग 49 प्रतिशत घटाकर 20 रुपये कर दिया गया है।
अक्टूबर से सितंबर तक चलने वाले 2019-20 सीजन में 450 ग्राम वजन वाले बीटी कपासबीज और 120 ग्राम रिफ्यूजिआ के नए दाम अब 730 रुपये होंगे जिसमें 20 रुपये का ट्रेट शुल्क भी शामिल है। 2018-19 में बीटी कपास बीजों का अधिकतम बिक्री मूल्य 740 रुपये था जिसमें 39 रुपये की ट्रेट वैल्यू भी शामिल थी।
पिछले हफ्ते जारी की गई एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार समिति द्वारा की गई सिफारिश के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा बीटी कपास बीजों के दाम निर्धारित करना शुरू करने के बाद लगातार दूसरे साल बीटी कपास के बिक्री मूल्य और ट्रेट फीस में कमी की गई है। इस ट्रेट या लाइसेंस शुल्क में सभी कर शामिल हैं। कपास फसल की खेती जून के बाद से शुरू होती है।
कपास सीजन 2019-20 में आनुवंशिक रूप से संशोधित कपास बीज के बीजी-प्रथम किस्म के खुदरा मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन पर लाइसेंस शुल्क भी शून्य रख गया है जैसा कि 2018-19 सीजन में था। हालांकि इसका कोई ज्यादा असर नहीं होने वाला है क्योंकि बीजी-प्रथम पहले ही पेटेंट से बाहर हो चुकी है।
बीटी कपास बीजों के पैकेट (बीजी-द्वितीय किस्म वाले) के खुदरा दाम और लाइसेंस शुल्क को लगातार दूसरे वर्ष कम करने से बीज कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है। खासतौर पर उन कंपनियों के मुनाफे पर जो मूल रूप से लाइसेंस धारक हैं क्योंकि भारतीय कपास बाजार के लगभग 95 प्रतिशत हिस्से पर इन्हीं का कब्जा है।
केंद्र द्वारा दिसंबर 2015 गठित एक पैनल द्वारा कपास बीज मूल्य नियंत्रण आदेश के तहत बीटी कपास बीजों के दाम पहली बार 2016-17 में घटाए गए थे। पैनल ने 830-1,030 रुपये के पुराने दाम घटाकर प्रति पैकेट 800 रुपये कर दिए थे। इसी तरह प्रति पैकेट 163 रुपये ट्रेट वैल्यू को लगभग 70 प्रतिशत घटाकर 49 रुपये कर दिया गया था। यह कदम मई 2016 में जारी प्रारूप दिशा-निर्देशों के बाद उठाया गया था जिसमें ट्रेट वैल्यू को बीज के बिक्री मूल्य के 10 प्रतिशत पर सीमित कर दिया गया था और इसके बाद समय-समय पर इसे कम किया गया।
बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों की ओर से इस कदम की बहुत आलोचना की गई थी। मोनसैंटो, जिसका इस संबंध में माहिको (महिको मोनसैंटो बायोटेक या एमएमबी) के साथ एक संयुक्त उद्यम था, ने कहा था कि वह देश में अपने पूरे कारोबार का पुनर्मूल्यांकन करेगी। उसने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल की थी।
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