जीएसटी रिटर्न के आए नए फॉर्म | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली March 08, 2019 | | | | |
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नेटवर्क ने पुनरीक्षित रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए हैं। कारोबारियों को जुलाई से नए फॉर्म का अनुपालन करना होगा। जीएसटी परिषद के फैसलों के मुताबिक नए फॉर्म का इस्तेमाल 1 अप्रैल 2019 से प्रायोगिक आधार पर किया जाएगा और जुलाई से देश भर में इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि नए और पुनरीक्षित रिटर्न प्रारूप में जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2, जीएसटीआर-3 के तहत रिटर्न दाखिल करने की जरूरत से मुक्ति दे दी गई है, लेकिन सालाना रिटर्न जीएसटीआर-9 जारी रखा जा सकता है।
नए रिटर्न प्रारूप 'नॉर्मल', 'सहज' और 'सुगम' से छोटे कारोबारियों के लिए अनुपालन प्रक्रिया आसान होगी, वहीं 5 करोड़ रुपये तक के छोटे करदाताओं के लिए यह विकल्प होगा कि वह तीन में से किसी भी विकल्प को अपना सकते हैं। नए प्रारूप में राजस्व विभाग के लिए विक्रेता और खरीदार की रसीदों का मिलान कराना आसान होगा। इससे विभाग को चोरी की जांच करने में ज्यादा मदद मिलेगी।
लेकिन इससे कारोबारियों का क्लर्क का और प्रशासनिक काम बढऩे की संभावना है। इनवाइस के स्तर पर एचएसएन वार ब्योरा उपलब्ध कराने की जरूरत होगी, न कि समरी के स्तर पर। इसके साथ ही जहां मौजूदा प्रारूप में 4 अंकों के एचएसएन कोड की जरूरत होती है, वहीं नए प्रारूप में एचएसएन स्तर पर 6 अंकों के ब्योरे की जरूरत होगी।
पीडब्लूसी इंडिया में अप्रत्यक्ष कर के साझेदार प्रतीक जैन ने कहा, 'जीएसटी रिटर्न का पुनरीक्षित प्रारूप जारी होने के बाद उद्योग को प्रक्रिया और दस्तावेजीकरण में बदलाव करने की योजना शुरू करनी पड़ेगी। एचएसएल की रिपोर्टिंग में वस्तु एवं सेवा दोनों स्तरों पर 6 अंक स्तर पर इनवाइस के स्तर पर बदलाव करने के लिए कंपनी को सिस्टम से जुड़े जरूरी बदलाव करने होंगे क्योंकि अब तक 4 डिजिट के स्तर तक रिपोर्टिंग की जरूत होती थी और यह भी समग्र स्तर पर होता था।'
उन्होंने कहा कि यह देखना भी अभी बाकी है कि यह प्रायोगिक योजना अगले दो महीने में शुरू हो पाएगी या नहीं। उन्होंने कहा, 'सरकार को उम्मीद है कि नए अनुपालन ढांचे में बड़े पैमाने पर चोरियां रोकने में मदद मिलेगी क्योंकि इसमें जांच और पुष्टि को जगह मिली है।'
नए प्रारूप के तहत इनवाइस की रिपोर्टिंग निरंतरता के आधार पर की जा सकती है और मासिक रिटर्न के मामले में संबंधित महीने की 18 और 20 तारीख को और तिमाही रिटर्न दाखिल करने की स्थिति में 23 और 25 तारीख को रिपोर्टिंग की जरूरत नहीं होगी। इससे जीएसटी के तहत होने वाले सबसे विशिष्ट तरीके की धोखाधड़ी से बचा जा सकेगा, जो जीएसटी के दौर में होती है और यह प्रारूप लागू होने के बाद इसकी जांच ज्यादा उचित तरीके से हो सकेगी।
|