राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) ने कर्ज में फंसी एस्सार स्टील इंडिया लिमिटेड (ईएसआईएल) के अधिग्रहण के लिए एलएन मित्तल की अगुआई वाली आर्सेलरमित्तल की बोली को आज मंजूरी दे दी। एनसीएलटी अहमदाबाद के दो सदस्यीय पीठ ने साथ ही आर्सेलर की समाधान योजना के बेहतर क्रियान्वयन का सुझाव दिया। पंचाट ने कहा कि प्रस्तावित योजना में वित्तीय लेनदारों की हिस्सेदारी 92 फीसदी से घटाकर 85 फीसदी की जा सकती है ताकि परिचालन लेनदारों को आठ फीसदी के बजाय 15 फीसदी हिस्सा मिल सके। एनसीएलटी ने साथ ही स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को भी वित्तीय लेनदारों की 85 फीसदी हिस्सेदारी में शामिल करने का सुझाव दिया। आर्सेलरमित्तल की योजना में इस बैंक के दावों को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि पंचाट ने साफ किया कि ये उसके सुझाव हैं और इनसे आर्सेलरमित्तल की योजना को मंजूरी देने के उसके आदेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पीठ ने कहा, 'इस अदालत का सीमित न्यायिक क्षेत्र है और वह लेनदारों की समिति की व्यावसायिक सोच पर अपने विचार नहीं थोप सकती है।' आर्सेलरमित्तल की बोली में ईएसआईएल के ऋण समाधान के लिए 42,000 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान और परिचालन में सुधार, उत्पादन स्तर तथा मुनाफा बढ़ाने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त पूंजी निवेश शामिल है। पिछले साल अक्टूबर में एस्सार स्टील के लेनदारों की समिति ने आर्सेलरमित्तल की योजना को मंजूरी दी थी और एक आशय पत्र जारी किया था। आर्सेलरमित्तल के प्रवक्ता ने कहा, 'हम एनसीएलटी अहमदाबाद के फैसले का स्वागत करते हैं। फैसला मिलने के बाद हम इसी समीक्षा करेंगे और हमें उम्मीद है कि यह सौदा जल्दी से जल्दी पूरा हो जाएगा।' एनसीएलटी के इस फैसले के बाद कंपनी एस्सार स्टील का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकती है। एस्सार के एक कर्जदाता ने कहा, 'कोष के पुनर्वितरण पर चर्चा होगी और कर्जदाता इसका समाधान निकालेंगे। 15 प्रतिशत हिस्सा खासा अहम है, हालांकि फिलहाल यह केवल सुझाव मात्र है। आर्सेलरमित्तल भूषण स्टील के मामले की तरह कर्जदाताओं को भुगतान कर सकती है।' दूसरी तरफ एस्सार स्टील प्रवर्तक रुइया एनसीएलटी के आदेश को चुनौती देने के लिए सोमवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील न्यायाधिकरण में जा सकते हैं। एस्सार के प्रवक्ता ने कहा, 'हमारा अब भी मानना है कि 54,389 करोड़ रुपये का हमारा समाधान प्रस्ताव एस्सार स्टील के कर्जदाताओं केसमक्ष सबसे बेहतर विकल्प है। हम धारा 12 के तहत की गई हमारी पेशकश की कानूनी वैधता को लेकर भी आश्वस्त हैं। हम एनसीएलटी के आदेश के प्रति का इंतजार कर रहे हैं और इसकी समीक्षा के बाद आगे कदम उठाएंगे।'
