पुरुष एकाधिकार को तोड़कर शिखर पर पहुंच रहीं महिलाएं
अमृता पिल्लई और रोमिता मजूमदार / 03 08, 2019
शेयर कारोबार, कोडिंग और प्रशासनिक पदों पर कुछ समय पहले तक केवल पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था लेकिन पिछले कुछ समय में महिलाओं ने शानदार उपस्थिति दर्ज कराई है। हालांकि यह स्वागतयोग्य बदलाव है लेकिन अधिकांश महिलाओं का मानना है कि अभी मानसिकता में बदलाव की काफी आवश्कता है। पुरुष प्रधान इन तीनों क्षेत्रों में से शेयर बाजार में महिलाओं ने बड़ी भूमिकाएं हासिल कर ली हैं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी शिल्पा कुमार बताती हैं कि ब्रोकरेज फर्मों के स्वामित्व मॉडल में बदलाव ने इस मानसिकता को तोड़ा है।
वह कहती हैं, 'एक कारण यह है कि अधिकांश ब्रोकरेज परिवार द्वारा संचालित की जाती हैं और सामाजिक मान्यताओं के हिसाब से घर का पुरुष ही इसे चलाता था। इसे बदलने में कई वर्ष का समय लग गया और अब पेशेवर तौर पर प्रबंधित ब्रोकरेज फर्म केंद्रीय भूमिका में हैं।' पिछले कुछ सालों में वित्तीय सेवाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में भी बढ़ोतरी हुई है। मोइलिस ऐंड कंपनी भारत की मुख्य कार्याधिकारी मनीषा गिरोत्रा बताती हैं कि पहले मानते थे कि महिला बैंकर केवल रिटेल बैंकिंग तक ही सीमित होती हैं। वह कहती हैं, 'ट्रेजरी, इक्विटी, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में पुरुषों का ही वर्चस्व देखा जाता था। आज आप वित्तीय सेवाओं के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी देख सकते हैं।'
कंप्यूटर कोडिंग एक नया क्षेत्र है जहां महिलाएं अपना स्थान बना रही हैं। महिला हैकाथन के पिछले 3 साल के आंकड़े उत्पाहजनक रुख दिखा रहे हैं। वर्ष 2016 के हैकाथन में 149 महिलाओं ने हिस्सा लिया था और यह आंकड़ा बढ़कर 2017 में 255 तथा 2018 में 425 पर पहुंच गया। स्मार्ट इंडिया हैकाथन 2019 में पुरुष-महिला भागीदारी अनुपात 60:40 था और इसमें 3,000 से भी अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया था।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) जैसे क्षेत्रों में भी महिला प्रतिभागियों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि प्रतिनिधित्व में महिलाओं का प्रतिशत अधिक प्रभावशाली नहीं है। केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सालाना रिपोर्ट से मिले आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016-17 में 229 महिला प्रतिभागियों का चयन हुआ जबकि 2006 में 105 महिलाओं का ही चयन हुआ था। हालांकि आंकड़े बढऩे के बाद भी प्रतिशत में गिरावट दर्ज हुई है। साल 2016-17 में चयनित महिला अभ्यर्थियों का प्रतिशत 19.67 था जबकि 2006 में 21.3 प्रतिशत महिलाओं का चयन किया गया था।
हालांकि कुछ महिला आईएएस अधिकारियों का कहना है कि नियुक्ति की प्रकृति काफी चुनौतीपूर्ण है। 1995 बैच की आईएएस अधिकारी अश्विनी भिडे कहती हैं, 'मैंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से ऐसी बातें सुनी हैं कि उन्हें जिला मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्ति के लिए काफी लड़ाई लडऩी पड़ी थी। हालांकि राज्य सरकार ने 1993 की नीति के तहत राज्य सेवा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दीं। इससे शुरुआती स्तर पर कोई समस्या नहीं है लेकिन जैसे जैसे हम ऊपरी पदों पर जाते हैं तो समस्या बढऩे लगती है।' इस सबके बावजूद, महिलाओं को शीर्ष पदों पर पहुंचने या मानसिकता में बदलाव का इंतजार है तो कुछ अभी भी परिवार की जिम्मेदारियों से लड़ाई लड़ रही हैं।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.