►टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल की रद्द परियोजनाओं के राजमार्ग खंडों की दो चरणों में होगी नीलामी
►अनुबंध की अनुमानित कीमत से कम राशि की बोलियां मिलने के कारण नीलामी के चरण को कर दिया गया था रद्द
►कम कीमत की बोलियां आने की वजह बैंकों से ऋण मिलने में दिक्कत बताई जा रही है
टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) मॉडल की रद्द परियोजनाओं के राजमार्ग खंडों को बांटा जाएगा और इनकी दो चरणों में नीलामी की जाएगी। राजमार्गों से धन जुटाने के दूसरे चरण को पिछले महीने रद्द कर दिया गया था क्योंकि प्राप्त बोलियां अनुबंध की अनुमानित कीमत से कम थीं। राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'जहां तक सड़क परियोजनाओं से धन जुटाने का सवाल है, उनमें अनुबंध हासिल करने की दौड़ में शामिल कंपनियों के लिए कर्ज कोई समस्या नहीं है।' लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि न केवल हाइब्रिड एन्यूइटी परियोजनाएं बल्कि टीओटी ठेकों को भी ऋण से संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इसीलिए तीन कंपनियों- क्यूब हाइवेज, अदाणी इन्फ्रास्ट्रक्चर और आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर की तरफ से सौंपी गई बोलियां अनुमानित कीमत 5,362 करोड़ रुपये से कम थीं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अभी ने नीलामी के नए चरणों की कोई समयसीमा तय नहीं की है क्योंकि आम चुनावों की तारीखों की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। केंद्र सरकार ने अगस्त, 2018 में टीओटी मॉडल के तहत राजमार्गों के 8 खंडों की पेशकश की थी। इनके लिए बोलियां दिसंबर, 2018 में खोली गईं, जिनमें क्यूब हाइवेज 4,612 करोड़ रुपये की बोली लगाकर विजेता के रूप में उभरी। अन्य बोलीदाता अदाणी इन्फ्रास्ट्रक्चर (3,675 करोड़ रुपये) और आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर (2,718 करोड़ रुपये) थीं।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर विश्वास उदगिरकर ने कहा, 'सड़कों को ठेके पर देकर धन जुटाने के पहले चरण की सफलता के बाद दूसरे चरण से बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन उसी समय बहुत से बैंक त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत आ गए, जिससे इस क्षेत्र का माहौल बदल गया।' भारतीय रिजïर्व बैंक ने (आरबीआई) अक्टूबर, 2018 में 34 बैंकों में से 12 को त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत लाया था क्योंकि उनके फंसे कर्ज नियामक की तरफ से स्वीकृत स्तरों से काफी ऊपर पहुंच गए थे। पीसीए कमजोर बैंकों पर नए ऋण देने और विस्तार पर रोक लगाता है।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि हालांकि परियोजनाओं को एक साथ जोडऩे से अनुबंध का आकार और मूल्य बढ़ता है, लेकिन पेशकश किए जाने वाले प्रत्येक राजमार्ग खंड का एकल रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए। रद्द दूसरे चरण में राजस्थान, गुजरात, बिहार और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय राजमार्गों के 8 खंड शामिल हैं। इन परियोजनाओं की कुल लंबाई 586.55 किलोमीटर है और इन राजमार्ग खंडों पर कुल 12 टोल प्लाजा हैं। दूसरे चरण में 929 करोड़ रुपये की आरंभिक निर्माण लागत भी शामिल है और अनुबंध की कुल अवधि 30 साल है। यह अवधि यातायात के आधार पर 5 से 10 साल घट या बढ़ सकती है। पहले टीओटी चरण को एनएचएआई द्वारा तय की गई आधार कीमत से 1.5 गुना बोलियां मिली थीं। यह अनुबंध मैक्यवायरी ने 9,681 करोड़ रुपये में हासिल किया था।
भारत में राजमार्ग क्षेत्र में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए टीओटी मॉडल बनाया गया है। इसमें अनुबंध हासिल करने वाली कंपनी अग्रिम एकमुश्त राशि का भुगतान करती है, जिसके बदले वह परियोजना खंड को पूर्व निर्धारित 30 वर्ष की समयावधि तक परिचालित कर सकती है।
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