एनबीएफसी को बैंकों से दिए जाने वाले ऋण के लिए जोखिम को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा जारी रेटिंग के अनुरूप किए जाने संबंधी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्णय से बैंकों के लिए 13,000 करोड़ रुपये की पूंजी मुक्त होगी। रेटिंग जऐंसी क्रिसिल का कहना है कि इससे उनके लिए 1.4 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी के लिए अवसर सृजित होंगे। इससे पहले बैंकों को ऐसेट फाइनैंस कंपनी, इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड जैसी कुछ श्रेणियों के अलावा एनबीएफसी को दिए गए ऋण के लिए बैंकों को 100 फीसदी जोखिम आवंटित करना पड़ता था।क्रिसिल रेटिंग्स के सहायक निदेशक वैद्यनाथन रामास्वामी ने कहा, 'करीब दो तिहाई एनबीएफसी के परिसंपत्ति आधार को कवर करने वाली शीर्श 30 एनबीएफसी के हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि आरबीआई की इस पहल से उनमें से 60 फीसदी एनबीएफसी को फायदा होगा।' रामास्वामी ने कहा, 'ये मुख्य तौर पर विविधीकृत एनबीएफसी और थोक एनबीएफसी हैं जिन्हें घरेलू रेटिंग एजेंसियों द्वारा ए और इससे अधिक रेटिंग दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि उनका जोखिम भार 20 से 50 फीसदी तक कम हो जाएगा जो पहले 100 फीसदी था।' शेष 40 फीसदी कंपनियां ऐसेट फाइनैंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस श्रेणी में आती हैं और उन्हें पहले से ही क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा दी गई रेटिंग के अनुसार जोखिम भार दी गई हैं। अतिरिक्त ऋण के लिए यह गुंजाइश एनबीएफसी के लिए फायदेमंद साबित होगी क्योंकि आईएलऐंडएफएस डिफॉल्ट के बाद वे भारी नकदी संकट से जूझ रही हैं। आईएलऐंडएफसी के डिफॉल्ट के कारण बैंक एनबीएफसी क्षेत्र को ऋण देने से परहेज कर रहे हैं। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2018 तक एनबीएफसी क्षेत्र को बैंकों से मिलने वाली उधारी 55 फीसदी बढ़कर 5.7 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है। क्रिसिल ने कहा, 'चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान एनबीएफसी क्षेत्र में बैंकों के ऋण में काफी वृद्धि दर्ज की गई क्योंकि बॉन्ड प्रतिफल में उल्लेखनीय कमी आई जिससे बाजार से उधारी महंगी हो गई और इसलिए बैंकों से ऋण लेने के लिए एनबीएफसी के बीच होड़ मच गई थी।'
