पश्चिम बंगाल के रानीगंज ब्लॉक में शेल भंडार के अन्वेषण के लिए एस्सार ऑयल ऐंड गैस एक्सप्लोरेशन ऐंड प्रोडक्शन (ईओजीईपीएल) को पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिल गई है। कंपनी इस ब्लॉक से शेल गैस का पता लगाने में 7,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना बना रही है। एस्सार देश की पहली कंपनियों में शामिल हो गई है, जिसे केंद्रीय कैबिनेट द्वारा हाल में ऑपरेटरों को मौजूदा क्षेत्रों में सभी हाइड्रोकार्बन का पता लगाने की मंजूरी के बाद हरी झंडी मिली है। पर्यावरण मंजूरी के लिए 29 जनवरी को विशेषज्ञों की मूल्यांकन समिति (ईएसी) की बैठक के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने कंपनी को उसके रानीगंज कोल बेड मीथेन (सीबीएम) ब्लॉक में शेल गैस का पता लगाने के लिए 20 कुएं खोजने की अनुमति दे दी है।
इस ब्लॉक में 650 कुओं को अनुमति दी गई है। इस मंजूरी के बाद एस्सार 2020 तक ब्लॉक में 5 कुएं खोदेगी। ईओजीईपीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक विलास तावडे ने कहा, 'हम आंकड़े एकत्र करने के साथ शुरुआत करेंगे। सिके लिए हमें कोयले को ड्रिल करने, बेहतर स्थल चिह्नित करने और उसके बाद करीब एक किलोमीटर क्षैतिज खुदाई की जरूरत होगी। उसके बाद हम कोयले, शेल, और शेल की मात्रा का आकलन करेंगे।'
अगर शुरुआती अन्वेषण सफल रहता है तो एस्सार ने इस क्षेत्र में 7,000 करोड़ रुपये के करीब निवेश कर 220-250 कुएं खोदने की योजना बनाई है। पहले चरण में 20 कुएं खोदने में करीब 70 करोड़ रुपये निवेश हो सकता है। ईओजीईपीएल ने रानीगंज ब्लॉक में करीब 4,000 करोड़ रुपये निवेश किए हैं और कंपनी को अगले दो साल में 1.7 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रति दिन (एमएससीएमडी) उत्पादन की उम्मीद कर रही है, जबकि अगले 4 साल में 2.5 एमएससीएमडी उत्पादन का अनुमान है। अभी इस तेल क्षेत्र से 1 एमएससीएमडी उत्पादन हो रहा है।
एक अधिकारी ने कहा कि गैरपरंपरागत समकालिक नीति और मंजूरी की वजह से ईओजीईपीएल शेल से करीब 7-8 लाख करोड़ घन फुट उत्पादन की संभावना देख रहा है। उसने पहले ही अमेरिका की एडवांस रिसोर्सेज इंटरनैशनल को नियुक्त कर दिया है, जो मौजूदा ब्लॉकों में शेल के मूल्यांकन और विकास का काम करेगी। पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी महत्त्वपूर्ण थी क्योंकि शेल ड्रिलिंग या हाइड्रो फ्रैकिंग के लिए बहुत ज्यादा पानी की जरूरत होती है।
रानीगंज ईस्ट सीबीएम ब्लॉक से पूरे उत्पादन के लिए एस्सार ने पहले ही गेल इंडिया से समझौता किया है। इस सौदे में 15 साल के लिए गैस आपूर्ति कॉन्ट्रैक्ट शामिल है। वहीं कंपनी पूरे 2.3 एमएमएससीडी सीबीएम उत्पादन की बिक्री कर सकेगी। सरकार की एकीकृत लाइसेंसिंग नीति से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, ऑयल इंडिया, वेदांत केयर्न, रिलायंस इंडस्ट्रीज और सीबीएम कारोबारियों जैसे ईओजीईपीएल को फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है।
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