आरकॉम का करीब 260 करोड़ रुपये टैक्स रिफंड पड़ा हुआ है► 44 बैंक एक खाते में रखे 260 करोड़ रुपये के टैक्स रिफंड के ट्रस्टी हैं ►बैंक चाहते हैं कि आरकॉम किसी अन्य स्रोत से एरिक्सन को भुगतान करे अनिल अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है क्योंकि भारतीय स्टेट बैंक समेत कंपनी के वित्तीय लेनदारों ने एक खाते में पड़े टैक्स रिफंड की निकासी का विरोध किया है। एसबीआई समेत करीब 44 बैंक उस खाते के ट्रस्टी हैं, जिसमें आरकॉम का करीब 260 करोड़ रुपये टैक्स रिफंड पड़ा हुआ है। आरकॉम इस रकम का इस्तेमाल एरिक्सन के 453 करोड़ रुपये के बकाए के भुगतान में करना चाहती है। बैंकों ने हालांकि आरकॉम की याचिका का विरोध किया है और कहा है कि एरिक्सन के बकाए का भुगतान वह किसी अन्य स्रोत से करे, न कि इस रिफंड का इस्तेमाल करे। एसबीआई की तरफ से पेश वकील कृष्णन वेणुगोपाल ने कहा, अपीली ट्रिब्यूनल इस मसले पर फैसला लेने का उचित फोरम नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय पहले ही इस पर विचार कर चुका है। यह रकम किसी स्वतंत्र स्रोत से आनी चाहिए। बुधवार को सुनवाई में नैशनल कंपनी लॉ अपीली ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बैंकों व अन्य पक्षकारों से आरकॉम के आवेदन पर अपना जवाब 8 मार्च तक दाखिल करने को कहा। इस मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। आरकॉम ने एनसीएलएटी से संपर्क कर 4 फरवरी के आदेश से मुक्ति की मांग की थी।आरकॉम की याचिका की सुनवाई करते हुए एनसीएलएटी ने तब कहा था कि कंपनी की परिसंपत्तियों की बिक्री, हस्तांतरण आदि पर पूरी तरह रोक रहेगी। बैंक गारंटी, मॉर्गेज या अन्य प्रतिभूतियां भी इसके दायरे में रखी गई थी। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी को अनिल अंबानी को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और कहा था कि वह चार हफ्ते के भीतर एरिक्सन के बकाए का भुगातन करे और इसमें नाकामी पर अंबानी और एडीएजी समूह के दो अन्य अधिकारियों को तीन महीने के लिए जेल जाना होगा। 550 करोड़ रुपये के बकाए में से आरकॉम करीब 118 करोड़ रुपये जमा करा चुकी है, जो इसे टैक्स रिफंड के तौर पर मिले थे। सर्वोच्च न्यायालय ने तब यह रकम एक हफ्ते के भीतर एरिक्सन को जारी की जाएगी।सर्वोच्च न्यायालय का फैसला एरिक्सन की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान आया था जब आरकॉम बार-बार आश्वासन दिए जाने के बाद भी 550 करोड़ रुपये चुकाने में नाकाम रही थी। एरिक्सन इंडिया ने सितंबर 2017 में आरकॉम, रिलायंस इन्फ्राटेल के खिलाफ एनसीएलटी के मुंबई पीठ में दिवालिया याचिका दाखिल की थी, जो इसकी तरफ से करीब 1,500 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने के चलते दाखिल की गई थी। एनसीएलटी ने मई 2018 में याचिका स्वीकार की, जिसके बाद रिलायंस समूह की कंपनियों ने एनसीएलएटी का दरवाजा खटखटाया। एनसीएलएटी में एरिक्सन इंडिया व रिलायंस की कंपनियां इस बात पर सहमत हुई कि वह 120 दिन के भीतर यानी 30 सितंबर 2018 तक 550 करोड़ रुपये चुकाएगी। एनसीएलएटी ने तब कहा था कि अगर आरकॉम व इसकी सहायक तय समय पर रकम चुकाने में नाकाम रही तो एरिक्सन इंडिया के पास दिवालिया आवेदन फिर से बहाल करने की छूट होगी।
