भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) व्यवस्था से बाहर निकलना बैंकों के लिए संपूर्ण राहत नहीं है, लेकिन इससे बैंकों के लिए निश्चित तौर पर खासकर खुदरा, एमएसएमई और कृषि क्षेत्र के लिए अपनी ऋण बुक बढ़ाने के रास्ते स्पष्ट हुए हैं। पीसीए व्यवस्था से बाहर निकले बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अब उनका जोर जोखिम दूर करने पर रहेगा। आरबीआई ने पीसीए व्यवस्था में शामिल 12 में से 6 बैंकों को मुक्त कर दिया है। बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (महाबैंक), और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) को इस महीने के शुरू में इस सख्त व्यवस्था से बाहर किया गया। इलाहाबाद बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और धनलक्ष्मी बैंक को मंगलवार को पीसीए व्यवस्था से अलग किया गया। नियुक्तियों और नई शाखाएं खोलने पर प्रतिबंध समाप्त हो गए हैं। बैंकों ने शाखाओं को तर्कसंगत बनाने की दिशा में काफी काम किया है। महाबैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब बैंक व्यवसाय वृद्घि को ध्यान में रखकर नई प्रतिभाओं को शामिल करने और शाखाएं खोलने पर विचार कर सकता है। इलाहाबाद बैंक के एक अधिकारी ने कहा, 'पुनर्पूंजीकरण के बाद, बैंक के लिए विकासशील पूंजी की उपलब्धता सीमित होगी, और हम जोखिम से जुड़ी परिसंपत्तियों में निवेश सीमित करना चाहेंगे। यह कार्य चुनौतीपूर्ण होगा।' धनलक्ष्मी बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी टी लता ने कहा कि बैंक ने निगरानी व्यवस्था पर जोर दिया है और सुधार की दिशा में कदम उठाए हैं। निजी क्षेत्र के इस ऋणदाता का जोर रिटेल और एमएसएमई ऋणों पर रहेगा। इसके अलावा तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में स्वर्ण ऋण बुक वृद्घि पर भी ध्यान दिया जाएगा। इस श्रेणी में कॉलेटरल कवर अधिक है और डिफॉल्ट की समस्या कम है। जहां पहले काफी पूंजी फंसे कर्ज के लिए प्रावधान पर खर्च हुई, वहीं अब वृद्घि के लिए अधिक पूंजी की जरूरत होगी। इलाहाबाद बैंक ने वृद्घिशील पूंजी जुटाने की योजनाएं बनानी शुरू की हैं, क्योंकि 6,896 करोड़ रुपये का पुन:र्पूंजीकरण नियामकीय पूंजी जरूरत पूरी करने से इस्तेमाल होगा। पीसीए व्यवस्था से निकलने से बैंक को बाजार से पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी। बैंक वित्त वर्ष 2020 के मध्य में इक्विटी पूंजी जुटाने पर विचार करेगा। धनलक्ष्मी बैंक के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा कि इस पूंजी की मात्रा तब निर्धारित की जाएगी जब बैंक अगले साल के लिए व्यावसायिक योजनाओं को अंतिम रूप देगा। रेटिंग एजेंसी फिच का कहना है कि पीसीए व्यवस्था से निकलने से बैंकों को वृद्घि से संबंधित सख्ती से बचने में मदद मिलेगी। हालांकि इससे कमजोर पूंजीकरण से वृद्घि पर पड़ा दबाव दूर नहीं होगा। वृद्घि की रफ्तार मजबूत बनाने के लिए इन बैंकों में सरकार को और ज्यादा पूंजी डालने की जरूरत होगी।
