चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के कारोबारी नतीजे मंदी और गिरते मार्जिन का रुझान दर्शाते हैं। इससे रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा फरवरी में प्रस्तुत नीतिगत समीक्षा में जताई गई आशंका सही प्रतीत होती है। उस वक्त आरबीआई ने वाहनों की कम होती बिक्री, पूंजीगत वस्तुओं के कमजोर उत्पादन, औद्योगिक गतिविधियों में धीमेपन, हवाई यात्रियों में आ रही कमी आदि का जिक्र करते हुए कहा था कि आर्थिक गतिविधियों में धीमापन आ सकता है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने अब तक तीसरी तिमाही के नतीजे घोषित करने वाली 2,338 कंपनियों का विश्लेषण किया। पाया गया कि सॉफ्टवेयर और आईटी क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा रहा और दैनिक उपभोग की उपभोक्ता वस्तुओं की बड़ी कंपनियों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा। धातु और खनन क्षेत्र का प्रदर्शन ठीक रहा, हालांकि भविष्य में इस क्षेत्र को कुछ समस्या आ सकती है। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियां गहरे दबाव में बनी हुई हैं।
उक्त कंपनियों का समेकित शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से 28 फीसदी कम था। राजस्व में 17 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जो दूसरी तिमाही के 19.6 फीसदी के इजाफे से कमजोर थी। अपवाद उत्पादों का समायोजन करने पर शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 2.2 फीसदी अधिक था। अगर तेल एवं गैस तथा वित्तीय (बैंक तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों समेत) जैसे अस्थिर क्षेत्रों को अलग करके देखा जाए तो शेष 2,005 कंपनियों का शुद्ध मुनाफा 39.7 फीसदी घटकर मात्र 47,500 करोड़ रुपये रह गया। यह बीते तीन वर्षों का सबसे कमजोर प्रदर्शन है। कुल मिलाकर 701 कंपनियों को घाटा सहन करना पड़ा। जिन कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा उनमें टाटा मोटर्स, वोडाफोन आइडिया, पुंज लॉयड और अदाणी पावर जैसी कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों का खर्च राजस्व की तुलना में तेजी से बढ़ा। परिचालन मार्जिन भी 3 फीसदी घटकर 12.9 फीसदी रह गया।
सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों का राजस्व 16 फीसदी बढ़ा। हालांकि उनका शुद्ध मुनाफा केवल 6.7 फीसदी ही बढ़ा। ऐसा कमजोर रुपये की वजह से हुआ। धातु और खनन क्षेत्र के मुनाफे में 32 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। परंतु वैश्विक जिंस कीमतों में चीन की मंदी के कारण जनवरी-फरवरी में गिरावट दर्ज की गई। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह मार्जिन स्थायी नहीं रहने वाला। औषधि उद्योग कई मोर्चों पर दबाव का शिकार है क्योंकि अमेरिकी औषधि प्रशासन निरंतर निर्यात इकाइयों पर कड़ी निगरानी बनाए हुए है। इतना ही नहीं बड़ी तादाद में दवाइयां मूल्य नियंत्रण के दायरे में हैं। तेल एवं गैस क्षेत्र के लिए भी यह तिमाही कठिनाई भरी रही। कच्चे तेल की कीमतें अक्टूबर और नवंबर में ऊंची बनी रहीं, दिसंबर में अवश्य उनमें गिरावट आई। हालांकि संयुक्त राजस्व में 34 फीसदी का इजाफा हुआ लेकिन शुद्ध राजस्व 16.6 फीसदी गिरा।
अहम वित्तीय क्षेत्र में जिन बैंकों ने अब तक नतीजे घोषित किए हैं, उनकी ऋण वृद्धि की दर 15 फीसदी रही और उनका संयुक्त शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही के 6,000 करोड़ रुपये के घाटे से सुधरकर 900 करोड़ रुपये के फायदे वाला हो गया। हालांकि बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और आईडीएफसी फस्र्ट बैंक को शुद्ध नुकसान हुआ लेकिन कह सकते हैं कि बुरा वक्त बीत चुका है। एनबीएफसी का राजस्व स्थिर रहा और शुद्ध मुनाफा 11.7 फीसदी गिरा।
निष्कर्ष यही है कि बड़ी खपत में धीमापन आया है और पूंजीगत वस्तुओं की मांग में कमी बताती है कि निवेश भी कमजोर हुआ है। ग्रामीण खपत को कम खाद्य कीमतों ने प्रभावित किया। सरकारी व्यय चीजों को ठीक रखने में मददगार हुआ है। चुनाव संबंधी व्यय निजी खपत बढ़ा सकता है लेकिन यह देखना होगा कि यह गिरावट चक्रीय है या मंदी बड़ी ढांचागत वजहों से आ रही है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.