एयरटेल कई वेंडरों को देगी ठेका | |
देवाशिष महापात्र और रामिता मजूमदार / बेंगलूरु 02 17, 2019 | | | | |
► आईबीएम के साथ चल रहे आईटी आउटसोर्सिंग अनुबंध का होगा नवीनीकरण
► एयरटेल आईटी प्रबंधन के अनुबंध को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटेगी
► विशेषीकृत देसी-विदेशी वेंडरों के साथ कर सकती है करार
► आउटसोर्सिंग के एक बड़े हिस्से का प्रबंधन खुद कर सकती है कंपनी
निजी क्षेत्र की दूरसंचार दिग्गज कंपनी भारती एयरटेल अपने आईटी बुनियादी ढांचे के लिए बहु-वेंडर दृष्टिकोण अपनाने की संभावना तलाश रही है। अभी कंपनी का 1 अरब डॉलर का आईटी अनुबंध आईबीएम के पास है, जिसका इस साल नवीनीकरण होना है। सूत्रों के अनुसार कंपनी इसका अनुबंध किसी एक कंपनी को देने के बजाय इसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर कई विशेषीकृत आईटी कंपनियों को दे सकती है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'यह अनुबंध छोटे आकार के होंगे। कंपनी इसे विभिन्न हिस्सों में बांटकर कई वेंडरों को देने की संभावना पर सक्रियता से विचार कर रही है।'
एयरटेल इसके एक बड़े हिस्से का प्रबंधन खुद कर सकती है और उप-ठेकेदारों से इसके लिए कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकती है। आईबीएम और भारती एयरटेल ने 2004 में 10 साल के लिए 75 करोड़ डॉलर का करार किया था। घरेलू दूरसंचार क्षेत्र में यह पहला आईटी आउटसोर्सिंग करार था। आउटसोर्सिंग अनुबंध के बावजूद यह सौदा दोनों पक्षों के बीच राजस्व साझेदारी पर आधारित था, जिससे नए ग्राहकों के जुडऩे से इसका कुल मूल्य बढ़कर करीब 2 अरब डॉलर हो गया था।
वर्ष 2014 में इस अनुबंध का एयरटेल और आईबीएम के बीच नवीनीकरण किया गया लेकिन इसका दायरा कम कर दिया था। अनुबंध की अवधि घटाकर पांच साल कर दी गई थी, वहीं सौदे का आकार भी पिछले सौदे की तुलना में 55 से 60 फीसदी कम थी। अब एकबार फिर इस अनुबंध का नवीनीकरण किया जाना है तथा इसका आकार और कम होने की संभावना है क्योंकि एयरटेल ने कई साझेदारों के साथ काम करने का निर्णय किया है। एयरटेल के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी अपने डिजिटल बदलाव अभियान के तहत कई साझेदारों के साथ काम कर रही है।
प्रवक्ता ने कहा, 'हम विभिन्न तरह के साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं। हालांकि आईबीएम हमारा एक अहम साझेदार बना रहेगा।' इस बारे में राय जानने के लिए आईबीएम को ईमेल किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। आईबीएम इंडिया के लिए दूरसंचार क्षेत्र खासा अहम है और इसके ग्राहकों में भारती एयरटेल और वोडाफोन जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं। कंपनी ने पहले कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र में अड़चनों के बावजूद इस क्षेत्र की सभी कंपनियां भारत में डेटा विस्तार को बढ़ावा देने के लिए भारी-भरकम निवेश की तैयारी कर रही हैं।
आईबीएम इंडिया के प्रबंध निदेशक करण बाजवा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ हालिया साक्षात्कार में कहा था, 'दूरसंचार क्षेत्र में व्यवधान के बावजूद इसमें पूंजी की कमी नहीं है। सभी ऑपरेटर काफी पूंजी खर्च करने को तैयार हैं। वोडाफोन-आइडिया विलय भी इसी दिशा में है। एयरटेल अपनी परिसंपत्तियों का एकीकरण करने पर ध्यान दे रही है, जिससे वह अगले तीन साल में निवेश करने में सक्षम होगी।' उन्होंने यह भी कहा कि आईबीएम के लिए दूरसंचार कारोबार को बढ़ाने में सुरक्षा एवं आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स)जैसे क्षेत्रों पर ज्यादा जोर है। दूरसंचार क्षेत्र में नरमी का असर आईबीएम के भारत में राजस्व का दिख रहा है। वित्त वर्ष 2018 में कंपनी का भारत में संचयी राजस्व 14 फीसदी घटकर 27,927 करोड़ रुपये रहा गया था। इसी तरह उसका मुनाफा भी 54 फीसदी कम होगर 2,783 करोड़ रुपये रहा।
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