► फल, सब्जियों, किराना और शिशु उत्पाद आदि की करेगी आपूर्ति ► गुडग़ांव में कंपनी ने 3,500 स्टोरों के साथ किया गठजोड़ ► 1.25 लाख आपूर्ति कर्मचारियों की मजबूत टीम का मिलेगा फायदा ► देश के 80 से ज्यादा शहरों में है इसकी मौजूदगी ► एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट जैसी कंपनियों को देगी टक्कर
फूड डिलिवरी करने वाली स्टार्टअप स्विगी अब किराना की भी आपूर्ति करेगी। पिछले साल दिसंबर में 1 अरब डॉलर का ताजा निवेश जुटाने के बाद फूड डिलिवरी करने वाली स्टार्टअप स्विगी ने आज 'स्विगी स्टोर्स' की शुरुआत की। इस क्षेत्र में स्विगी ई-कॉमर्स दिग्गज एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के साथ ही साथ ऑनलाइन किराना जैसे बिगबास्केट और ग्रोफर्स को सीधा टक्कर देगी।
स्विगी ने परीक्षण के तौर पर गुरुग्राम में इसकी शुरुआत की है। इसके लिए उसने 3,500 से ज्यादा स्थानीय दुकानों तथा मर्चेंट साझेदारों जैसे कि फर्नेंस ऐंड पीटल्स, ले मार्च, नीड्स सुपरमार्केट, जैपफ्रेश, मॉम्सको, अपोलो तथा गार्डियन फर्मेसी के साथ गठजोड़ किया है। एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि 3.3 अरब डॉलर के मूल्यांकन वाली स्विगी की योजना इस सेवा को देश के सभी महागनरों में शुरू करने की है।
स्विगी के मुख्य कार्याधिकारी एवं सह-संस्थापक श्रीहर्ष मजेटी ने ब्लॉग लिखकर इस पहल की घोषणा करते हुए कहा कि पिछले चार साल में करोड़ों ऑर्डरों की आपूर्ति करने के बाद हम भरोसे के साथ कह सकते हैं कि हमने देश भर में ग्राहकों के दरवाजे तक सुविधा प्रदान की है। उन्होंने कहा, 'आपके करीब आने के लिए आज हमने एक और बड़ा कदम उठाया है जो अतुलनीय सुगमता को हकीकत में बदलेगा... जिस तरह से हमने देश भर के करीब 50 लाख रेस्टोरेंटों को सुगम आपूर्ति प्रदान की है, उसी तरह हम लाखों दुकानों और कारोबार को भी सुगमता प्रदान कर सकते हैं।'
इस नई सेवा के माध्यम से स्विगी अपने मजबूत आपूर्ति क्षमता के दम पर फलों एवं सब्जियों, किराना, शिशु देखभाल, स्वास्थ्य एवं सप्लीमेंट जैसी श्रेणियों के उत्पादों की आपूर्ति करने के लिए तत्पर है। ऐसे उत्पादों को एक घंटे के अंदर आप तक पहुंचाने की उम्मीद है। नैस्पर्स और टेनसेंट समर्थित इस कंपनी का फूड डिलिवरी कारोबार हर महीने देश भर के 80 शहरों में 2.8 करोड़ से ज्यादा ऑर्डर की आपूर्ति कर रही है। इसके पास 1.25 लाख आपूर्ति साझेदार हैं। भारत में कुल खुदरा बाजार में किराना रिटेल की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है।
नॉलेजञ्च वारथॉन के मुताबिक वर्तमान में किराना रिटेल का बाजार करीब 400 अरब डॉलर से 600 अरब डॉलर के बीच है, जो 2022 तक बढ़कर 700 अरब डॉलर के पार पहुंच सकता है। रेडशीर कंसल्टिंग के अनुसार देश में ऑनलाइन किराना खंड अपेक्षाकृत छोटा है और अभी यह करीब 1.5 अरब डॉलर का है जिसके 2022 तक चार गुना से ज्यादा बढ़कर 7 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। हालांकि स्विगी की नई सेवा से दीर्घावधि में कंपनी को होने वाले लाभ को लेकर विश्लेषकों की राय अलग-अलग है।
रेडसियर कंसल्टिंग के रोहन अग्रवाल का कहना है कि अपने आपूर्ति बेड़े का इस्तेमाल ग्राहकों की अन्य जरूरतों को पूरा करने से स्विगी ग्राहक मूल्य को अधिकतम कर सकती है और ग्राहकों के साथ इसके संबंधों को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा, 'इसमें सौदे का आकार बड़ा हो सकता है। ग्राहकों के आधार और परिचालन की सुविधा से इस कारोबार में व्यापक अवसर हैं।' हालांकि फॉरेस्टर रिसर्च के वरिष्ठï विश्लेषक सतीश मीणा ने कहा कि ऐसी सेवा का खर्चीला होना समस्या है, वहीं आशंका रहती है कि ग्राहकों द्वारा मांगे गए हरेक उत्पाद संभवत: किसी खास स्टोर पर उपलब्ध न हों।
मीणा ने कहा, 'हमने 2015 में इसे देखा था जब कंपनियां हाइपरलोकल बन रही थीं लेकिन यह सफल नहीं हुआ क्योंकि परिचालन लागत ज्यादा था।' हालांकि स्विगी के मामले में परिचालन लागत कम हो सकती है क्योंकि कंपनी के पास पहले से ही आपूर्ति साझेदार हैं। उन्होंने कहा कि वे कितनी मात्रा में ऑर्डर हासिल करते हैं, यह मुख्य शर्त होगी। उनका कहना है कि ग्राहक किराना की तुलना में खाने-पीने की चीजों को ऑनलाइन ऑर्डर करने में ज्यादा सहज महसूस करते हैं। कई बार आप नमक जैसी छोटी चीज भूल जाते हैं और इतने छोटे ऑर्डर की आपूर्ति करना लागत के हिसाब से तार्किक नहीं होगा।
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