कर विवाद में कमी की कवायद | |
श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 02 12, 2019 | | | | |
प्रत्यक्ष कर संहिता में कर विवाद निपटान प्रणाली में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव
► स्वैच्छिक कर मुकदमा निपटान का प्रस्ताव
► त्वरित निपटान के लिए अपील वापस लेने का विकल्प
► विवाद समाधान योजना को ज्यादा आकर्षक बनाना
► अंतरराष्ट्रीय करदाताओं और कर विभाग के बीच ज्यादा एपीए
परोपकारी संस्थाओं पर कसेगा शिकंजा
► कर छूट के दावों के लिए शर्तों को व्यापक बनाना
► न्यासों का पंजीकरण रद्द करने के आधार सख्त बनाना
► उद्देश्यों को पाने में नाकाम रहे तो छूट वापस
► ऐसे न्यासों को दान देने वालों पर नजर
देश में कर विवाद के मुकदमों की संख्या में कमी करने और कर कानूनों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मानकों के अनुरूप ढालने के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में कुछ प्रावधान किए जा सकते हैं। इसके अलावा परोपकारी संस्थाओं पर भी शिकंजा कसा जा सकता है। उन्हें दी गई विभिन्न प्रकार की छूट की शर्तों को सख्त बनाने पर विचार चल रहा है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन उपायों से कर व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है और इनसे राजस्व पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वित्त मंत्रालय ने डीटीसी पर नया कार्यबल गठित किया है। पहले बनाए गए कार्यबल के सदस्यों में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद उभर आए थे। कार्यबल अपनी रिपोर्ट 28 फरवरी को मंत्रालय को सौंप सकता है।
सूत्रों के मुताबिक कार्यबल प्रत्यक्ष कर कानूनों को नए सिरे से तैयार कर रहा है। वह कई विकसित देशों की तर्ज पर देश में त्वरित निपटान की व्यवस्था चाहता है जो विवादों को निपटाने का एक वैकल्पिक तरीका है। इससे करदाता को मुकदमे के बीच में अपनी अपील वापस लेने का विकल्प मिलता है।
सूत्रों ने कहा कि आय कर आयुक्त (अपील) और अपील पंचाटों में लंबित मामलों में स्वैच्छिक कर मुकदमा निपटान की योजना शुरू करने की संभावना पर भी चर्चा चल रही है। इस सुविधा का फायदा उठाने के लिए कुछ खास समय दिया जा सकता है और जुर्माने तथा अभियोजन में कुछ छूट भी दी जा सकती है। साथ ही कार्यबल के सदस्य भारतीय कंपनियों के कर विवाद के मामलों को कर मध्यस्थता में ले जाने के प्रावधान पर भी विचार कर रहे हैं। मध्यस्थता की प्रक्रिया सिर्फ छह महीनों में पूरी होती है। अमूमन अपील और पंचाट में लंबित मामलों को पूरा होने में दो से पांच साल का समय लगता है।
डीटीसी के मसौदे में अंतरराष्ट्रीय कर से जुड़े मुद्दों के लिए आय कर अपील पंचाट (आईटीएटी) का एक अलग पीठ गठित करने की संभावना पर भी सुझाव दिया जा सकता है। यह पीठ वहां गठित किया जा सकता है जहां अंतरराष्ट्रीय कर विवाद के मामले अधिक हैं। मसौदे की जानकारी रखने वाले एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'कार्यबल ने वैश्विक रुझानों और विवादित मामलों से निपटने के लिए विकसित देशों द्वारा आजमाए गए सर्वश्रेष्ठï तरीकों का अध्ययन किया है। उसने पाया कि विकसित देशों में भारत की तुलना में कर मुकदमों की संख्या बहुत कम है।' कार्यबल एक ऐसी व्यवस्था चाहता है जिससे करदाता और कर विभाग के बीच अधिकांश मतभेद विभाग के स्तर पर ही सुलझ जाएं।
नई व्यवस्था में कई और उपाय भी शामिल हो सकते हैं। इनमें अपील दायर करने के लिए मौद्रिक सीमा को बढ़ाना, विवाद समाधान योजना को और आकर्षक बनाना, वकीलों को राष्ट्रीय न्यायिक संदर्भ व्यवस्था के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करना और सर्वश्रेष्ठ न्यायिक व्यवस्थाओं पर विभागीय दिशानिर्देशों के बारे में लोगों को जागरूक बनाना। मार्च, 2017 तक देश के विभिन्न पंचाटों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में 7.6 लाख करोड़ रुपये के कर विवाद से जुड़े मामले लंबित थे।
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