आईएलऐंडएफएस को मिली राहत | |
आशिष आर्यन / नई दिल्ली 02 11, 2019 | | | | |
► कुछ कंपनियों को कर्ज चुकाने की अनुमति
► समाधान प्रक्रिया के तहत होगा कर्ज भुगतान
► समाधान प्रक्रिया पर नजर रखेंगे पूर्व न्यायाधीश
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील (एनसीएलएटी) ने वित्तीय संकट में फंसी आईएलऐंडएफएस समूह की 22 कंपनियों को अपना कर्ज चुकाने की आज अनुमति दे दी। समूह के नए बोर्ड और सरकार ने इन कंपनियों को ग्रीन श्रेणी में रखा है। पंचाट ने कहा कि ये कंपनियां कर्ज का भुगतान समाधान प्रक्रिया के तहत किया जाएगा। समूह की समाधान प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डी के जैन को नियुक्त किया गया है।
आईएलऐंडएफएस समूह के नए बोर्ड की पिछले महीने समूह के वित्तीय ऋणदाताओं, कंपनी मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में समूह की कंपनियों को तीन श्रेणियों ग्रीन, अंबर और रेड में बांटा गया था। समूह की भारत में पंजीकृत 169 कंपनियों में से 69 को सुरक्षित वित्तीय और परिचालन ऋणदाताओं का कर्ज चुकाने की उनकी क्षमता के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया था। इनमें से 22 को ग्रीन, 10 को अंबर और 38 को रेड श्रेणी में रखा गया है। सरकार समूह की बाकी 100 कंपनियों को संबंधित श्रेणी में रखने के लिए अगले दो हफ्तों में एक और हलफनामा दायर करेगी।
ग्रीन श्रेणी में वे कंपनियां हैं जिनकी हैसियत सकारात्मक है और जिनके पास अपने सभी ऋणदाताओं के एक साल के भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नकदी है। अंबर श्रेणी की कंपनियों के पास सुरक्षित ऋणदाताओं के कर्ज का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नकदी है लेकिन असुरक्षित ऋणदाताओं का बकाया निपटाने के लिए पर्याप्त राशि नहीं है। रेड श्रेणी में उन कंपनियों को शामिल किया गया है जो सुरक्षित ऋणदाताओं का कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।
ग्रीन कैटेगरी के तहत आने वाली सभी कंपनियों को सभी कर्ज देनदारियां चुकाने की अनुमति दी गई है, वहीं अंबर और रेड को उन कर्जों की अदायगी के लिए कहा गया है, जिनसे उन्हें परिचालन जारी रखने में मदद मिलेगी। इंडसइंड बैंक, एलऐंडटी फाइनैंस और आदित्य बिड़ला ऐंड कैपिटल फंड जैसे कर्जदाताओं ने 'अंबर' और रेड कंपनियों के लिए भुगतान अनिवार्य करने की सरकार की याचिका का विरोध किया है।
इंडसइंड का पक्ष रखने वाले अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसी किसी भुगतान से समूह कंपनियों में पांच शीर्ष कर्जदाताओं की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों पर बुरा असर होगा। एनसीएलएटी ने सोमवार को सभी हस्तक्षेप आवेदन स्वीकार किए और 12 मार्च को इन पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया।
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