लाभांश का उपयोग सरकार कैसे करेगी यह उसका मामला | बीएस संवाददाता / February 07, 2019 | | | | |
नीतिगत दरों में कटौती, मुद्रास्फीति के अनुमान और नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक के उपायों पर वित्त वर्ष 2019 के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की छठी द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास व अन्य ने मीडिया से बात की। पेश हैं मुख्य अंश:
बॉन्ड बाजार में विश्वास और विशेष तौर पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए नकदी संकट को लेकर चिंता जताई जा रही है। इस पर आप क्या कहेंगे?
शक्तिकांत दास: भारतीय रिजर्व बैंक नकदी प्रवाह की स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और जरूरत के आधार पर हम यह सुनिश्चित करेंगे कि नकदी की कोई कमी नहीं है।
विरल आचार्य: भारतीय रिजर्व बैंक ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) के जरिये प्रणाली के आधार पर नकदी झोंक रहा है। फिलहाल प्रणाली में नकदी प्रवाह की स्थिति वस्तुत: अधिक है। इसलिए मेरा मानना है कि उनके लिए नकदी की कोई समस्या नहीं है जो बैंकों से ऋण लेने में समर्थ हैं।
दिसंबर में अपना कार्यभार संभालने के बाद आपने विभिन्न हितधारकों के साथ काफी बैठकें की है। मोटे तौर पर उन बैठकों से कौन-कौन से मुद्दे सामने आए?
दास: बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ मेरी बातचीत के दौरान तमाम सुझाव दिए गए। हम उन मुद्दों को समझने की कोशिश कर रहे हैं जो हमारे संज्ञान में लाए गए हैं। इनमें से हरेक सुझाव पर विचार किया जा रहा है और हम उपयुक्त कार्रवाई कर रहे हैं। इनमें से कुछ की झलक बयान के दूसरे भाग में मिल सकती है।
पिछले सप्ताह घोषित अंतरिम बजट के मद्देनजर मौद्रिक नीति समिति सरकार की नीतियों के मुद्रास्फीतिक प्रभाव और राजकोषीय घाटे को लेकर कितना चिंतित है?
दास: जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है तो मौद्रिक नीति समिति ने अपने अनुमान जाहिर किए हैं और अगले 12 महीनों में अगले साल की तीसरी तिमाही में इसे 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है। इसलिए बजट प्रस्तावों एवं अन्य तमाम घटनाक्रमों के प्रभाव हमारे अनुमानों में निहित हैं। राजकोषीय घाटे के मुद्दे पर चर्चा की गई है। सरकार ने कहा है कि यह इस साल और अगले साल 3.4 फीसदी रहेगा। मुद्रास्फीति को लेकर हमारे अनुमानों में यह भी समाहित है।
क्या मौद्रिक नीति समिति ने 50 आधार अंकों की कटौती करने और 2019 में दरों में कटौती की अधिक गुंजाइश पर गौर किया था?
दास: समायोजित तरीके की सख्ती से तटस्थ के लिए रुख में बदलाव से भी आगामी महीनों में अर्थव्यवस्था की स्थायी वृद्धि की चुनौतियों को दूर करने की गुंजाइश होगी और मुद्रास्फीति का परिदृश्य बेहतर रहेगा। इस संबंध में मौद्रिक नीति समिति के निर्णय डेटा आधारित और वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता को बरकरार रखने के लिए मौद्रिक नीति के अनुरूप होंगे।
मुद्रास्फीति के मोर्चे पर आरबीआई का अनुमान लगातार गलत क्यों हो रहा है?
आचार्य: पहला, पिछले वर्ष मुख्य मुद्रास्फीति औसतन 4 फीसदी पर स्थिर रही। हालांकि अनुमानों के विशिष्टï स्तर को लेकर समस्याएं हो सकती हैं और प्रमुख मुद्रास्फीति में समस्याओं के कारण मुद्रास्फीति ऊंची दिख सकती है। इसलिए आप किसी एक पहूल पर गौर नहीं कर सकते। दूसरा, यदि आप अंतरराष्टï्रीय स्तर पर नजर दौड़ाएंगे तो आपको विभिन्न केंद्रीय बैंकों के मुद्राफीति अनुमानों में त्रुटियों के दो अलग-अलग पैटर्न दिखेंगे। सभी अर्थव्यवस्था के लिए खाद्य वस्तुओं की कीमतें हमेशा उतार-चढ़ाव वाली रही हैं। हमें इस प्रकार की आलोचनाओं पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देना चाहिए।
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