बिना जमानत कृषि कर्ज की सीमा में आरबीआई ने किया इजाफा | संजीव मुखर्जी और सोमेश झा / नई दिल्ली February 07, 2019 | | | | |
खास तौर से छोटे व मझोले किसानों के बीच नकदी की मजबूती के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को बिना जमानत कृषि कर्ज की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.6 लाख रुपये करने का ऐलान किया। कृषि कर्ज में फसल कर्ज और सावधि कर्ज शामिल है। इससे पहले जमानत मुक्त कृषि कर्ज की सीमा साल 2010 में 50,000 रुपये से एक लाख रुपये की गई थी। आरबीआई ने कहा कि यह कदम साल 2010 के बाद से अब तक कुल महंगाई और कृषि इनपुट लागत में हुई बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
आरबीआई ने कहा, यह औपचारिक उधारी की व्यवस्था में छोटे व मझोले किसानों के कवरेज में इजाफा करेगा। इस बारे में जल्द ही परिपत्र जारी किया जाएगा। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने कृषि उधारी की समीक्षा और क्षेत्रीय असमानता, कवरेज आदि जैसे मसलों के समाधान के लिए आंतरिक वर्किंग ग्रुप बनाने का भी फैसला लिया। आरबीआई ने कहा, विभिन्न वर्षों में कृषि कर्ज की रफ्तार खासी बढ़ी है। इसके बावजूद यहां कई मसले हैं। यहां पूंजी निर्माण के लिए लंबी अवधि वाले ज्यादा कृषि कर्ज के मसले भी हैं। दिसंबर 2018 के आखिर तक सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कृषि कर्ज का वितरण किया है, जिसका करीब 48 फीसदी हिस्सा छह बड़े राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में वितरित हुआ। हालांकि झारखंड, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों की हिस्सेदारी काफी कम है।
आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी संस्थागत कर्ज के मामले में भारी क्षेत्रीय असमानता है। पूर्व कृषि सचिव शिराज हुसैन ने कहा, यह अच्छा कदम है, जिससे व्यवस्था में नकदी बढ़ेगी और किसान खेती में और निवेश करने में सक्षम होंगे। सिंडिकेट बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी मृत्युंजय महापात्र ने कहा, किसानों के लिए यह बढ़ोतरी जरूरी थी क्योंकि समर्थन मूल्य व इनपुट लागत में बढ़ोतरी हुई है। मुझे नहीं लगता कि इस कदम से एनपीए में किसी तरह का इजाफा होगा।
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